उदाहरणीय न्यायमर्ूर्ति
धीरेन्द्र साह
लगभग पूरी तरीके से भ्रष्ट हो चुकी न्याय व्यवस्था में रामप्रसाद श्रेष्ठ एक अपवाद के रुप मे आए । एक वर्षतक प्रधान न्यायाधीश के पद पर रहतेश्रेष्ठ ने अपनेकार्यकाल मे कई ऐसे काम किए जिसे नेपाल की न्याय व्यवस्था में एक इतिहास बन गया । भ्रष्टाचार के मामलो में लिप्त रहे पर्ूवमंत्री चिरंजीवी वाग्ले कोजेल की सजा सुनाने से लेकर कई वषोर्ं तक धूल जम कर र हे पर्ूव मंत्री गो विन्द राज जो शी व खुम बहादुर खड्का की फ ाइलो ं को खो लकर उनके भी जे ल जाने का रास् ता साफ कर दिया । इसी तर ह जितनी भी मनमानी कर ने व कार्र वाई के दायरे में ना आने वाले अख्तियार दुरुपयो ग अनुसंधान आयो ग के दो पर्व आयुक्त पर भी मुकदमा चलाने का आदे श दिया ।
ये तो हुए कुछ बाहर की बाते \ं । न्यायपालिका के भीतर न्यायाधीशो ं के भ्रष्टाचार मे ं लिप्त हो ने की बात को भी गंभीर ता से ले ते हुए र ाम प्रसाद श्रे ष्ठ ने सवोर् च्च अदालत के न्यायाधीश से ले कर पुनरावे दन अदालत एवं जिला अदालत के न्यायाधीशो ं को पद से बर्खास् त कर ने तक की हिम्मत जुर्टाई । अपनी स् वच्छ छवि की पहचान बनाने के लिए श्रे ष्ठ ने अवकाश ग्रहण के एक महिना पर्ूव ही मुकदमे से अपने आप को अलग कर एक नई मिशाल कायम की । ताकि न्यायाधीशो ं पर अंतिम सयम मे ं लगने वाले उन आर ो पो ं को खारि ज कर दी है , जिसके अनुसार न्यायाधीशो ं पर अंतिम समय मे ं भी पै सा कमाने की हो ड लगी र हती है ।
ऐ से अने क कार ण है ं जिसकी वजह से सर ल स् वभाव के र ामप्रसाद श्रे ष्ठ चर्चा मे ं आए । उनका एक महीने पहले अवक ाश ले ना भी चर्चा का विषय र हा औ र उनकी से वानिवृति भी मीडिया मे ं खासी चर्चा बटो र ी है । नौ कर ी कर ना व रि टायर्ड हो ना एक सामान्य प्रक्रिया है जिसकी कोर् इ खास चर्चा नहीं हो ती है ले किन न्यायाधीश श्रे ष्ठ का हर े क काम चर्चा का विषय बना औ र उनकी रि टायर मे ण्ट ने जिस तर ह से समाचार पत्रो ं व टीवी चै नलो ं मे ं सर्ुर्खियाँ बटो र ी उससे उनकी लो कप्रियता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है । प्रधान न्यायाधीश के पद से से वानिवृत हो ने के बावजूद र ामप्रसाद श्रे ष्ठ ने कुछ ऐ सी मिसाले ं कायम की है , जिससे न्याय व्यवस् था के कई र ास् ते खुल गए औ र उनके द्वार ा शुरु की गई प्रक्रिया अब नहीं रुक सकती है । बिलकुल नाकाम हो चुकी न्याय व्यवस् था को उन्हो ंने वो गति दी है , जिससे मीडिया, आम जनता व सार ी दुनियाँ का ध्यान अदालती कार्र वाही प्रक्रिया की ओ र खींच गई । इस गति को अब चाह कर भी नहीं र ो की जा सकती है । यह सत्य है कि किसी भी संस् था मे ं हमे शा एक ही व्यक्ति नहीं र ह पाता है ले किन उसके द्वार ा र खे गए संस् कार से उस संस् था की प्रतिष्ठा बढÞने के साथ एक नई मुकाम की ओ र ले जाती है । ऐ से मे ं उसके बाद आए व्यक्ति के लिए इसके ठीक विपर ीत जाना इतना आसान नहीं हो ता ।
प्रधान न्यायाधीश के रुप मे ं नियुक्ति पाने वाले खिलर ाज र े ग्मी को भी श्रे ष्ठ के द्वार ा बनाए गए र ास् ते को अनुसर ण कर ना ही हो गा । वै से उनके लिए श्रे ष्ठ ने र ास् ता आसान बना दिया है । श्रे ष्ठ ने अपने कार्यकाल मे ं कई परि पाटी को भी खत्म किया है जिससे न्याय व्यवस् था को दुरुस् त बन ाया जा सके । श्रे ष्ठ से पहले कोर् इ भी प्रधान न्यायाधीश भ्रष्टाचार के मुकदमो ं की सुनवाई नहीं कर ते थे । ले किन उन्हो ंने यह पर म्पर ा तो डÞते हुए ना सिर्फइसकी सुनवाई की बल्कि भ्रष्टाचार के मुद्दो ं पर जल्द फै सला हो सके उसके लिए न्यायाधिशो ं का पै नल भी बनाया जिसमे ं कुछ वरि ष्ठ न्यायाधिशो ं को भी शामिल किया है ।
लो गो ं को र े ग्मी से काफी उम् मीदे है । वै से र े ग्मी औ र श्रे ष्ठ मे ं कई समानताएँ है । दो नो ं एक ही जगह के है ं पाल्पा के , एक ही काँले ज के छात्र र हे है ं । औ र अब भ्रष्टाचार पर श्रे ष्ठ द्वार ा बनाए गए मानदण्डो ं को पूर ा कर ने की जिम्मे वार ी उनके कंधो ं पर है । र े ग्मी का कार्यकाल तीन वर्षका हो गा औ र इस दौ र ान उनके पास पर्याप्त समय है , बहुत कुछ कर ने को ।