क्या नेपाल चीन का उपनिवेश बनने की तैयारी में है ? श्वेता दीप्ति
श्वेता दीप्ति, काठमांडू ,३० सितम्बर |
सार्क सम्मेलन को लेकर जो नीति नेपाल की आ रही है कई मायने में यह एक विफल नीति साबित हो सकती है । क्या नेपाल उपनिवेश बनने की तैयारी में है ? अन्तर्राष्ट्रीय जानकारो का मानना है कि जिस तरह पाकिस्तान चीन के प्रभाव में है और एक तरह से चीन का उपनिवेश बन चुका है ऐसे में नेपाल का चीन प्रेम क्या नेपाल को भी उसी राह में ले जाने की तैयारी है ? क्योंकि नेपाल की के.पी.ओली के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा चीन की वन बेल्ट वन रोड सहित कई रणनीतिक प्रोजेक्टस का हिस्सा बनकर नेपाल की जमीन का बृहत हिस्सा गिरवी रखने की राह बन चुकी है । ऐसे में जब आतंकवाद के मसले पर सार्क के कई देश भारत के समर्थन में हैं वहीं सार्क के अध्यक्ष की भूमिका में रहे नेपाल की शुरु से खामोशी और अब किसी भी तरह सार्क सम्मेलन कराने की कोशिश सरकार को सवालों के घेरे में ला रही है ।
नेपाल अगर स्पष्ट तौर पर सामने नहीं आता है तो इसका असर नेपाल भारत की सीमा पर अवश्य पडने वाला है । जिसकी शुरुआत भी हो चुकी है । भारत अपनी सुरक्षात्मक कारणों को दिखाकर सीमा पर चौकसी या प्रतिबन्ध लगा सकता है जिसका खामियाजा सबसे अधिक तराई और तराईवासियों पर होगा । सरकार को इन अवश्यम्भावी सम्भावनाओं और समस्याओं की ओर ध्यान देना ही होगा । जहाँ भारत सहित चार देशों ने पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना कर दिया हो, बावजूद इसके नेपाल इसे निर्धारित समय पर कराने की कोशिश में जुटा है। इसके लिए उसने सभी सदस्य देशों से रचनात्मक माहौल बनाने का आग्रह किया है।
इस्लामाबाद में प्रस्तावित दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क०)के शिखर सम्मेलन में भारत के हिस्सा लेने से इन्कार के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी इसमें शिरकत करने से मना कर दिया है।
नेपाल ने गुरुवार को कहा, उसे अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान और भारत से नवंबर को होने वाले सार्क सम्मेलन में भाग नहीं लेने की सूचनाएं मिली हैं। इन देशों का कहना है कि मौजूदा क्षेत्रीय माहौल रचनात्मक नहीं है।
उसने अपने विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट बयान में कहा है, हमने इस घटनाक्रम को गंभीरता से लिया है। नेपाल मजबूती के साथ आग्रह करता है कि इस सम्मेलन में सार्क चार्टर की भावना के अनुरूप सभी सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जल्द रचनात्मक माहौल बनाया जाएगा।
मौजूदा नियमानुसार, अगर कोई एक सदस्य देश भी खुद को अलग कर लेता है तो सम्मेलन स्वतः ही रद या स्थगित हो जाएगा। सम्मेलन से खुद को अलग करने वाले देशों ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर ऐसा माहौल पैदा करने का आरोप लगाया है जो इस सार्क की बैठक की सफलता के अनुकूल नहीं है।
फिहाल यह समझने वाली बात है कि भारत की नीति को अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है ऐसे में नेपाल की कोई भी दोमूँही नीति आत्मघाती साबित हो सकती है ।
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सार्कअध्यक्ष राष्ट्र के हैसियत से नपाल ने बैठक बाेलाना चाहिहे , अाैर शान्ति कायम राख्नेके लिय बैठक जरुरि हे.