गिरती लोकप्रियता
संविधान सभा के अध्यक्ष जैसे जिम्मेवारी भर पद पर बिठाते समय सभी राजनीतिक दलो मे इस बात पर सहमति थी कि सुवासचन्द्र नेम्बांग ही इस पद के लिए सबसे उपयुक्त पात्र हैं, जो जिम्मेवारी को निष्पक्षता व दृढतापर्ूवक पूरा करंगे । लेकन सबकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए सभामुख नेम्बांग सभासदों के बीच ही नहीं आज जनता के बीच भी अलोकप्रिय होते जा रहे हैं । जिस निष्पक्षता व दृढता की उनसे उम्मीद की जा रही थी, उस पर वे खडे नहीं उतरे । संविधान सभा के गठन के तीन वर्षहोने जा रहे हैलेकिन संविधान निर्माण के लिए उनकी जो भूमिका होनी चाहिए थी वो नहीं देखी गई । संविधान निर्माण में हो रही देरी के लिए दलों पर दोष लगाने के अलावा उन्होने कुछ नहीं किया । संसद की बैठक हो या संविधान सभा की बैठक या फिर कोई ऐसा निर्ण्र्ााजिसका असर सीधे संविधान निर्माण पर पडÞता है । उन्होने कभी ठोस निर्ण्र्ाालेने की जेहमत नहीं उर्ठाई । संविधान सभा के अध्यक्ष होने के नाते हर उस बैठक मे हिस्सा लेना उनका र्फज बनता है, जो संविधान निर्माण के क्रम को प्रभावित करती है । लेकन संवैधानिक समिति में पिछले दिनों देखेगए विवाद पर जब र्सवदलीय बैठक बुलाई गई तो उसमें सभामुख अनुपस्थित रहे ।
सभामुख की कार्यशै ली पर लगभग सभी दलो ं के ने ताओ ं द्वार ा असंतुष्टि जताई जा चुकी है । कितने सभासदों ने तो उनकी क्षमता पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए उनके इस् तीफे तक की मांग कर दी । संविधान विशे षज्ञ भीमार्जुन आचार्य का तो यहाँ तक कहना है कि जिस संविधान सभा की बै ठक को नियमित तथा नियंत्रित कर ने की उनकी पहली जिम्मे वारी है वे उसी में असफल र हे । आचार्य का कहना है कि सभामुख की निरीहता की वजह से भी सर कार गठन से ले कर संविधान निर्माण का काम तक प्रभावित हुआ है ।
दर असल सभामुख की यह कमजो री है कि वो सभी के नजर मे ं अच्छा बनना चाह र हे हैं जो उनकी अलो कप्रियता का मुख्य कार ण बन गया है । सुवास ने बांग सिर्फअपने काम में ही निष्त्रिmय नहीं हो ते जा र हे है वर न् सबको खुश र खने के चक्कर में अपना असली दायित्व भूलते जा र हे हैं । प्रधानमंत्री पद के लिए ७ महिनों तक चली र स् साकस् सी मे ं उनकी भूमिका काप mी नि न्द नीय र ही । दलों के ने ताओं को खुश कर ने के लिए उन्होंने दे श को सर कार विहीन तो र खा ही संविधान निर्माण प्रक्रिया को भी इतने दिनों तक बंधक बनाए र खा जिसका नतीजा यह है कि इस बार भी तय समय पर संविधान जार ी नहीं हो पाया । समय पर संविधान जार ी हो ने मे ं जितने र ाजनीतिक दल जिम्मे वार है उससे कही अधिक दो षी सभामुख भी है ं ।
सभामुख ने म्बांग पर कई आर ो प है ं । जै से गलत आचर ण कर ने वाले सभासदो ं पर कार्र वाही कर ने का अधिकार हो ते हुए भी कुछ ना कर ना । बिना सूचना दिए संसद की बै ठक से लगतार १० दिनो ं तक अनुपस् िथत र हने वाले सभासदो ं को निलम्बन कर ने का अधिकार हो ते हुए भी कभी ऐ सा नहीं किया । जबकि को र म पूर ा नहीं हो ने की वजह से कई बार बै ठक प्रभावित हर्ुइ है । इसके अलावा भी कई ऐ से उदाहर ण है । माधव ने पाल सर कार के अर्थमंत्री र हे सुर े न्द्र पाण्डे द्वार ा सदन मे ं बजट प्रस् तुत कर ते समय माओ वा दी सभासद द्वार ा मार पीट तथा दर्ुर्व्यवहार किए जाने , बजे ट का ब्रिफके श तो डÞने जै सी शर्मनाक घटनाओ ं पर भी सभामुख खामो श र हे । आज तक उस अशो भनीय काम कर ने वाले सभासदो ं पर कार्रर् वाही नहीं कर ना उनकी निर ीहता दर्शाता है । उसी तर ह डिप्लो मै टिक पासपोर् ट दुरुपयो ग कर ने वाले सभासद पर भी कार्र वाही करने में नहीं ले पाए है ं । बै ठक मे ं अनुपस् ि थत र हने वालो ं दिलचस्पी सभासदो ं तक को वो रुलिंग नहीं कर पाए ।
इन सबसे यह लगता है कि सभामुख सुवास ने म्बांग किस हद तक निर ीह औ र लाचार हो गए है ं । सबको खुश कर ने के चक्कर मे ं अपने कर्तव्य औ र अधिकार ो ं को भी भूला दिया है । उनके इस र वै ये से संविध ान सभा के कामो ं पर असर पडÞ र हा है । इसके लिए एक दिन उन्हे ं जवाब अवश्य दे ना हो गा । दे श की दर्ुदशा के लिए सभामुख अपनी जिम्मे वार ी से नहीं बच सकते है ।