बारिश के लिए पूजा कर रही महिला ‘का बरखा जब कृषि सुखानी’
विराटनगर । प्रकृति की भी अजब लीला है .कभी बारिश से बेहाल कर देती है ,तो कभी बूँद -बूँद के लिए लोगों को आसमान की ओर टक टकी लगानी पड़ती .मूसलधार बारिश के साथ अपने आगमन की धमाल दिखाने वाला सावन अब सितम ढाने लगा है .बारिश के चलते लोगों का घरों से निकलना दुश्वार हो गया था .लेकिन सतरंगी मौसम ने ऐसा रुप बदला कि अब पानी के लिए हाहाकार मचा है .जलमग्न खेत सुख रहे हैं .इसी के साथ किसानों के चिन्ता भी बद्ती जा रही है.एक कहावत है `का बर्खा जब कृषि सुखानी `लेकिन यह कहावत आजकल पूर्वान्चल में विपरीत चल रहा है .मानसून ने पहले तो खूब दरियादिली दिखाई .
मूसलधार बारिश भी हुई.इसे देख किसान गद्गद थे कि इस बार अच्छी बारिश होगी ,लेकिन समय से पूर्व बारिश होने का कोई लाभ नहीं हुआ .अब जब धान रोपनी का समय आया ,तो पानी का अभाव होने लगा है .हालांकि कृषि के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले जुलाई में वर्षा रानी का इस तरह रूठना किसानों को सताने लगा है .