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८ सितम्बर



 

श्राद्ध करना अन‍ि‍वार्य: 

ह‍िंदू धर्म में तर्पण, प‍िंडदान और श्राद्ध करना अन‍ि‍वार्य माना जाता है। यह प‍ितरों यानी की पूर्वजों को तृप्‍त करने के लि‍ए और उनका आशीर्वाद पाने के लि‍ए कि‍या जाता है। वैसे तो तर्पण, प‍िंडदान और श्राद्ध के ल‍िए गया ही मुख्‍य स्‍थान माना जाता है। यहां पर हर साल प‍ितृ पक्ष में लोगों की भीड़ होती हैं।

स‍िद्धवट घाट पर प‍िंडदान: 

ऐसे में जो लोग दूर होने की वजह से या फ‍िर क‍िन्‍हीं अन्‍य कारणों से गया नहीं जा पाते हैं। वो लोग उज्जैन के स‍िद्धवट घाट पर जा सकते हैं। सिद्धवट घाट भी पितरों के तर्पण के लिए पव‍ित्र माना जाता है। यहां भी हर साल बड़ी संख्‍या में लोग प‍िंडदान करने के ल‍िए आते हैं।

श्रीराम ने श्राद्ध कर्म क‍िया: 

शास्त्रों के मुताबिक मोक्षदायनी नदी शिप्रा नदी का काफी पौराणिक महत्‍व है। यहां कुंभ का मेला भी लगता है। वहीं इसका एक संबंध रामायण्‍ा काल से है। इसके सिद्धवट घाट पर भगवान श्रीराम ने प‍िता राजा दशरथ का प‍िंड दान और श्राद्ध कर्म क‍िया था।

 

कार्तिकेय का मुंडन हुआ: 

वहीं ज‍िस मुख्‍य स्‍थान पर राम जी ने तर्पण कि‍या था। वह जगह राम घाट के नाम से जानी जाती है। इसके अलावा मान्‍यता है क‍ि सिद्धवट घाट भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का मुंडन संस्कार भी हुआ था। ज‍िससे यहां सिद्धवट महादेव को दूध अर्पित क‍िया जाता है।



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