जब अधिकार भी मधेश के बाहर वाला निर्धारण करेगा तो मधेशी स्वतंत्र कैसे होगा ? आर.पी.सिंह
आर.पी.सिंह, सिरहा | राज्यमंत्री मंडल कहते हैं विकसित मधेश के गुलाम नागरिक बनने से अच्छा हैं थोड़ा कम विकसित मधेश के आजाद मधेशी बनें और फिर अधिकार के बात करते हैं | अधिकार भी ऐसा जिसका निर्धारण कोई बाहर वाला करेगा की मधेशी को कैसा अधिकार चाहिए और क्या नहीं | मंत्री जी, आप जनता को यह बताने की कष्ट करें की जब अधिकार भी मधेश के बाहर वाला निर्धारण करेगा तो मधेशी स्वतंत्र कैसे होगा? क्या आप का तर्क खूद में विरोधाभास नहीं हैं?
रही बात विकास की तो विकास होता क्या हैं ? बड़ी इमारते, चमाती सड़के, महंगे अस्पताल, बड़ी बड़ी साँपिङ्ग मल, आदि इत्यादि को आप विकास कहते हैं तो याद रहें इससे आम जनता कोई लेना देना नहीं हैं | अगर जनता के लिए कुछ अपरिहार्य हैं तो वह हैं आत्मसम्मान, रोजगार, राज्य से मिलने वाली सुख सुविधा जिसके लिए वह पेट काट कर भी लगान भरते हैं, अपने बचें को भूखे सुलाकर भी सरकारी खजाने भरता हैं |
दरअसल, समय सापेक्ष जनता की जीवन स्तर को उकासना ही असल विकास होता हैं | किन्तु मधेश के संदर्भ में तो मानव विकास सुचांक नकारात्मक हैं तो आप कैसे विकास की बात करते हैं ? बढ़ती बेरोजगारी समस्या के वजह से अनुचित वेतन पर वे विदेश में शोसित होते हैं, क्या ऐसी विकास की परिकल्पना की हैं आप ने, क्या यहीं म्यान्डेट हैं प्रदेश सरकार की विकास की ?
समग्र में कहाँ जाएँ तो मधेशी तभी ही स्वतंत्र होगें जब सार्वभौम सत्ता सम्पन्न राष्ट्र मधेशी के हाथ में होगा और इसका केवल एक ही विकल्प हैं; मधेश को पूर्ण अधिकार | इसिके माध्यम से स्थायी रुप में मधेशी जनता अधिकार सम्पन्न होगा |