कृषि का आधुनिकीकरण और औद्योगिक शान्ति ही समृद्धि का आधार- हरि गौतम
मुझे लगता है कि हम लोगों को सिर्फ वीरगंज का विकास ही नहीं, समग्र २ नम्बर प्रदेश का विकास कैसे हो इस में बहस करना चाहिए । इसके लिए यहां की सम्भावनाएं क्या–क्या है ? इसकी खोज करनी चाहिए । खोज करते हैं तो प्रथम स्थान में कृषि क्षेत्र को ही पाया जाता है । दूसरे स्थान में उद्योग और तीसरे स्थान में शिक्षा क्षेत्र की बात आती है ।
प्रथम सम्भावना कृषि तो है, लेकिन दुःख की बात यह है कि अभी तक आम लोगों में कृषि भी एक उद्योग है अर्थात् उत्पादनमुखी क्षेत्र हैं, इसका ज्ञान नहीं है । इसीलिए खेतीयोग्य जमीन हम लोग सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं । निर्वाहमुखी खेती कर रहे हैं, इस को व्यवसायमुखी बनाने के लिए सोच भी नहीं रहे हैं । इसके पीछे राज्य की नीति भी प्रमुख कारण है । वि.सं. २०२१ साल से भूमिसुधार ऐन लागु हुआ, उसके बाद जमीन में द्वैध स्वामित्व लागु हो गया, जमीन का खण्डीकरण होता गया । उसके बाद भी हम लोग वि.सं. २०४० तक धान निर्यात करते थे । विश्व में नेपाल धान निर्यातक देशों में ५वें स्थान पर आता था । लेकिन अभी हम लोग चावल आयात कर रहे हैं, क्यों ? क्योंकि राज्य की नीति ही ऐसी है कि जिसके पास क्षमता नहीं है, जो जमीन को ठीक से उपभोग नहीं कर सकते हैं, उसी को जमीन का मालिक बना देता है । इसी नीति के कारण जमीन खाली पड़ने लगी है, उच्चतम उत्पादन के लिए आवश्यक जनशक्ति, दक्षता, प्रविधि और बीज का अभाव रहा । अभी तक हालात वैसी ही है ।
मान लीजिए यदि कोई उद्योगपति १०० बीघा जमीन में आधुनिक खेती करना चाहते हैं, कम से कम वह पर्सा जिला को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, उसके लिए वह विश्व में प्रयोग में आ रहे उच्चतम प्रविधि को नेपाल लाने की क्षमता भी रखते हैं । लेकिन उद्योगी को जमीन मिलना सम्भव नहीं । क्योंकि यहां तो राज्य की नीति ही गलत है । नीति तो ऐसी है कि २० बीघा जमीन वालों को भी कमजोर बना देता है । यहां बुद्ध एयर के वीरेन्द्र बहादुर बस्नेत का प्रसंग सान्दर्भिक होता है । उन्होंने विराटनगर में जो प्रविधि के साथ कृषि उत्पादन शुरु किया है, वह प्रशंसनीय है । किसान वही हैं, जमीन वही है, लेकिन उत्पादन दो गुणा ज्यादा हो रहा है । हां, यह सम्भव है । इसके लिए आधुनिक कृषि प्रणाली अवलम्बन करना चाहिए, कृषि को उद्योग के रूप में विकास करना चाहिए, इसके लिए राज्य के पास भिजन होना जरुरी है ।
मान लीजिए उद्योगी प्रदीप केडिया ३ सौ बीघा जमीन में आधुनिक कृषि उत्पादन शुरु करना चाहते हैं । इसके लिए वह विश्व के उत्कृष्टि प्रविधि को नेपाल लाने की क्षमता भी रखते हैं । अगर वह ऐसा करेंगे तो उत्पादन में दो–तीन गुणा वृद्धि भी कर सकते हैं । लेकिन उनके लिए जमीन देनेवाले कौन हैं ? कोई भी नहीं हैं । इसीलिए मैं कह रहा हूं कि जमीन और उसके उपभोग के लिए राज्य का नीति सही होना चाहिए । अगर उनके लिए जमीन उपलब्ध हो सकता है तो केडिया जी सैकड़ों को रोजगार भी दे सकते हैं । उत्पादन को बाजार में ले जाकर बेचने की समस्या भी नहीं पड़ेगी । लेकिन आज वीरगंज में ५ रुपया में मैं जो गोभी बेचता हूँ, काठमांडू पहुँचते ही उस का मूल्य ४० हो जाता है । अगर व्यवसायिक कृषि उद्योग करेंगे तो ऐसी अवस्था भी नहीं आएगी ।
कृषि उत्पादन का मतलव सिर्फ धान का उत्पादन करना नहीं है । जमीन की क्षमता अनुसार कई चीजों की खेती कर सकते हैं । हमारे यहां वार्षिक १ लाख रुपया से ज्यादा आमदनी देनेवाले हैं, वह लगाकर धान खरीद भी सकते हैं । इसके लिए राज्य को आगे आना पड़ेगा ।
इसीतरह हमारे लिए विकास का दूसरा आधार उद्योग है । भारत से सटे वीरगंज की भौगोलिक बनावट ही ऐसी है, जहां से ३ सौ किलोमिटर की दूरी में देश के हर जगह पर पहुँच सकते हंै । वीरगंज में ही देश का महत्वपूर्ण उद्योग भी अवस्थित है । हुलाकी राजमार्ग, द्रुतमार्ग और अन्तर्राष्ट्रीय विमानस्थल के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है, काठमांडू और भी नजदीक हो रहा है । लेकिन औद्योगिक शान्ति और सुरक्षा नहीं है । इसके बगैर यहां का समग्र विकास सम्भव नहीं है । मजदूर के कारण ही मालिक उद्योग बन्द करने के लिए बाध्य हो जाते हैं, समाज में आतंक मचानेवाले कुछ गुण्डों के कारण उद्योगी मुंह लटका कर चलने के लिए बाध्य हैं । ऐसी हालात में हम लोग कैसे उद्योग करें ? इसीलिए वीरगंज अथवा दो नम्बर प्रदेश का समग्र विकास चाहते हैं तो आद्योगिक शान्ति होनी जरुरी है । इस निश्चिन्तता के बाद ही यहां निवेश हो सकता है, निवेश ही हम लोगों को आर्थिक समृद्धि की ओर ले जा सकता है ।
इसीतरह विकास के लिए तीसरा महत्वपूर्ण पक्ष शिक्षा है । वीरगंज के आसपास आज जितने भी गांव है, वहां रहनेवाले अधिकांश लोग अशिक्षित हैं । इसके लिए हम जैसे व्यवसायी लोग भी जिम्मेदार हैं । हम वीरगंज को आर्थिक राजधानी कह कर बहस करते हैं, लेकिन हम लोगों ने कभी भी वीरगंज का ठोरी और पोखरिया को नहीं देखा है । समझना चाहिए कि समग्र पर्सा का विकास ही वीरगंज का विकास हो सकता है । इसके लिए यहां कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक चेतना के लिए भी काम करना होगा । इन चीजों में जब समाज के निचले तहों के लोगों की सहभागिता रहेगी, तब ही यहां विकास का आधार बन सकता है ।