भाषा पर बढता विवाद
करुणा झा
मातृभाषा का संरक्षण एवं जातीय पहचान सहित विषयों को ले कर सचे तना जगाने के उद्दे श्य से राजविराज मे “भाषिक जागरणा अभियान समिति” का गठन किया गया है । वै शाख १ गते विभिन्न जातीय संस् था एवं नागरि क समाज के साथ अन्तर क्रिया कार्यक्रम का आयो जना भी किया गया । आगामी जे ठ महिना से संचालन हो ने वाला राष्ट्रिय जनगणना मे ं मै थिली भाषा को कमजो र न बना दे , इसके लिए मै थली साहित्य परि षद् के अगुवाई में भा षिक जागर ण अभियान समिति का गठन किया गया । आगामी राष्ट्रिय जनगनणा में लोगों को अपने मातृ भाषा के प्रति सचे त तथा सजग र हने के प्रति जागर ण अभियान काम करे गी ।
मिथिला राज्य संर्घष्ा समिति के संयो जक एवं प्राध्यापक पर मे श्वर कापडि ने मातृभाषा के प्रति मधे शी लो गों को जिम्मे वार नहीं हो ने का आरो प लगाया है । भाषिक जागर ण अभियान समिति द्वारा आयो जित “राष्ट्रिय जनगणना में मातृभाषा एवं जातीय पहचान” विषय के अन्तर क्रिया कार्यक्रम मे बो लते हुए उन्होंने मधे शवादी दलों पर आरो प लगाय । मधे शवादी दलो ं का मातृभाषा मै थिली हो ते हुए भी अपने स् वार्थ सिद्धि के लिए हिन्दी भाषा को लादने का प्रयास कर मै थिली भाषा के ऊपर दमन किया गया है । तथ्यांक मिथ्यांक न हो ने दे ने के लिए सम्पर्ूण्ा मिथिला भाषी जनगणना मे ं सत्यतथ्य विवर ण को लिखाने के लिए सजग हो ने के लिए प्रे रि त किया । मिथिला तथा मै थिली भाषा के ऊपर आघात पहुँचाने वाले तत्वो ं से मै थिलवासी को सजग हो ना पडे गा । अपनी स् वार्थ पर्ूर्ति के लिए नौ टंकी कर ने वालो ं से सावधान हो अपनी भाषा, संस् कृति एवं पहचान को कायम र खने के लिए सबको प्रतिबद्ध हो ना चाहिए । प्राध्यापक अमर कान्त झा ने मधे श से प्रतिनिधित्व कर ने वाले ६४ सभासदो ं द्वार ा अपनी मातृभाषा को हिन्दी बताए जाने की जानकारी दी
मै थिली प्रे मी अधिवक्ता अशो क कुमार चौधरी ने कहा, “ ाज्य द्वार ा मै थिली भाषा की उपे क्षा के कार ण इसका समुचित विकास नहीं हो सका । अभी तक मै थिली ने पाल की दूसर ी महत्वपर्ूण्ा भाषा के रुप मे र हा है , मगर र ाज्य के बे इमानी पर्ूण्ा नियत के कार ण आज इसके लिए सशक्त आन्दो लन की आवश्यकता है । आने वाले दिनो ं मे ं मै थिली भाषी सचे त हो ते है ं, तो ही मै थिली भाषियो ं का वास् तविक तथ्यांक आ सकता है । ने पाल का अति प्राचीन भाषा हो ते हुए भी, इस भाषा को दबाने के लिए शासक मानसिकताओ ं की कमी नहीं है ।
इसी तर ह जनकपुर मे ं भी कुछ मै थिली संघ संस् थाओ ं ने मिलकर ऐ सा ही अभियान शुरु किया है । पर न्तु, एक ही मिथिला क्षे त्र मे ं मै थिली भाषा भी विभिन्न ढंग से बो ले जाने के कार ण यहाँ भी स् िथति विवादित बनी हर्ुइ है । मो र ंग, सुनसर ी, सप्तर ी, सिर हा, धनुषा, महो त्तर ी, र्सलाही, र ौ तहट सब मै थिली भाषी क्षे त्र हो ने के बावजूद कोर् इ इसे अंगिका कह र हा है तो को इ बज्जिका तो कोर् इ मगही, अब दे खना यह है कि भाषा की यह जंग क्या रुप ले ती है । इधर मधे शवादी दलो ं ने कहा है कि हम लो गो ं की बातो ं को तो ड मर ो डकर जनता के सामने र खा गया है । इधर बृशे षचन्द्र लाल ने कहा है कि इस तर ह का भ्रम कही र ाजनीतिक षडयन्त्र तो नहीं है । मधे शवादी दलो ं का कहना है कि भाषा के संबन्ध मे इस बार के र ाष्ट्रिय जनगणना मे ं सजग औ र सचे त र हने की आवश्यकता है । संघीय शासन प्रणाली के लिए सही तथ्यांक की बहुत ही आवश्यकता है । संघीयता विर ो धी कुछ तत्वो ं द्वार ा मधे श आन्दो लन को कमजो र कर ने की साजिश है ।
भाषा की कोर् इ सीमा नहीं हो ती, न ही दे श से इसका कोर् इ सम्बन्ध है । भाषा किसी दे श की सीमा तक सीमित नहीं अंग्रे जी विश्व मान्य भाषा है । संस् कृत औ र लै टिन अपनी अतीत की समृद्धता के कार ण अभी भी सब भाषाओ ं के जड मे ं सम्मानित है । दक्षिण अप्रिmका दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है । वहाँ प्रथम भाषा औ र द्वितीय भाषा हो ती है । प्रथम मातृभाषा औ र द्वितीय र ाष्ट्रभाषा । अब दे खना ये है कि भाषा के इस अभियान मे ं लो ग किस तर ह अपनी र ाजनीतिक र ो टियाँ से कते है ं । को इ भी मुद्दा क्यू न हो दे श का र ाजने ता कहीं भी अपना स् वार्थ सिद्ध कर ने से बाज नहीं आते । ये भाषिक जागर ण अभियान अपने अभियान मंे सफल हो ता है या र ास् ते मे ं ही दम तो ड दे ता है ।
