संपादकीय
नेपाल-भारत बीच स्थापित सम्बन्ध को कुछ परिधियों के तहत स्थापित है, ऐसा मानना हमारी अल्पज्ञानता होगी। नेपाल-भारत बीच स्थापित सम्बन्ध बहुआयामिक दृृष्टि से नैर्सर्गिक है, जिसे समय-समय पर हम नकारने की कोशिश करते हैं, पर ऐसा नहीं हो पाता है क्यो – क्योंकि इन दो देशों का सम्बन्ध नैर्सर्गिक है। भले ही नैर्सर्गिकता को हम ओझल करने की कोशिक करते हैं, पर होता नहीं है। यही तो दोनों देशों के बीच स्थापित सम्बन्ध की विशेषता है। बेटी-रोटी के सम्बन्ध को तथा भाषिक, सांस्कृतिक, धार्मिक सम्बन्धों को कौन तोडÞ सकता है –
शायद इसी सम्बन्ध के मद्देनजर रखते हुए कार्यकुशल एवं इमान्दार वर्तमान प्रधानमन्त्री डा. भट्टर्राई ने अपने भारत भ्रमण को सद्भावना भ्रमण की संज्ञा दिया है। उनका यह कहना है कि मेरा भारत-भ्रमण दोनों देशों और दोनों देशों की जनता के बीच सुमधुर सम्बन्ध विकास करना ही केन्द्रित होगा। उनका यह मानना भी मायने रखता है कि जहाँ निकटता या समीप्यता होती है, वहीं समस्या और तनाव उत्पन्न होता है। वस्तुतः यथार्थता को स्वीकारना ही बुद्धिमानी है। नीति भी यही कहती है कि दो व्यक्तियों, विचारो या देशों के बीच उत्पन्न समस्याओं को मिल बैठकर, सुलझालेना ही बुद्धिमता है। डा. भट्टर्राई ने द्विपक्षीय लगानी पर््रवर्द्धन तथा संरक्षण सम्झौता बिपा पर हस्ताक्षर करके यह संकेत दिया है कि नेपाल के आर्थिक विकास को द्रुततर आर्थिक विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए वे कटिवद्ध हैं। यही समयोचित जनता की मांग है। बिपा समझौते के विरोध में आवाजें उठना या सम्झौता के उद्देश्य या मर्म को बिना सोचे समझे राजनीतिक पर्ूवाग्रह एवं विद्वेशपर्ूण्ा विचारों से प्रेरित दिखाई देती है। भारत से पर्ूव भी नेपाल ने बिपा समझौता यू.के., प|mांस, जर्मनी, माँरिसस, कतार एवं फिनल्याण्ड देशों से कर चुका है ।
रक्षा मन्त्री की बर्खास्तगी, मधेशियों के लिए एक दुःखद राजनीति की शुरुवात है। रक्षा मन्त्री को सोची-समझी कुत्सित राजनीतिक मानसिकता का शिकार बनाया जाना अनुचित है। कारण मधेसियों को सेना में समावेश न करना विस्फोटक रुप ले सकता है। यह कहना रक्षा मन्त्री को राष्ट्रघाती बना सकता है तो हरके क्षेत्र में अपना अधिकार माँगने वाला हेरक नेपाल की मधेशी जनता, नेता खसवादी विचारों की दृष्टि में राष्ट्रद्रोही और राष्ट्रघाती है। इस विचार को खासकर मधेश भूमि पर राजनीति करने वाले नेताओं को बखूबी समझना चाहिए। क्या तथाकथित हत्यारा प्रभु साह को सत्ताच्युत कर दण्डित करना और आजन्म कैद सजाय प्राप्त बालकृष्ण ढुंगेल को राष्ट्रपति से माफी दिलवाना दण्डहीनता के मार्ग को और प्रशस्त करना नहीं तो और क्या कहा जा सकता है –