ऐतिहासिक पात्र बलभद्र कुंवर की कथा में नेपाली फिल्म ‘नालापानी’ बनाने की घोषणा
काठमांडू, १० भाद्र ।
अमर और ऐतिहासिक पात्र के रुप में परिचित बलभद्र कुंवर की व्यक्तिगत जीवन और नेपाल की इतिहास को समेटकर नेपाली फिल्म ‘नालापानी’ निर्माण हो रहा है । शुक्रबार काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम में फिल्म निर्माण की घोषणा की गई है । नालापानी का निर्देशन रिमेश अधिकारी करेंगे । सम्राट शाक्य कार्यकारी निर्देशक रहे इस फिल्म का निर्माता मनोज शाक्य हैं । फिल्म का पटकथा तथा संवाद आशिष रेग्मी ने लिखे हैं । रोशन श्रेष्ठ फिल्म के द्वन्द्व निर्देशक हैं । लगभग ९ करोड रुपैया लागत में यह फिल्म निर्माण हो रहा है । फिल्म में अर्जुनजंग शाही, नवल खडका, मनोज शाक्य, विशाल श्रेष्ठ, गीता अधिकारी लगायत कलाकारों की मुख्य भूमिका हैं । हिमालिनी से बातचीत करते हुए फिल्म के कलाकार तथा पत्रकार गीता अधिकारी ने कहा है– ‘सत्य कथा में आधारित यह एक ऐतिहासिक फिल्म है, जो नेपाली वीर सपूत और नेपाल के इतिहास को पर्दे में ले आएगा ।’
कौन है बालभद्र कुंवर और क्या है नालापानी युद्ध ?
विश्व में अपना साम्राज्य विस्तार करने का उद्देश्य लेकर भारत आए ब्रिटिश साम्राज्य और नेपाल के बीच सन् १८१४ में नालापानी (हाल भारत में स्थित) में युद्ध हुआ था । उस समय नालापानी नेपाल अंतर्गत के भू–भाग था । तत्कालीन ब्रिटिश इष्ट इन्डिया कंपनी सेना नेपाल के अधिन में रहे नालापानी तथा देहरादून कब्जा करने के लिए आगे बढ़ रहा था । कंपनी सेना में लगभग ३ हजार ५ सौ सैनिक थे । उस का नेतृत्व कर रहे थे– अंग्रेज सेनानायक जनरल गिलेस्पी । अंग्रेज सेना के पास अत्याधुनिक हतिथार भी था । सन् १८१४ अक्टूबर २२ के दिन सेनानायक जनरल गिलेस्पी नालापानी पर आक्रमण करने के चले थे । ३० अक्टोबर में पहला आक्रमण हुआ था । उस समय नालापानी के रक्षार्थ रहे थे– तत्कालीन वीर गोरखाली सेना के कप्तान बलभद्र कुंवर । कप्तान कुंवर के पास ६ सौ लडाकू थे । जिसमें अधिकांशतः बच्चे और महिला थे । कमजोर सैन्य शक्ति, प्रविधि और हथियार न होने पर भी उक्त लडाइँ में बलभद्र कुंवर ने अपनी बहादुरी प्रदर्शन किया । पहले चरण के आक्रमण में अंग्रेजों की सयों सैनिक मारे गए । फिर दूसरा आक्रमण हुआ, उस समय जनरल जिलेस्पी भी मारे गए । गिलेस्पी मारे जाने के बाद अंग्रेज सेनाओं का नेतृत्व कर्नल मांबी ने किया । कर्नल मांबी ने सोचा कि गोरखाली सेना को युद्ध में पराजित करना मुश्किल है ।
उसके बाद उन्होंने नालापनी के अंदर जानेवाले पानी का मुहान बंद करवा दिया । सिर्फ पानी पीकर युद्ध लड़ते आ रहे नेपाली सेनाओं के बीच हाहाकार मच गया । वे लोग पानी न पाने के कारण अंदर ही मरने लगे । अंत में नवम्बर ३० के दिन जिंदा रहे ७० नेपाली सैनिकों को लेकर बलभद्र कुंवर किला के बाहर निकले और किला को छोड़ दिए, अंग्रेज सेना देखते रह गए । अर्थात् इस युद्ध में नेपाली सेना पराजित हो गया । इस तरह पराजित होने के बाद शत्रु पक्ष अर्थात् तत्कालीन अंग्रेज–सेना ने नेपाली सेना को उच्च प्रशंसा कर शिलालेख तैयार किया, जो विश्व इतिहास में आज भी उच्च प्रशंसित है । शिलालेख में लिखा है– ‘हमारे वीर शत्रु बलभद्र और उनकी वीर गोरखाली को स्मृति सम्मानोपहार ।’ उक्त शिलालेख आज भारत देहरादून स्थित भारतीय पुरातत्व विभाग में सुरक्षित है । इसी घटना को आधार बना कर फिल्म ‘नालापानी’ बन रहा है ।