मधेशी जनता जानती है कि भोट मधेशवादी दल को ही देना है
राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा)के तरफ से सर्लाही निर्वाचन क्षेत्र नं. ४ में प्रतिनिधिसभा सदस्य के लिए उम्मेदवार हैं– राकेशकुमार मिश्र । तत्कालीन तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी के सह–महामन्त्री मिश्र युवा नेता के रुप में परिचित हैं । राजनीति में पूर्णकालीन होने से पहले वह पत्रकारिता करते थे । ‘मधेशी जनता की हक, अधिकार और मुक्ति के लिए राजनीति में सक्रिय हूं’, ऐसा कहनेवाले मिश्र आगे कहते हैं– ‘सर्लाही–४ में मेरा जीत सुनिश्चित है ।’ सर्लाही निर्वाचन क्षेत्र नं. ४ अन्तर्गत लक्ष्मीपुर सुक्चैना के स्थायी निवासी मिश्र के साथ चुनावी गतिविधि संबंधी प्रसंग में हिमालिनी के लिए लिलानाथ गौतम ने बातचीत किया है । प्रस्तुत है, बातचीत का सम्पादित अंश–
० चुनावी गतिविधि किस तरह संचालित है ?
– चुनावी गतिविधि उत्साहपूर्ण रुप में संचालित है । आम मधेशी जनता मधेशीमुद्दा के प्रति समर्पित हैं । चुनाव के प्रति भी जनता उत्साहित दिखाई दे रहे हैं ।
० एक दिन में आप कितने मतदादा के घर–आंगन में पहुँचते हैं ?
– हर दिन प्रत्यक्ष–अप्रत्यक्ष ८–९ सौ मतदाता से विचार–विमर्श हो जाती है । सभी मतदाता सकारात्मक और उत्साहित दिखाई दे रहा हूं ।
० वोट मांगते वक्त आप जनता के बीच क्या कहते हैं ? अर्थात् आपकी चुनावी मुद्दा क्या है ?
– मधेश की मुद्दा ही हमारी प्रमुख चुनावी मुद्दा हैं । मधेश की हक–अधिकार रक्षा और मधेश मुक्ति के विषयों में ही मतदाताओं से ज्यादा प्रश्नो–उत्तर होता है । मधेश की मुद्दा लेकर चलनेवाले पार्टी और उम्मेदवार को ही चुनाव में वोट देना चाहिए, इस तथ्य पर जनता सचेत हैं । हां कुछ मतदाताओं में विरोधाभाष भी दिखाई देता है । समग्र में इन्हीं विषयों में ज्यादा बहस हो जाता है ।
० सिर्फ आप ही मधेश–मुद्दा को लेकर वोट मांगनेवाले हैं, ऐसा नहीं हैं । अन्य उम्मीदवार भी तो मधेश–मुद्दा को ही लेकर वोट मांग रहे होंगे ! है न ?
– अन्य उम्मेदवारों की प्रमुख प्राथमिकता में मधेश मुद्दा नहीं है । यदि राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा) और संघीय समाजवादी पार्टी बाहेक अन्य पार्टी के उम्मीदवार ‘मधेश मुद्दा मेरा भी मुद्दा है’ कहता है तो निश्चिंत रहिए, वह आदमी झुट बोल रहा है । क्योंकि मधेश मुद्दा को शुद्धिकरण और स्थायित्व के लिए लड़नेवाले पार्टी सिर्फ राजपा ही है, जनता के लिए राजपा का विकल्प नहीं है । राजपा अलवा अन्य पार्टी से मधेश–मुक्ति सम्भव नहीं है ।
० ‘मधेश मुक्ति’ कहने का मतलव क्या है ? यह तो विरोधाभाष विषय है, नहीं ?
– मधेशी जनता अधिकार विहीन हैं । उन लोगों को समान अधिकार दिलाना है, संविधान में जो विभेद है, उसको अन्त करना है, मधेशी जनता के ऊपर हो रहे विभेद का अन्त होना ही मधेश जनता के लिए मुक्ति है । अर्थात् मधेशी जनता को राज्य–सत्ता से हो रहे अन्याय, अत्याचार, शोषण, उत्पीडन से मु्क्त कराना है, यही मधेशी जनता के लिए मुक्ति हैं । हम चाहते हैं कि मधेश और पहाड में रहनेवालों के बीच समान जीवन–शौली हो, मधेश में हरनेवाले जनता की हैसियत भी पहाडी समुदाय की तरह समान हों । जहां समानता नहीं रहेगा, वहां विद्रोह निश्चित है । विद्रोह ही विखण्डन लाता है । मधेश को हरदम कमजोर बनाया जाता तो ‘अलग राष्ट्र’ की मांग होना स्वाभाविक है । इसीलिए हम चाहते हैं कि ऐसा न हों । हम भी राष्ट्रवादी हैं । लेकिन कांग्रेस–एमाले–माओवादी वास्तविक राष्ट्रवादी नहीं हैं । वे लोग निश्चित एक समाज और एक समुदाय के ऊपर शासन करना चाहते हैं । इस तरह का राष्ट्रियता देश के लिए घातक सिद्ध होता है । इसीलिए हम चाहते हैं कि हर समाज और समुदाय को समान अधिकार मिले, समान व्यवहार हो जाए ।
० मधेश मुक्ति, मधेशी जनता की अधिकार जैसे विषयों तो राष्ट्रिय मुद्दा हो सकती है । आप अपनी निर्वाचन क्षेत्र में रहनेवाले जनता के लिए क्या करना चाहते हैं ?
– मेरा निर्वाचन क्षेत्र सर्लाही क्षेत्र नं. ४ है, जहाँ कोई भी गुणस्तरी अस्पताल नहीं है, न तो किसान के लिए सिचाई–सुविधा है । सडक निर्माण भी नहीं हो पा रहा है । अगर यहाँ आवश्यकता अनुसार सडक निर्माण होता था तो किसान अपनी खेत में टमाटर उत्पादन कर एकघण्टा में वीरगंज पहुँचा कर वापस हो सकते थे । लेकिन ऐसी अवस्था नहीं है । यहां ऐसा हांलत क्यों हो रहा है ? क्योंकि यहां रहनेवाले जनता ने इससे पहले कांग्रेस–एमाले–माओवादी समर्थित नेताओं को चुनाव में वोट दिया था, लेकिन उन लोगों ने कुछ भी नहीं किया । अब जनता यह बात अच्छी तरह जनते हैं कि खसवादी पार्टियों में गुलामी करनेवाले नेताओं को चुनाव जितने से कुछ भी होनेवाला नहीं है, इसमें जनता सजग और सचेत हैं । यहां रहनेवाले हर जनता जनते हैं कि ८० प्रतिशत राजश्व मधेश से प्राप्त होती है, लेकिन अधिकांश राजश्व पहाड़ के लिए खर्च किया जाता है । इसीलिए कांग्रेस–एमाले–माओवादी के उम्मेदवार प्रति यहां के जनता आक्रोशित हैं । जनता में व्याप्त यही आक्रोश और भावना को मध्यनजर करते हुए मुझे काम करना है । मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मैं मधेशी जनता को घात नहीं करुंगा । इसीतरह यहां गरीबी और अशिक्षा है, उसके विरुद्ध लड़ना है । अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास के लिए मैं ईमानदार और प्रतिबद्ध होकर लगा रहूंगा । जनता के बीच में इन्ही विषयों में बहस होती है । यहां मैं एक उदाहरण पेश करना चाहता हूँ– विगत में कांग्रेस–एमाले की तरफ से वकलात करनेवाले शिक्षक तथा बोर्डिङ स्कुलों को ही सरकारी अनुदान प्राप्त होता था, लेकिन राजपा तथा फोरम की वकालात करनेवालों को प्राप्त नहीं । इस तरह का घटियां विभेद भी यहां है । अब इस को पूर्ण रुप में अन्त करना चाहता हूं मैं ।
० आप जिस तरह मतदाताओं को आकर्षित कर रहे हैं, उसी तरह आप के प्रतिद्वन्द्वी उम्मीदवार भी कर रहे होंगे ? आप कैसे कह सकते हैं कि आप ही चुनाव जीत जाएंगे ! इस का आधार क्या है ?
– आर्थिक रुप में समृद्ध और राजनीतिक रुप में अधिकार सम्पन्न मधेश निर्माण के लिए राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा) नेपाल प्रतिबद्ध है । इस के लिए हम क्रियाशील भी हो रहे हैं । हम जो कुछ कर रहे हैं, जनता सब जानती है, क्योंकि जनता सचेत और जागरुक हो चुकी है । चेतनशील जनता राजपा के प्रति आशावादी भी है, उनकी सद्भाव राजपा को प्राप्त हो रही है । चुनाव जीतने का आधार भी यही है ।
० चुनावी जीत के लिए आशावादी है ?
– सिर्फ आशावादी ही नहीं, मैं ही चुनाव जीनेवाला हूं, इसमें में सत–प्रतिशत विश्वस्त हूं । विगत में चुनाव जितनेवालें नेपाली कांग्रेस की तो इस बार जमानत जफ्त होनेवाला है ।
० मुझे लगता है कि अमरेश कुमार सिंह जैसे सशक्त उम्मेदवार आप की प्रतिद्वन्द्वी हैं । आप कह रहे हैं कि उन्हीं का जमानत जफ्त हो जाएगा । लगता है कई आप हांसिमजाक तो नहीं कर रहे हैं ?
– यह हांसिमजाक नहीं है । आप को पता नहीं कि अमरेशजी किस तरह का उम्मीदवार हैं । लेकिन यहां की जनता, जनती है कि वह किस तरह का उम्मीदवार हैं । कोइराला, देउवा लगायत पार्टी–नेतृत्व का गुलामी कर टिकट प्राप्त करने से चुनाव में जीत हासिल नहीं हो सकता । वे मधेशी जनता के प्रति प्रतिबद्ध नहीं है । उनकी असली रुप यहां रहनेवाली जनता जानती है । विगत में उन्होंने बहुत युवाओं को रोजगारी दिलाने की गलत आश्वासन देकर वोट मांगा था । जब चुनाव जीत गए, तब जनता उनकी तलश में लगे । उसके बाद उन्होंने अपना पुराना मोइबाल फोन ऑफ किया और नयां नम्बर ले लिया, –यह मैं नहीं कह रहा हूं । यह यहां कि जनता कह रही है । चुनावी अभियान के क्रम में मैंने ऐसे कहीं मतदाता से मुलाकात किया है, जो अमरेशजी से पीड़ित हैं । क्या ऐसे पीडित जनता अब भी उन्हीं को वोट देंगे ? नहीं । मैं जनता को गलत आश्वासन नहीं देता हूं । जितना कर सकता हूं, उतना ही बोलता हूं ।
० आप अपनी मतदाताओं से कुछ कहना चाहते हैं ?
– जब तक मधेश अधिकार सम्पन्न नहीं होगा, तब तक सामाजिक विभेद अन्त होनेवाला नहीं है । जब तक सामाजिक विभेद अन्त नहीं होगा, तब तक मधेश समृद्ध होनेवाला भी नहीं है । इसीतरह राजनीतिक संरक्षण बिना कोई भी समाज और संस्कृति सबल और सक्षम नहीं हो सकता । आज मधेश की समाज और संस्कृति के ऊपर राज्यसत्ता से आक्रमण हो रहा है । मधेश और मधेशी इससे मुक्ति चाहते हैं । उसके बाद ही मधेश समृद्ध बन सकता है । मधेश की समृद्धि के लिए सिर्फ मधेशवादी दल और उनके उम्मेदवार ही कुछ कर सकते हैं । दूसरी बात हमारी संघर्ष जनता के विरुद्ध नही, काठमांडू के सत्ता विरुद्ध है । काठमाडू के सत्ता निकट रह कर मधेश में राजनीति करनेवाले पार्टी और नेताओं से मधेश को अधिकार सम्पन्न और सुरक्षित नहीं कर सकते हैं । इसके प्रति जनता को हरदम सचेत रहना चाहिए । दूसरी बात पैसा खर्च कर चुनाव जितनेवालों से भी जनता को सजग रहना चाहिए ।
० आपने कहा कि पैसा खर्च कर जीतनेवालों से सजग रहना चाहिए । शायद आप भोट खरीद–विक्री की बात कर रहे हैं ! क्या आप भी वोट खरीद रहे हैं ?
– पैसा देकर वोट खरीदने का काम कांग्रेस–एमाले–माओवादी के उम्मीदवार करते हैं, मैं नहीं । मैं तो जनता से प्राप्त सहयोग से ही चुनाव लड़ रहा हूं । चुनाव के लिए परिचालित राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा) के कार्यकर्ता सिर्फ पानी पीकर सक्रिय हो रहे हैं । अगर कोई चाय पिते हैं तो हमारे कार्यकर्ता खूद उसका बील भरते हैं । खाना के लिए अभी तक मैंने ५ पैसा का बील भी नही भरा हूं । हम जहां जाते हैं, वही के कार्यकर्ता हमारे लिए खाना–नास्ता की व्यवस्था करते हैं । मैं भ्रष्टाचारी नहीं हूं, इसीलिए मेरे पास अनावश्यक खर्च करने के लिए भी पैसा नहीं है ।
० भोट खरीद–विक्री तो होता होगा ?
– मैंने कहा कि मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जो इस तरह का घिनौनी हरकत करते हैं ।
० आप के पास जो मतदाता हैं, दूसरे उम्मीदवार उन लोगों तो खरीद सकते हैं न ?
– अब जनता इतनी बेबकूफ नहीं है । आज की जमाना २०४६–०४७ साल का नहीं है । हां, इससे पहले कांग्रेस–एमाले के उम्मीदवार पैसा देकर वोट खरीद करते थे, जनता भी जिससे पैसा लेते थे, उसी को वोट देते थे । लेकिन आज जिससे पैसा लेते हैं, उसी को वे लोग वोट देते हैं, ऐसी अवस्था नहीं है । हां, कुछ व्यक्ति पैसा देनेवाले उम्मीदवार से पैसा ले भी सकते हैं, लेकिन उन लोगों को पता है कि वोट तो राजपा को ही देना है । क्योंकि वोट किस को देना है, उन्हें पता है । उन लोगों को यह भी पता है कि मधेश और मधेशी के लिए कौन लड़ रहा है । इसीलिए दूसरे पार्टी और उम्मीदवारों से पैसा लेते हुए भी वोट तो राजपा को ही मिलनेवाला है, इसमें मैं विश्वस्त हूं ।