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विजेता चौधरी,काठमांडू, आश्विन ५ ।
हिन्दी की चर्चित साहित्यकार डा. श्वेता दीप्ति की तीन साहित्यिक कृतियों का आज एक विशेष कार्यक्रम के बीच लोकार्पण किया गया ।
डा. कृष्णचन्द्र मिश्र पब्लिकेशन प्रा.ली. तथा हिमालिनी हिन्दी मासिक पत्रिका के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम के बीच तीनों कृतियों के विमोचन के साथ कनाडा में हिन्दी साहित्य का प्रवद्र्धन एवम् विस्तार करने वाले हिन्दी के विद्वान शरण घई को हिमालिनी के द्वारा सम्मान प्रदान किया गया ।
तीनो कृतियों का विमोचन उपप्रधान एवम् गृहमन्त्री विमलेन्द्र निधि, हिन्दी के विद्वान शरण घई, भारतीय दूतावास पी आई सी प्रमुख रुविज्स्प्रित शर्मा तथा हिमालिनी के अध्यक्ष सच्चिदानन्द मिश्र ने संयुक्त रूप से किया ।
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नेपाल में हिन्दी साहित्य एवम् भाषा के विकास में निरन्तर सक्रिय रहीं डा. दीप्ति की समालोचनात्मक कृति विविधा,  विश्लेषणात्मक कृति नारी जीवन ः विगत से वर्तमान एवम् शोध पुस्तक के रूप में उषा प्रियम्बदा का कथा जगत और नारी त्रासदी का लोकार्पण किया गया ।
कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि रहे गृहमन्त्री निधि ने अपना मन्तव्य व्यक्त करते  हुए कहा कि नेपाल में कभी हिन्दी बोलने पर पाबंदी लगती थी लेकिन सरकार का व्यवहार हिन्दी के प्रति चाहे जैसा भी रहा हो वो रुका नहीं । उन्होंने कहा हिन्दी भाषा नेपाल में आगे बढ़ती रही है और बढ़ती ही रहेगी ।
गृहमन्त्री निधि ने कहा कि हिन्दी समृद्ध एवम् सम्पन्न भाषा है नेपाल में इस की रक्षा व विकास के लिए हम सब को मिलजुल कर कार्य करना चाहिये । उन्होंने संविधान संशोधन में कई मुद्दो में भाषा भी एक है बताते हुए कहा कि भाषा आयोग जो प्रतिवेदन दें उस के एक अनुसूचि में नेपाली भाषा के अलावा अन्य भाषाओं को भी इस में रखा एवम् स्वीकार किया जाए ।
गृहमन्त्री निधि ने कृष्णचन्द्र मिश्र व अपने पिता महेन्द्रनारायण निधि की मित्रता के कई प्रसंङ्गों का स्मरण करते हुए मिश्र प्रति सम्मान व्यक्त किया । साथ ही उन्होंने साहित्कार दीप्ति को साहित्य कृतियों के लिए बधाई देते हुए हिमालिनी के उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की ।
कार्यक्रम में अपना मन्तव्य व्यक्त करते हुए  भारतीय विद्वान शरण घई ने कहा कि कवि साहित्यकार समाज को प्रेरणा देता है । सही दिशा की ओर लेकर चलता है फिर कवि बेचारा कैसे हो सकता है ? उन्होंने समाज व राष्ट्र को साहित्यकारों का साहस बढाने का आग्रह किया ।
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कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय दूतावास की रुवी जसप्रित कौर ने साहित्यकार डा. दीप्ति की तीन हिन्दी भाषा साहित्य की कृति एक साथ आने पर गौरब महसूस होने की बात बताई । उन्होंने लेखिका को बधाई दिया ।
कार्यक्रम में बोलते हुए हिन्दी के साहित्यकार डा. रामदयाल राकेश ने लेखिका को प्रतिभा का धनी बताते हुए कहा आज का दिन ऐतिहासिक हैं क्योंकि नेपाल के हिन्दी साहित्य जगत में एक साथ तीन तीन कृतियों का लोकार्पण नही किया गया था । उन्होंने इसे गौरब की बात बताया ।
कार्यक्रम में अपना मन्तव्य प्रस्तुत करती हुई साहित्यकार एवम् हिन्दी मासिक पत्रिका की संपादक डा. दीप्ति ने प्रकाशन संस्था को आभार प्रकट करते हुए कहा साहित्य जीवन का मर्गदर्शक होता है । उन्होंने लोकार्पित  कृति विविधा के सन्दर्भ में बताया विविधा में मेरी एक छोटी कोशिश है उन्हें छूने की जिन्होंने इस समाज और देश को परखा और उस की व्याख्या की । कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने विविधा में हिन्दी एवम् नेपाली के कुछ मुख्य लेखकों को समेटने की कोशिश की गई है बताया ।
उन्होंने अपनी दूसरी कृति नारी जीवन ः विगत से वर्तमान के प्रसंगों को जोड़ते हुए कहा महिलाओं के प्रति बढ़ती विकृतियों का कारण पुरुष से अधिक वो समाजिक सोच है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक स्त्री पुरुष को अलग अलग नियमों में बाँधती है । इसी दर्द को जानने और समझने का प्रयास है उक्त विश्लेषणात्क कृति ।
उषा प्रियम्बदा का कथा जगत और नारी त्रासदी में द्वैद्ध की सत्ता और अन्तरद्वन्द्ध को उनके कृतियों में खोजने का मेरा प्रयास है ।
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कार्यक्रम में अपना अध्यक्षीय मन्तव्य व्यक्त करते हुए प्रकाशन संस्थान के अध्यक्ष एवम् हिमालिनी हिन्दी मासिक पत्रिका के प्रबन्ध निदेशक सच्चिदानंन्द मिश्र ने हिन्दी के महान विद्वान के नाम स्थापित कृष्णचन्द्र मिश्र प्रकाशन संस्थान से दूसरी हिन्दी की विदुषी साहित्यकार की कृतियों का प्रकाशन करने से गौरब महसुस होने की बात की । उन्होंने  हिन्दी भाषा साहित्यक में समर्पित कृष्णचन्द्र मिश्र पब्लिकेशन  आगामी दिनों में भी हिन्दी भाषा एवम् साहित्य के विकास में समर्पित रहेगी बताया ।
कार्यक्रम में साहित्यकार करुणा झा ने शरण घई के व्यक्तित्व के उपर प्रकाश डाला । वहीं हिमालिनी समाचार प्रमुख विजेता चौधरी ने साहित्यकार डा. श्वेता दीप्ति के व्यक्तित्व के विषय में परिचित करवाया । कार्यक्रम का संचालन पूजा गुप्ता ने किया ।
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कार्यक्रम में हिन्दी, नेपाली लगायत के साहित्यकारों की उपस्थिति के साथ ही राजनीतिक व्यक्तित्व एवम् भाषा साहित्य प्रेमियो की भारी उपस्थिति थी ।



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