काठमांडू में दूषित दूध और दूषित पानी से मानव स्वास्थ्य अत्यन्त प्रभावित : रामदेव पंडित
रामदेव पंडित,हिमालिनी, अंक अगस्त ,२०१८
अनुसन्धान बता रहा है कि, काठमाण्डौं उपत्यका में बेचे जाने वाले दूध में व्यापक रूप में रासायनिक पदार्थ और सूक्ष्मजीव मिला हुआ पाया गया है । इसीलिए इससे जनस्वास्थ्य में पड़ने वाले प्रभाव के सन्दर्भ मेें लोग चौतर्फी चिन्ता व्यक्त कर रहें है । कृषि, भूमि व्यवस्था एवं सहकारी मन्त्रालय ने बाजार से सङ्कलन किया हुआ ४२ ब्रान्ड के नमुना में से ४० ब्राण्ड वाले दूध में खाद्य और अखाद्य सोडा भी मिला पाया गया है । ४२ ब्रान्ड के नमुना में से १७ मे चर्बी पदार्थ और ९ में चर्बी से अतिरिक्त ठोस वस्तुएं (सोलिड नन फ्याट) मापडण्ड से कम पाए गया है । साथ ही दूध मे कोलिफर्म ब्याक्टेरिया की मात्रा भी उच्च रही है जिसका सम्पूर्ण तथ्याङक बीबीसी सार्वजानिक कर चुका है ।
त्रिभुवन विश्वद्यिालय वायोटेक्नोलोजी विभाग के प्रमुख प्रा.डा. कृष्णदास महर्जन बताते हैं शहरी क्षेत्रो में दैनिक रूप से बच्चों द्वारा डेरी का दूध उपभोग होता, इसलिए भी बच्चे दूषित दूध से उच्च जोखिम में हैं । डा. महर्जन कहतें है, “ये बिषय इस कारण से और भी अधिक संवेदनशील है कि दूषित दूध से बच्चों कें जीवन में दीर्धकालीन समस्याएँ आ सकती हैं । अतः इसका केवल नियमन कर समाधान नहीं होगा, दूषित दूध उत्पादन केन्द्रो को सदा के लिए बन्द करना होगा और उत्पादक को कड़ी से कड़ी सजा दे कारवाही करनी होगी ।”
चिकित्सक और डेरी विज्ञ बताते हंै कि दूषित दूध को उच्च तापक्रम में गरम करने से सूक्ष्मजीव मर जाते हैं तथापि दूध का रासायनिक पदार्थ कम नहीं होता है । सरकारी निकायों से पिछले महीने किए गए परीक्षण में काठमाण्डू उपत्यका के अधिकांश उद्योग द्वारा सङ्कलित एवम् वितरित दूध में अखाद्य वस्तुओं का मलिावट पाया गया है । काठमाडौं जिला जनस्वास्थ्य प्रमुख डा. परशुराम श्रेष्ठ का मानना है कि बाजार में गुणस्तरहीन और मिसावटयुक्त दूध की मात्रा बढ़ने में किसान, दुग्ध प्रशोधन कारखाना से लेकर सरकार की भी कमजोरी रही है । ऐसा करना अपराध है सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और कडी सजा की व्यवस्था करनी चाहिए । त्रिभुवन विश्वविद्यालय शिक्षण अस्पताल महाराजगन्ज के उपप्राध्यापक डा. प्रनिलमान सिंह कहते है, “दूध को कम से कम १२५ डिग्री में १० मिनट तक उबालकर ही उपभोग करना चाहिए ।” यद्यपि रासायनिक पदार्थ मिलावट हुए दूध को उबालकर भी दोषमुक्त किया जा सकता है । चिकित्सक बताते हंै कि दूध में मिलावट किये गए रासायनिक पदार्थ और सूक्ष्मजीव विशेषतः पाचन प्रणाली और किडनी पर गम्भीर असर करता है । उद्योग में प्रशोधन करते समय ही सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए दूध को निश्चित तापक्रम में गरम करके फिर उसे ठण्डा करना चाहिए । आंशिक निर्मलीकरण के इस प्रक्रिया को पास्चराइजेशन कहा जाता है ।
खाद्य प्रविधि तथा गुण नियन्त्रण विभाग के प्रवक्ता पूर्णचन्द्र वत्स कहते हैं कि , “मापदण्ड कायम रखने में असमर्थ उद्योगों के विरुद्ध मुद्दा दायर होगा । “उनके मुताविक विभाग को दूध सङ्कलन केन्द्र से लेकर प्रशोधन उद्योग तक सभी और वेहतर उत्पादन प्रक्रिया एवं प्रविधि लगाने का अभ्यास करने के लिए अभिप्रेरित करना होगा ।
काठमाण्डू उपत्यका ही नहीं बल्कि देश के अन्य क्षेत्रों में बिक्री होनेवाले दूध में भी ऐसी ही समस्या दिखाई पड़ती है, ऐसे परीक्षण कभी कभी नहीं बल्कि नियमित रूप से करना होगा और उसका अनुगमन होना चाहिए ।
दूषित पानी चर्चा ः
अध्ययन के मुताविक ये पता चल रहा है कि काठमाडौं उपत्यका में बिक्री होनेवाला जार का पानी और मिनरलवाटर ७५ प्रतिशत दूषित है । अधिकाशं पानी उद्योग सामान्य मापदण्ड पूरी किए बिना संचालित हो रहे हैं जिसके कारण जार का पानी और मिनरलवाटर दुषित रूप में बाजार में पाया जा रहा है ।
काठमाडौं उपत्यका खानेपानी लिमिटेड (केयुएएल) का पानी एवं ढल गुणस्तर निर्धारण महाशाखा के प्रमुख ज्ञानेन्द्र कार्की कहना है कि उपत्यका का जार अनुगमन एवं लैब टेस्ट करने ये पता चला है कि उपत्यका में पाया जानेवाला पानी उद्योग के जार के पानी में से ७५ प्रतिशत दुषित रहा है ।
बाहर से झलक देखने में जार साफ नजर आता है । पर जार को साफ नहीं किया जाता है । अधिकाशं व्यवसायी टैंकर का पानी भरने के स्थान पर ही जार में भी पानी भरते है । उद्योग भी उतना ही गन्दा रहता है । महाशाखा के प्रमुख कार्की कहते हैं, ‘कुछ उद्योगो में पुराना मिनरल वाटर का बोतल संकलन कर उसी में पानी भरते हुए भी पाया गया है । इसीलिए काठमाडौं के हरेक कम्पनी का जार और मिनरल वाटर में शंका है ।’
जार और मिनरल वाटर का बोतल बाजार तक आने की प्रक्रिया मापदण्ड से विपरित है । पानी प्रशोधन और अधिकांश उद्योग द्वारा मापदण्ड पूरा नहीं किया गया है । कुछ उद्योग नदी और ढल के पास ही है । लैब टेस्ट से पुष्टि होती है कि सड़ी गली वस्तुएँ भी पानी में मिला होता है । लोग जानते है कि अशुद्ध पानी को जिवाणुमुक्त बनाने के लिए क्लोरिन, वाटरगार्ड, पियूष का प्रयोग करना चाहिये मगर किस मात्रा में इसका प्रयोग होना चाहिए ये बहुतों को पता नहीं है ।
टैंकर के पानी में तो और भी मुश्किल है । केयुकेएल ने पानी ढुवानी करने वाली कम्पनियों के टैंकरों में ३ प्रकार के स्टिकर को चिपकाया है । पीनेवाला पानी ढोनेवाले में हरा स्टिकर, घरेलु प्रयोजन के लिए पानी ढोने वाले में नीला और निर्माण एवं सफाई के प्रयोजन के लिए पानी ढोनेवाले में पीला स्टिकर लगाने की व्यवस्था की गई है पर इसमें भी व्यापारियों द्वारा लापरवाही की जाती है ।
पिछले महीने मापदण्ड पूरा ना करने की वजह से काठमाडौ के छः पानी उद्योगों को सिल कर दिया गया । खाद्य प्रविधि तथा गुण नियन्त्रण विभाग ने २६२ खानेपानी उद्योगो को (जार और बोटल) अनुज्ञापत्र दिया है । पर, आर्थिक वर्ष ०७४÷७५ में नवीकरण के लिये केवल ११७ कम्पनी ने निवेदन दिया है खाद्य विभाग से पता चला है । विभाग, काठमाडौं महानगरपालिका और नेपाल प्रहरी सहित के पिछले अनुगमन ने सगरमाथा फुड एन्ड बिभरेज प्रालि–मातातीर्थ, गोदावरी मिनरल वाटर प्रोडक्ट, कोर स्प्रिङ वाटर प्रालि–गोदावरी, अक्वा गोदावरी बिभरेज प्रालि, रियल स्प्रिङ मिनरल वाटर बिभरेज प्रालि और कागेश्वरी मनोहरा कोथलीस्थित माता सरस्वती खानेपानी प्रालि में सिल किया गया है । सगरमाथा फुड एन्ड बिभरेज उद्योग ने म्यानुयल बोटल फिलिङ नहीं किया था, जार का फिलिङ सेक्सन छोटा था और अलग नहीं था, पाइप लाइन में लिकेज और कार्बन फिल्टर ना पाने की वजह से सिल किया गया था । माता सरस्वती खानेपानी उद्योग ने अनुज्ञापत्र नवीकरण नहीं किया था ।
ऐसे ही गोदावरी मिनरल वाटर उद्योग के बाहर पानी भरकर बिक्री करता पाया गया था और सिलबन्दी किया गया । कोर स्प्रिङ वाटर को खाद्य अनुज्ञापत्र ना लेकर उद्योग सञ्चान करने पर सिल बन्द किया गया था । अक्वा गोदावरी बिभरेज प्रालि में शौचालय और पानी का लेबल करने का स्थान साथ ही साथ पाया गया था और अन्य उद्योगो में जार का पानी भरकर बेचते पाया गया था । साथ ही, खाद्य अनुज्ञापत्र ना लेने वाली कम्पनी को बन्द किया गया है ।
क्वालिटी खानेपानी प्रालि जोरपाटी, एमबी बिभरेज उद्योग कागेश्वर, मनोहरा और ए एन्ड बी बिभेरेज प्रालि को भी अनुगमन में गलत पाया गया है ।
अतः काठमाडौं उपत्यका में रहनेवालाें का स्वास्थ्य हर तरफ से खतरे में हैं । छोटी सी असजगता ओर लापरवाही से भी यहाँ बड़े बड़े भयानक परिस्थितियों का निर्माण हो सकता है । इसलिए यहाँ कुछ भी खाने और पीने से पहले बार बार सोचकर ही खाने और पीने के लिए सभी में आग्रह है ।
