Thu. Mar 28th, 2024

शान्ति व संविधान के बारे में मन वचन और कर्म के बीच चल रही द्वंद्व से भविष्य का भार्गचित्र निर्धारण में अविश्वास बढÞते जा रहा है निराश जनता को आश्वस्त करने के लिए नेतृत्व वर्ग द्वारा दी जाने वाली र्सार्वजनिक बयान के शब्द चयन में भी जिम्मेवारी बोध का अभाव व बरगलाने का चरित्र साफ उजागर होने लगा है इसीलिए जनभावना को शिरोधार्य करते हुए शान्ति व संविधान निर्माण में अर्जुनदृष्टि रखने की बात खोखली साबित हर्इ है नेताओं के बीच होने वाली घनीभूत छलफल का मंत्र यथार्थ में प्रधानमन्त्री बनने की तृष्णा पूरी करना, बालुवाटार में प्रवेश पाने व उसे अधिक से अधिक अवधि बढाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है एक दूसरे को धोखा देना व निषेध करने की राजनीति में ही समय बर्बाद किया जा रहा है
अपना संविधान अपने ही निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा बनाने की ऐतिहासिक प्रतिवद्धता पूरा करने के लिए दो वर्षो के भीतर अर्समर्थ होने के बाद फिर से एक वर्षकी बर्ढाई गयी अवधि का भी सदुपयोग नहीं हो पाया बढर्ई गई एक वर्षमें संविधान सभा की सिर्फसात ही बैठक हर्ुइ जिसमें संविधान निर्माण के बारे में बिना चर्चा किए ही खत्म कर दिया गया ऐसे निराशापर्ूण्ा रिपोर्टकार्ड लेकर संविधान सभा को जनता के समक्ष क्षमा माँगकर, दायित्व पूरा करने की प्रतिबद्धता सहित अपनी समयावधि बढाने का निर्ण्र्ाालेना शायद उचित होता लेकिन ऐसा नहीं किया गया यदि ऐसा किया जाता तो इससे राजनीतिक वैधता प्राप्त होती लेकिन ऐसा नहीं किया गया इतना ही नहीं, संविधान सभा की समय सीमा बढÞाने के निर्ण्र्ाामें चौथे बडÞी समूह यानि मधेशी मोर्चा का अनुपस्थित होने का प्रभाव भविष्य में पीडÞादायी हो सकती है देश में बन रही इस चौथे मजबूत मोर्चा से सहमति नहीं करने का मूल्य तीन दलों को भविष्य में चुकाना ही होगा तीन बडÞे दलों का ध्यान अभी इस ओर नहीं गया है तत्काल के लिए दर्ुघटना को तो टाल दिया गया है लेकिन इसका जोखिम अभी भी कम नहीं हुआ है बल्कि इसका खतरा और बढÞ गया है निकट भविष्य में होने वाले राजनीतिक दर्ुघटना ने गर्भधारण कर लिया है
अब तक विश्व में के किसी भी देश में संविधान लिखने के लिए इतनी बडÞी रकम खर्च नहीं की गई है जितनी नेपाल में अब तक खर्च की जा चुकी है ४ अरब ८६ करोडÞ रूपये खर्च कर बनी संविधान सभा में राज्य कोष से ३ अरब १३ करोडÞ तथा विदेश सहायता की १४ अरब १९ करोडÞ खर्च कर दिया गया दक्षिण ऐशिया की सबसे गरीब मुल्क में २२ अरब रूपये खर्च को र्सार्थक बनाने का सामर्थ्य के लिए विदेशियों ने जातीय मतभेद व विखण्डन का विष वृक्ष रोपने, उसे बडÞा करने व धार्मिक कलह शुरु करवाने के लिए विभिन्न आवरण में खर्च कर रही अरबों रूपये का कोई हिसाब किताब नहीं है
२०६७ जेठ १७ गते संविधान सभा की समय सीमा बढÞाते समय तत्कालीन सरकार का ८० प्रतिशत काम पूरा होने का दावा कर रही थी एक वर्षबाद जब फिर से दूसरी बार संविधान सभा का कार्यकाल बढाए जाने की बात थी, उस सयम भी सरकार ने ८० प्रतिशत काम पूरा होने का दावा करती नजर आयी इसका मतलब अभी तक संविधान लिखने का १६० प्रतिशत काम पूरा हो जानी चाहिए वास्तव में शासकीय स्वरूप, निर्वाचन प्रणाली, न्याय व्यवस्था व राज्य पुनर्संरचना जैसे प्रमुख विषयों पर दलों के बीच अभी भी मतभेद पर्ूववत है राजनीतिक पृष्ठभूमि, प्रशिक्षण शैली व लक्ष्य की भिन्नता के कारण दलों के बीच बनी दूरी से संविधान निर्माण कार्य को पिछले तीन सालों में शायद कभी भी प्राथमिकता नहीं मिली प्रमुख तीन दलों की बीच रहे आपसी मतभेद और आंतरिक द्वंद्व के कारण तीन महीनों के लिए बर्ढाई गई समय सीमा के भीतर भी लगभग डेढÞ महीना र्व्यर्थ चला गया है
पिछले ६१ वर्षों में नेपाल चार संविधानों का मौत झेल चुका हैं पाँचवे अन्तरिम संविधान में पिछले ५ वर्षों के दौरान ९ बार संशोधन किया जा चुका है इस तरह से बर्ढाई गई तीन महीनों में संविधान निर्माण कार्य पूरा होगा, इसपर विश्वास करना भी हमारी मर्ूखता होगी अगस्त के अंतिम हफ्ते में एक बार फिर संविधान सभा की समय सीमा बढाए जाने पर दलों के बीच सहमति भी हो जाएगी और हाँ इस दौरान पर्ूव प्रधानमन्त्री की संख्या में वृद्धि होने की पूरी संभावना है १० वर्षों का गृहयुद्ध, ६ वर्षो की राजनीतिक अस्थिरता, लम्बी होती जा रही संक्रमणकाल और इन सबके बीच विश्व समुदाय से अलग होते जा रहे नेपाल में अभी विरक्ति आ रही है ऐसी परिस्थिति में नेपाल के नेताओं को सबक सिखाने उन्हें सही दिशा में अग्रसर कराने, स्वस्थ सेना भटकने, सत्ता के गंदे खेल से बाहर निकालने के लिए काठमांडू के खुलामंच को तहरीर चौक बनाना ही होगा अन्यथा नेपाल को अनिश्चित भविष्य के अंधकार से कोई भी बाहर नहीं निकाल सकता है
-लेखक पर्ूव विदेश मंत्री रह चुके हैं )
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