अंतरराष्ट्रीय पहचान ही मधेश समस्या का असली समाधान : अब्दुल खानं
अब्दुल खानं,नेपालगंज | मधेश अाैर मधेशयाें के हक हित मे कार्यरत मधेशवादी दलों के शिर्षस्त नेतृत्व अपने मूल मुद्दे से विचलित हाेकर भ्रम मे बुरी तरह फंस रहें हैं | खास ताैर अपने ही मुद्दाे का गलत हाेने का दावा करने लगे हैं अाैर अपने ही निचले स्तर के नेताअाे काे भ्रष्ट अाैर बेकार हाेने की दलिलें देने लगें हैं। खास ताैर पे देखा जाय ताे मधेश के प्रमुख नेता मधेश मुद्दे पर महा फेल हाे चुके हैं। इस अवस्था मे मधेश के विभिन्न दल या राजनीतिक गैर राजनीतिक स्तर पर काम कर रहे यूवा शक्ति काे एक जुट हाेकर मधेश काे कुशल नेतृत्व देने की भूमिका निर्वाह करनी चाहिये, अपने निजी अाैर नितान्त व्यक्तिगत प्रलाेभन काे त्याग कर मधेश की समस्या, पहिचान, अस्तित्व काे अन्तर्राष्ट्रिय फाेरम पर लेजाकर अस्ली समाधान निकालना चाहिये उसी से मधेश की समस्या का समाधान हाे सकता है। मधेश के पहिचान, सम्मान अाैर अधिकार के लिये सहिद हुवे तमाम वीर शहिदाे का नमन कर उन के सपने काे साकार करने मे एकता दिखानी चाहिये। मधेश मुद्दे काे राष्ट्रिय ,अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर जाेराे से उठा कर सरकार काे चाराे अाेर से घेरे मे लेकर जनमतसंग्रह कराने पर मजबुर करना चाहिये। मधेश अपने अस्तित्व मे अाने के वाद मे ही एक नया युग का सुरुवात हाे सकता है | उसके वाद ही मधेश समृद्धि अाैर अार्थिक क्रान्ति की अाेर आगे बढ़ सक्ता है, विना स्थाई समाधान के समाधान ढुंडना रेत मे पानी डालने समान हाेगा।

अब मधेश के सामने अन्तिम अाैर अाखरी फन ही अस्तित्व मे अाना है अन्य काेई विकल्प बांकी नहीं है। मधेश नेपाल मे ही पहिचान पाने के लिये काेई कसर नही छोड़ा है | वि. स. २००७ साल मे राना के खिलाफ लडा, वि. स. २०३६,२०४६ पंचायत व्यवस्था के खिलाफ, वि. स.२०६२/६३ मे राज शाही के खिलाफ,वि.स.२०६३/६४ मे एक मधेश प्रदेश के लिये, फिर वि. स. २०७२ मे जारी हुवे नयें विभेद कारी संविधा के लिये अान्दाेलन, बलिदानी अाैर विद्राेह किया इस के अलावा नागरिक्ता, राेजगारी, सुकुम्बासी , पुर्नवास, खाद बिज, सिंचायी अाैर अाग बाड के लिये प्रतेक दिन लड ही रहा है पर समस्या जों का त्युं हैं। शासक वर्ग कि नश्लिय साेंच खास कर मधेश की समस्या राष्ट्रियता की है , मूलत: नेपाली राष्ट्रियता अाैर मधेशी राष्ट्रियता इस का समाधान दाेनाे राष्ट्रियताअाें काे अपने अपने अस्तित्व काे स्वीकारना हाेगा यह अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर मधेश का पहिचान से सम्भव है। अाज शासक हमे टुकडाे, टुक्डाे मे बांट कर कमजाेर करने मे लगा है अाैर हम सब उन्ही के गाेल चक्कर मे फंसे है, अपनी अानबान सान काे भूला कर राजसी भाेग विलाश मे लिप्त हाेगये हैं | अपनी पहिचान काे ही भूल चुके है,अब ज्यादा विलम्ब करना बहुत ही घातक शावित हाेगा अानेवाली सन्तती के लिये, मेरे यूवा मित्राे जागाे तैयार हाेजाअाे मधेशी जन्ता अाप के नेतृत्व के लिये झाेली फैलाये खडी बस एक हुंकार भरना हाेगा। अाप लाेग को सत्य, न्याय अाैर अंहिषा का सहारा लेकर अागे बडना हाेगा उस धर्ती मा के लिये जिस ने जन्म से लेकर मृत्युु तक हर पल काम अाती है। जीवन मरण एक निरन्तर प्रक्रिया है।