काठमांडू, २७ फरवरी | नेपाल–भारत के बीच प्राकृतिक सम्बन्ध रहा है, जो हिमाल, पहाड़, नदी, नाले नेपाल की संस्कृति को संवारते हैं और उसका संरक्षण करते हैं, वही भारत की संस्कृति और भारत को भी संवारते हैं । इसी तरह का संबंध है हमारा । मुझे लगता है कि हमारे सम्बन्धों की जो नींब है, जो आत्मीयता है, हमारे लोगों के बीच की, वही नींब है हमारे सम्बन्ध । आज की बदलती हुई दुनियां में किस तरह हम अपने संबंध को और प्रगाढ़ बना सके ? हां, कभी–कभार रिलेशनशीप में उथल–पुथल हो जाता है । इसलिए हर रिलेशनशीप को हमें निरंतर बनाना पड़ता है और बढ़ाना भी पड़ता है ।

आज के सन्दर्भ में मुझे लगता है कि विकास के आधार पर हम आगे बढ़ेंगे तो हमारी मित्रता और मजबूत होगी । मित्रता को बढ़ाने के लिए हमने कई सारे इनिसिएटिब्स दिए हैं । इनमें सबसे महत्वपूर्ण इनिसिएटिब्स है कनेक्टिविटी का कि किस तरह हम लोग भौतिक पूर्वाधार निर्माण करें, जिससे दोनों देशों के बीच में जो मित्रता है, और गहरी हो । इसमें सड़क निर्माण और रेल निर्माण की योजनाएं हैं । कुछ दिन पूर्व हमारे मा. रेलमन्त्री नेपाल आए थे । उन्होंने कहा है कि मैं कलकत्ते से काठमांडू तक रेल बनाना चाहता हूं । इसी तरह तराई के पाँच जिलों में रेल कनेक्टिविटी की योजनाएं संचालित हैं । फिलहाल जोगबनी–विराटनगर का जो प्रोजेक्ट है, उसका रिव्यू हमारे प्रधानमन्त्री मा. नरेन्द्र मोदी जी ने २२ फरवरी को किया । उस मिटिंग में मैं भी शामिल था, विडियो कांफ्रेंस से । प्रधानमंत्री जी की बहुत दिलस्चपी थी और उनकी उम्मीद और कामना है कि जो–जो समस्याएं हैं, इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में, उनका तुरंत ही हल हो । इसके साथ–साथ वीरगंज में इन्टिग्रेटिव चेक पोस्ट का प्रोजेक्ट की शुरुआत भी शीघ्र हो जाएगी । इससे दोनों देशों की जो कनेक्टिविटी है, जो एक्सचेंजेज हैं, चाहे वे ट्रेड का हो या कल्चरल हो हर तरह से आगे बढ़ेंगे । इसी तरह नेपाल के कई शहरों से बस सेवा शुरु हुई हैं । इससे बहुत लाभ हुआ न केवल भारतीय और नेपालियों को, बल्कि विदेशी पर्यटकियों के लिए भी हुआ । आपको अचंमा होगा कि भारत से बनारस की जो बस सेवा है, उसमें अधिकांश विदेशी ही यात्रा करते हैं । इसी तरह बिजली कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट भी संचालित हैं । कई बड़े–बड़े परियोजनाएं आगे बढ़ी हैं । सुदूर पश्चिम में पंचेश्वर परियोजना का डिपीआर फाइनल हो रहा है और मुझे उम्मीद है कि जून तक फाइनल हो जाएगा । अभी भारत की तरफ से ३४ अरब का कन्सेशनल लोन दिया गया है १ प्रतिशत व्याज पर । इसमें बहुत सारी सड़क संबंधी परियोजनाएं हैं । इसके तहत एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है– महाकाली नदी पर मोटरेवल ब्रिज । यह ब्रिज टेन्डर होने के बाद तकरीबन ३ साल में बन जाएगा । अरुण–३ प्रोजेक्ट का भी अनुमोदन हो गया है । हमलोग नेपाल–भारत के संबंध को कनेक्टिविटी के आधार पर आगे बढ़ाना चाह रहे हैं । इससे दोनों देशों की जनता का फायदा है । इससे नौकरियां मिलेगी, गरीबी उन्मूलन होगी और दोनों देश तेजी से प्रगति करेंगे ।

एक महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट तराई का हुलाकी राजमार्ग है । इस प्रोजेकट में काफी विलंब हुआ और काफी परेशानियां आईं । लेकिन अब यह प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है । यह परियोजना नेपाल सरकार द्वारा क्रियान्वित हो रही है । इसमें ग्रान्ट एसिस्टेन्स भारत सरकार का है । मुझे लगता है कि ये जितने एसिस्टेन्स हो रहे हैं, अगर ये आगे बढ़ेंगे तो हमारी दोस्ती और मजबूत होगी । मैं यह भी कहना चाहूंगा कि कभी–कभी राजनीतिक समस्याएं भी आ जाती हैं, अगर हम तेजी से विकास कर पाएंगे, तो ये सारी समस्याएं खुद–ब–खुद निपटेगी । बहुत–बहुत धन्यवाद ।
(विविध संस्थाओं द्वारा आयोजित विदाई तथा सम्मान कार्यक्रम में भारतीय राजदूत महामहिम रंजीत राय जी द्वारा व्यक्त विचार का संपादित अंश)
प्रस्तुतिः विनोदकुमार विश्वकर्मा ‘विमल’