Day: May 14, 2011
हे मानव तुम उदार बनोरवीन्द्र झा ‘शंकर’/p>
जो प्रसन्न र हता है , वही उदार है । मनुष्य में प्रसन्न र हने की इच्छा स् वाभाविक है ,
उदाहरणीय न्यायमर्ूर्तिधीरेन्द्र साह
लगभग पूरी तरीके से भ्रष्ट हो चुकी न्याय व्यवस्था में रामप्रसाद श्रेष्ठ एक अपवाद के
आस्था का तंत्रसतीश वर्मा
अगर इस बात के ठो स आंकडे जुटाने की को शिश हर्इ कि धर्म के नाम पर
नेपाल से जुडी बचपन की वो अमिताभ
भारत औरनेपाल, सुनने मे दो अलग-अलग शब्द लगते हैं और हैं भी दो अलग-अलग दे श ।
राजनीतिक दुष्चक्र में फ“सा अर्थतंत्रप्रा. रश्मि वर्मा
नयाँ वर्ष२०६८ शुरु हो ने से ठीक पहले अर्थमंत्री ने दे श की आर्थिक स िथति पर श्वे त
भाषा पर बढता विवादकरुणा झा
मातृभाषा का संरक्षण एवं जातीय पहचान सहित विषयों को ले कर सचे तना जगाने के उद्दे श्य से
दमन कब तक
ने पाल के मधे शियों को शासक के द्वारा शो षण कर ना या दबाना कोर् इ नई बात नहीं
परम्परा का पालन
हजारो की भीड के सामने जुजुभाई वाँस श्रेष्ठ की जीभ में र्सर्ुइ चुभाई जाती है
ये कैसे कामरेड कमल कोइराला
पश्चिम बंगाल के कम्यूनिष्ट मुख्यमंत्री आज भी दो ही कमरे के फ्लै ट में र हते हैं ।
गिरती लोकप्रियता
संविधान सभा के अध्यक्ष जैसे जिम्मेवारी भर पद पर बिठाते समय सभी राजनीतिक दलो मे
सुर क्षा पर सख्त र वै यारामाशीष
भारतीय विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा के नेपाल भ्रमण के बार में लगाए जा रहे राजनीतिक