लोकगायिका शारदा सिन्हा को मिला मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार शाम राष्ट्रपति भवन के भव्य दरबार हॉल में आयोजित दूसरे नागरिक अलंकरण समारोह में देश की प्रतिष्ठित हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया. समारोह में कला, साहित्य, समाज सेवा, विज्ञान, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में योगदान देने वाले 17 विभूतियों को पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री अलंकरण प्रदान किए गए.इस वर्ष का सबसे मार्मिक पल तब देखने को मिला जब प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिया गया. यह पुरस्कार उनकी उपलब्धियों के सम्मान में उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने ग्रहण किया. शारदा सिन्हा को उनके अभूतपूर्व योगदान और लोकसंगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने के लिए यह गौरव प्राप्त हुआ है.बिहार की शान मानी जाने वाली शारदा सिन्हा ने छठ गीतों से लेकर विवाह गीतों तक लोक जीवन के हर रंग को अपनी सुरीली आवाज में पिरोया. उनके गाए “परदेसिया”, “कांच ही बांस के बहंगिया” और “पावन छठी माई” जैसे गीत आज भी लोगों की जुबान पर हैं.
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि “पद्म पुरस्कार न केवल भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक वैभव को दर्शाते हैं, बल्कि यह देश के प्रति उनकी सेवा भावना का भी सम्मान है.”

शारदा सिन्हा के अलावा इस वर्ष समाज सेवा, आदिवासी कल्याण, विज्ञान, चिकित्सा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान करने वाली कई शख्सियतों को भी पद्म अलंकरण मिला. समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी सहित कई वरिष्ठ मंत्री और गणमान्य अतिथि मौजूद रहे. कार्यक्रम में पारंपरिक भारतीय संगीत की प्रस्तुति ने माहौल को और भी गरिमामय बना दिया.

लोकगायिका शारदा सिन्हा को मिला यह सम्मान न केवल उनकी यादों को ताजा करता है, बल्कि लोकसंगीत को एक बार फिर केंद्र में लाने का प्रयास भी माना जा रहा है. यह पद्म विभूषण उनके योगदान का सच्चा सम्मान है और भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा भी.
