रोहिंग्या मुस्लिमों की वापसी का रोड मैप तैयार
२८ सितम्बर
म्यांमार सरकार शीघ्र ही उन शरणार्थियों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू करेगी जो भागकर बांग्लादेश गए हैं। इस सत्यापन के आधार पर ही उनकी म्यांमार में वापसी होगी। इससे पहले स्टेट काउंसलर कार्यालय के मंत्री यू क्या टिंट स्वे बांग्लादेश जाएंगे और वहां के अधिकारियों से प्रक्रिया के बारे में बात करेंगे।
म्यांमार के सामाजिक कल्याण, राहत और पुनर्वास मंत्री यू विन म्याट आए ने बताया कि सत्यापन प्रक्रिया सन 1993 में म्यांमार और बांग्लादेश के बीच हुए समझौते पर आधारित होगी। दोनों देशों के बीच बातचीत में सड़क और जल मार्ग से वापसी के तरीकों पर भी चर्चा की जाएगी। जिन शरणार्थियों का सत्यापन हो जाएगा उन्हें सीमा के नजदीक दार्गीजार गांव में बसाया जाएगा।
हालांकि म्यांमार के कुछ मुस्लिम नेताओं ने सरकार की इस प्रक्रिया में शामिल होने से इन्कार किया है। जबकि स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने उनसे प्रक्रिया में शामिल होने का अनुरोध किया है। कहा है कि प्रक्रिया से उन्हें कुछ भी नुकसान नहीं होगा। 25 अगस्त को रखाइन प्रांत में रोहिंग्या आतंकियों के हमलों में 12 सुरक्षाकर्मियों के मारे जाने के बाद शुरू हुई कार्रवाई के चलते करीब पांच लाख लोग म्यांमार छोड़कर भागे हैं। इनमें से ज्यादातर बांग्लादेश पहुंचे हैं जिनकी दशा पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है। इससे पहले भी कई बार रोहिंग्या मुसलमान भागकर बांग्लादेश पहुंचे हैं। वहां पर इस समय रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या सात लाख को पार कर चुकी है। भागे लोगों में कुछ सौ हिंदू लोग हैं। उन्हें वापस लाकर बसाने के लिए म्यांमार सरकार अलग से कार्य करेगी
हिंदुओं की हत्या की जांच की मांग
वाशिंगटन। अमेरिकी हिंदुओं के एक प्रमुख संगठन ने म्यांमार के गांवों में हिंदुओं के शव मिलने पर चिंता जताते हुए घटनाक्रम पर निंदा की है। म्यांमार के हिंसाग्रस्त रखाइन प्रदेश के रोहिंग्या मुस्लिम गांवों में 28 हिंदुओं के शव जमीन में दबे हुए बरामद किये गए हैं।
द हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने म्यांमार सरकार और संयुक्त राष्ट्र से मामले की पारदर्शी जांच की मांग की है। फाउंडेशन ने इसे निर्दोष हिंदुओं के नरसंहार का मामला बताया है और सही जांच की मांग की है। म्यांमार सरकार के अधिकारियों ने हिंदुओं की हत्याओं के लिए रोहिंग्या आतंकियों और कट्टरपंथियों को जिम्मेदार ठहराया है।