नेपालि टेलिविजन चानल कि दुराबस्था
वीरेन्द्र केएम
इतिहास बताता है कि नेपाल में खासकर प्रजातन्त्र स्थापना के बाद उल्लेखनीय रुप में नेपाली सञ्चार माध्यम ही स्थापित हुआ है, अथवा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप में राजनीति के नजदीक मानी जानेवाली नेपाली सञ्चार व्यवस्था हीं यहां ज्यादा संख्या में स्थापित है। वैसे तो नेपाली सञ्चार माध्यम अब तक भी व्यावसायिक रुप में स्थापित नहीं हो सका है। कुछ बडे सञ्चार माध्यमों को छोडकर प्रायः सभी सञ्चार माध्यम की अवस्था अभी तक व्यावसायिक नहीं हो पाई। ०४६/०४७ के जनआन्दोलन के बाद मूलतः नेपाल में सञ्चार माध्यमों की स्थापना तीव्र गति से बढÞी है लेकिन व्यावसायिकता अभीतक पर्ूण्ा रुप में नहीं आई है। वैसे तो नेपाल में प्रिन्ट मीडिया की संख्या ही उच्च है। फिर भी जनआन्दोलन-२ के बाद एकबारगी ‘मल्टिमिडिया’ अर्थात् विद्युतीय सञ्चार माध्यमों की स्थापना तेजी से बढÞी है। एफएम रेडियो, अनलाइन पत्रिका और टेलिभिजनों की संख्या थोडेÞ समय में ज्यादा बढÞी है, यह यथार्थ है। वैसे तो सञ्चार माध्यम का विषय स्वयं में महत्वपर्ूण्ा है, जिसे यहाँ संक्षेप में वर्ण्र्ाानहीं किया जा सकता लेकिन नेपाली टेलिभिजनों का प्रसंग यहाँ उल्लेखनीय है। वर्तमान समय में नेपाल में कार्यरत टेलिभिजन चैनल की संख्या को मामूली नहीं ठहराया जा सकता। नेपाली सञ्चार माध्यमों का इतिहास देखा जाए तो इतनी अधिक संख्या में टेलिभिजनों की स्थापना स्वयं में एक ऐतिहासिक घटना है। केबल सरकार द्वारा सञ्चालित नेपाल टेलिभिजन से नेपाली जनता सञ्चार माध्यम की सुविधा ले रही थी। इस अवस्था में पहला निजी टेलिभिजन के रुप में ‘च्यानल नेपाल’ नामक टेलिभिजन आया था। उसके बाद अभी दर्जनों नेपाली टेलिभिजन सञ्चालित है।
नेपाल जैसे छोटे देश में, उसमें भी खासकर उद्योग-व्यवसाय के मामले में कमजोर हमारे देश में दर्जन से ज्यादा टेलिभिजन चैनल सञ्चालित होना समान्य बात नहीं है। लेकिन टेलिभिजन सञ्चालन होना ही बढÞी उपलब्धि नहीं है। भू-उपग्रह के द्वारा यहा दर्जन से ज्यादा टेलिभिजन चैनल सञ्चालित हैं और केबुल टेलिभिजन चैनलों की संख्या भी कम नहीं है। टेलिभिजन की संख्या ज्यादा होना खुशी की बात है, इसमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सयकडों सञ्चारकर्मी को रोजगार मिलता है और इन टेलिभिजन मार्फ कितने ही सञ्चारकर्मी प्राविधिक, इन्जिनियर जैसी जनशक्ति का जीवनयापन हो रहा है लेकिन यहाँ सोचनीय बात है कि टेलिभिजन की संख्या तो बढि फिर भी इससे सम्बन्धित ठोस व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि नहीं हर्इ। विज्ञापन का बाजार दिन प्रति दिन घट रहा है। इसीलिए टेलिभिजन में कार्यरत सञ्चारकर्मियों का भविष्य भी सुरक्षित है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। टेलिभिजन में कार्यरत सञ्चारकर्मियों का रुप, रंग, भेषभूषा टेलिभिजन में जितना बढिÞयाँ दिखाइ देता है, उसी अनुपात में वे लोग अन्दर से सन्तुष्ट नहीं हैं। एक ही र्टाई-सूट-कोट पहन कर अनेकों टेलिभिजन एंकर अपनी प्रस्तुति में दिखते हैं। शायद नेपाली टेलिभिजन की आर्थिक दुरावस्था के बारे में इससे बडÞा दूसरा प्रमाण कुछ नहीं हो सकता।
विश्व में टेलिभिजन पत्रकारिता को महंगी और आधुनिक पत्रकारिता भी कहते हैं। मगर नेपाल में प्रसारित टेलिभिजनों में आधुनिकता नहीं दिखाई देती। विश्व की तो बात ही क्या – हमारे पडसी भारत के टेलिभिजन चैनल अपने देश में विश्व के बडेÞ-बडेÞ चैनलों को स्थापित होने देना नहीं चाहते। भारतीय टेलिभिजनों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति अन्तर्रर्ाा्रीय स्तर के समकक्ष पहुँचाई है। इसलिए भारतीय जनता में विश्व के अन्य टेलिभिजन जम नहीं पा रहे है। लेकिन अपने नेपाल में अभीतक नेपाली टेलिभिजनों ने दर्शकों की इच्छा अनुरुप खुराक प्रस्तुत नहीं किया है। भारत लगायत अन्य देशों में इस समय उच्च प्रविधि का प्रयोग हो रहा है। जिसमें लागत करोेडÞों से ऊपर है लेकिन हमारे देश में टेलिभिजन में अभी तक सामान्य प्रविधि का ही प्रयोग हो रहा है। तर्सथ नेपाली दर्शकों के बीच में यह स्थापित नहीं हो पा रहा है, इस में कोई सन्देह नहीं।
स्टार प्लस, जी टीभी, सोनी आदि मनोरञ्जनात्मक टेलिभिजन चैनल हो अथवा स्टर न्यूज, जी न्यूज, आजतक, इन्डिया टीभी आदि न्यूज चैनल हों, इन के अतिरिक्त सिएनएन, बीबीसी, भिडियो वर्ल्ड, फक्स न्यूज, फक्स इन्टरटेन्मेन्ट को भारत में स्थापित होने नहीं दिया गया है लेकिन यहाँ वही स्टार प्लस और स्टार न्यूज स्थापित है। ऐसी अवस्था कैसे आई – इसके बारे में खोज-तलाश अभी नहीं हर्ुइ है। विश्व में सञ्चार माध्यम अथवा टेलिभिजन को सामान्य मान्यता से देखा जाए तो एक देश का टेलिभिजन चैनल दूसरे देश में प्रसारण करने से पहले उस देश के सम्बन्धित निकाय से स्वीकृति लेनी होती है और जहाँ से वह स्वीकृति मिलती है, वहां की जनता की इच्छा अनुरूप चैनल अपने कार्यक्रमों की प्रस्तुति करते हैं। यदि न्यूज चैनल हो तो कुछ समय उस देश की खबर को भी प्राथमिकता मिलनी चाहिए। मगर हम लोगों के देश में अभी यह प्रावधान लागू नहीं है। यहां अन्तर्रर्ाा्रीय टेलिभिजन चैनल अपनी-अपनी प्रस्तुति अपने-अपने ढंÞग से कर रहे है। इनमें नेपाल के विषय में कुछ नहीं होता फिर भी नेपाल में प्रसारण बापत रेमिट्यान्स उन्हें मिल रहा होता है। इन कारणों को मुख्य कहा जा सकता है, नेपाली टेलिभिजन खुद नेपाल में स्थापित न हो सकने का। तर्सथ सम्बन्धित निकाय इस बारे में ध्यान दे तो अच्छा रहेगा।
इस देश के न्यूज चैनल टेलिभिजन स्त्रिmप्टमुखी हैं, रोलमुखी नहीं हैं। अर्थात् यहाँ किसी भी समाचार को स्त्रिmप्ट में ही सीमित रखकर उसके प्रभाव को कम किया जाता है। खासकर न्यूज चैनल में कार्यरत एंकर द्वारा समाचार लिंक होना चाहिए था। अब उस के बाद स्ट्याण्डप से पिटिसी तक सम्बन्धित रिपोर्टर ही प्रस्तुति करते तो शायद यह अवस्था न आती। अमुक्त नेता ने अमुक्त बात कही, अमुक्त मन्त्री ने ऐसा बताया, इस प्रकार का औपचारिक न्यूज नेपाली न्यूज चैनल में मुख्य न्यूज का रोल अदा करते हैं। और देशों में खोजमूलक समाचार को प्राथमिकता दी जाती है। वहां औपचारिक कार्यक्रम के समाचारों को ज्यादा तरजीह नहीं दी जाती। लेकिन यहां ठीक उलटी अवस्था है। अन्य देशों में हर घण्टे में प्रमुख समाचार बदलते है, अथवा कौन सा न्यूज कितना महत्वपर्ूण्ा होता है, इसे बहस का मुद्दा बनाया जाता है। यहां पर वैसा प्रावधान नहीं है। फिर भी नेपाली टेलिभिजन बिलकुल बेकार है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह टेलिभिजन चैनल भी अन्तर्रर्ाा्रीय मान्यता को स्वीकार करते हुए प्रसारण करें, ऐसा कहने का मतलब है। यहां कोई एक न्यूज चैनल सुवह से शाम तक देखा जाए तो एक भी स्ट्याण्ड से पिटिसी सहित की स्टोरी देखने में नहीं आती। लेकिन अन्य देशों के न्यूज चैनल स्ट्याण्ड, पिटिसी के बुते पर चलते है और वहां के न्यूज एंकर सिर्फन्यूज को लिंक करने में स्टुडियो में रहते है।
अतः नेपाली टेलिभिजन चैनलों को ठीक से स्थापित करना इस समय का सब से महत्वपर्ूण्ा कार्य है। सम्बन्धित विभाग भी नया टेलिभिजन सञ्चालन करने की स्वीकृति देते समय बाजार व्यवस्था से लेकर आय-आर्जन की अवस्था तक को देखते हुए काम करे। अन्य देशों के टेलिभिजन द्वारा नेपाल में सञ्चालित विदेशी प्रस्तुति का भी मूल्यांकन करना चाहिए। इस क्षेत्र के पत्रकारों की अवस्था और वास्तविकता के बारे में अध्ययन और अनुसन्धान भी आवश्यक है। सम्भवतः उस के बाद ही नेपाली टेलिभिजन चैनलों में स्थापित होने की क्षमता आएगी।
-लेखक भारत स्थित स्टार न्यूज के नेपाल प्रतिनिधि हंै।)