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अश्वत्थामाहतो:हत: ( सन्दर्भ- मधेश आन्दोलन) : बिम्मीशर्मा

बिम्मीशर्मा, काठमांडू, २७ अक्टूबर |



महाभारत के युद्ध में भीष्मपितामह के शर शैया में सोने के बाद आचार्य द्रोण ने कौरव की तरफ से सेनापति का कमान संभाला था । आचार्य द्रोण पाण्डव और कौरव दोनों के गुरु थे । द्रोण को मारे बिना पाण्डवों का युद्ध जितना नामुमकिन था । इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को आगे कर के द्रोण को मारने का फैसला किया । जबकि आचार्य द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा को चिरंजीवी होने का वरदान मिला था । वह कभी नहीं मर सकता यह बात पिता द्रोण को भी मालूम था ।

rajendra mahato
जब अश्वत्थामा नामक एक हाथी का वध कर के अश्वत्थामा हतो हत का हल्ला फैलाया गया तब युद्धरत पिता द्रोण के कानों तक भी यह बात पहुंची । उन्हे विश्वास नहीं हुआ और सत्यवादी युुधिष्ठिर से इस बात की सच्चाइ पूछने गए । तब धर्मराज युधिष्ठिर ने नरो वा कुन जरो वाअश्वत्थामाहतो:हत:कहा । उनके इतना बोलते ही शंखघोष हुआ और बांकी बातें शंखध्वनि में दब गई ।

अचार्य द्रोण अपने शस्त्र, अस्त्र का त्याग कर के पुत्र शोक में समाधिस्थ हो गए । उसी समय धृष्टधुम्न ने उनका सिर काट कर वध किया । आचार्य द्रोण को अपने पुत्र अश्वत्थामा को चिरंजीवी होने के आशिर्वाद पर यकीन था । पर उस से कहीं ज्यादा उन्हें धर्मराज युधिष्ठिर की बातों पर बिश्वास था । युधिष्ठिर के एकमात्र झूठ से गुरु द्रोण तो मरे ही साथ ही साथ युधिष्ठिर को भी जीवित ही नर्क भोग करना पड़ा ।

अब आतें है वर्तमान पर, ७२ दिन से मधेश में आन्दोलन चल रहा है । देश का मुख्य नाका वीरगंज शहर की सीमा मधेश आन्दोलनकारियों ने ३२ दिन से बन्द कर रखा है । पर देश की मीडिया तथाकथित नाकाबन्दी का दुन्दुभी बजाते हुए गलत को सही और सही को गलत बता रही है । समाचार के बीच, बीच मे डलर और यूरो का शंखघोष कर के सच्चाई को दबाया जा रहा है । वीरगंज और रक्सौल के सीमा पर आन्दोलन कर रहे बारा और पर्सा के मधेशी अपने घर से दाल और चावल ले कर जाते है और धरने पर बैठते हैं । रक्सौल के आर्य समाज आश्रम में यही दाल, चावल वह बना कर खाते हैं पर झूठ से सराबोर मीडिया भारतीय व्यापारी उनको मुफ्त में खिला रहे हैं का प्रचार करते है ।

खाना बन रहे का फोटो नहीं खीचेंगें पर पंक्ति में बैठ कर आन्दोलनकारियों का खाना खाता हुआ फोटो खींच कर पत्रिका में छापेगें और बोलेगें भारत आन्दोलन को हवा दे रहा है ? कोई देश या व्यापारी कितने दिन किसी को खिलाएगा ? कोई एक हो तो चलो मान भी लें पर यहां तो सौ से हजारों आन्दोलनकारीं हैं । पर मीडिया मधेश, मधेशी और आन्दोलन को बदनाम करने के लिए साजिश रच रहीं हैं । क्योंकि उसको यही करने के लिए डलर और पौण्ड मिल रहे हैं ।

kurmi samaj
अपनी पार्टी के प्रधानमन्त्री ५, ५ लोगों को उप प्रधानमन्त्री बनाए वह जायज है, अपनी घोषित गर्लफ्रैण्डको राष्ट्रपति बनाए उस से भी मीडिया को कोई परहेज नहीं है । पर मधेश आन्दोलन गलत है क्योंकि सारे मधेशी भारतीय हैं । मधेश अपना है पर मधेशी वह तो काले धोती, बिहारी और भारतीय हैं । मधेशी होना ही इस देश में एक जुर्म है ।

भारत बोले या हस्तक्षेप करे तो वह देश का सिक्किमीकरण करना चाहता है । पर चीन बोले या ड्रोन क्यामेरा से फोटो खिंच कर अपने पत्रकारों से जासुसी करवाए वह गलत नही हैं । चीन मुफ्त में नेपाल को तेल देने के लिए बेताब है पर यह इस की साजिश नही । न यह तिब्बतीकरण करने का सवाल है । चीन में तो खुद ही लोकतन्त्र नहीं हैं ।चीन मे फेसबुक और ट्विटर बन्देज है । पर चीन तो महान हैं क्योंकि वह भारत का दुश्मन है । भारत के दुश्मन सारे पाकिस्तान और बंगलादेश नेपाल और नेपालीयों को प्रिय है । पर भारत तो दुश्मन है । भूकम्प गया अफगानिस्तान और पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति हैं पर भारत के भूकम्प पीडित को वह सहानुभूति देना तो दूर की बात उल्टा खुशी जाहिर कर रहे हैं ।

भारत जितना भी नेपाल में हस्तक्षेप करे या अपना अपना स्वार्थ देखे पर उसने कभी भी यहां के धर्म संस्कृति पर धावा नहीं किया न ही दगा किया हैं । पर देश के नाम चीन आएनजिओ और यूरोपियन यूनियन अपने यूरों से सब नेताओं को खरीद रही हैं । बिना जनमत संग्रह किए देश को धर्म निरपेक्ष बना दिया जाता है और यहां की मीडिया उसी रगं मे रगं कर धर्म निरपेक्षता का भजन करती है । वह दिन दूर नहीं जब आंगन में दूर से नजर आने वाला तुलसी के चौवारे की जगह क्रश का चिन्ह दिखाइ दे । और लोग आपत, विपत में ‘हे राम’की जगह ‘ओह गॉड’ करने लग जाएं ।

पर कोई बात नहीं, अभी दशहरा मे सप्तमी के दिन गोरखा जिले से प्रत्येक साल हनुमान ढोका में आनेवाला फूलपाती इस साल तेल अभाव का बहाना कर के नहीं आया । सैकडों साल से चली आ रही परम्परा को धर्म निरपेक्षता के नाम पर वलि चढा दिया गया । पिछले साल गढी माई के मेला पर भी यही हाल था । पर अश्वत्थामाहतो हत कर के मीडिया शांत हो जाती है । वह अश्वत्थामा सच मे कोई पशु था या कोई इन्सान या सिर्फ हौव्वा था ? इस बात की जड़ तक पहुंचने के लिए मीडिया को मनाही है । वह उतना ही दिखाएगी जितनों का डलर उन्होंने खाया है ।

नेपालियो को बिहार और बिहारियों से बहुत ही नफरत है और इसीलिए उन्हे धोती का ताना देते हुए भिखमंगे की तरह बर्ताव करते हैं । पर इन मूढ मगज नेपालियों को यह नहीं पता कि बिहार प्राकृतिक स्त्रोत साधन मे भारत का अव्वल राज्य है और भारत के प्रशासन और नौकरशाही पर बिहारीयों का अग्राधिकार हैं । भारत के बडे बड़े सरकारी अधिकारी बिहार से ही हैं । पर इन्हे कौन बताए या सम्झाए ? इन्होने तो बस एक राजेन्द्र महत्तो को देखा है । राजेन्द्र महत्तो मधेशी है और बिहार मे पैदा हुए इसीलिए गलत हैं, उनकी नागरिकता गलत है । पर तमिलनाडु मे पैदा हुई और औधोगिक घराना गोल्छा मे शादी कर के आई राज्यलक्ष्मी गोल्छा वह तो नेपाली हो गई ? क्योंकि राज्यलक्ष्मी धनाढय परिवार से है और बिहारी नहीं है इसलिए करोडों रुपैंया नेकपा एमाले को चन्दा दे कर समानुपातिक सीट मे झट से सभासद बन गइ । अब राज्यलक्ष्मी सभासद का पद छोड्ने की बात पर एमाले को सात करोड का चन्दा गोल्छा परिवार की तरफ से देने की बात पर चर्चा में है । पर एमाले यह सब झूठ और अफवाह है कह रहा है । कौन जाने सच क्या है ?

पर नेपाली समाज और मीडिया में अश्वत्थामाहतो हत का विष बेल खूब फलफूल रहा है । धर्मराज युधिष्ठिर ने तो महाभारत के युद्ध को निर्णायक मोड़ देने के लिए एक बार झूठ बोला या भगवानश्री कृष्ण ने उन से बुलवाया । इस का दण्ड भी उन्हें जीवित ही नर्क भेज कर दिया गया । पर नेपाली समाज और यहां की मीडिया जो हवा से बातें उधार लेती हैं आर आधी अधूरी बातों का भ्रम फैला कर समाज को तोड़ने का काम कर रही है । जब से मधेश आन्दोलन शुरु हुआ है तब से जातीयता, क्षेत्रीयता और धार्मिक विद्धेष को बढावा दिया जा रहा है । सब बातों का कसुरवार भारत को मानते हुए उसी के सिर पर ठिकरा फोड़ा जाता है । दिखाया दुश्मन भारत को जाता है पर भीतर से करवा कोई और ही रहा हैं । क्योंकि डलर, पौण्ड और यूरो के नशे में बेदम हो चुकी यहाँ की मीडिया, बुद्धिजीवी और समाज सिर्फ अश्वत्थामाहतो हत बोल कर अपनी मनोकांक्षा का युद्ध जितना चाहते है । इसीलिए शंख की ध्वनि पर सच्चाई को रौंद कर तथाकथित महाभारत का युद्ध जीतने का ख्वाब जो देख रहे हैं । (व्यग्ंय)



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