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पितृपक्ष 2018: श्राद्ध की तिथियां एवं और भी बहुत कुछ : आचार्य राधाकांत शास्त्री

आचार्य राधाकांत शास्त्री | पितृ दोष से मुक्ति पाने का सबसे सही समय होता है पितृपक्ष। इस दौरान किए गए श्राद्ध कर्म और दान-तर्पण से पितृों को तृप्ति मिलती है। वे खुश होकर अपने वंशजों को सुखी और संपन्न जीवन का आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने की परंपरा हमारी सांस्कृतिक विरासत है। इस साल श्राद्ध 25 सितंबर से शुरू हो रहे हैं।
श्राद्ध कर्म के लिए यह है जरूरी :-
श्राद्ध करने के अपने नियम होते हैं। श्राद्ध पक्ष हिंदी कैलेंडर के अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में आता है। जिस तिथि में जिस परिजन की मृत्यु हुई हो, उसी तिथि में उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। श्राद्ध कर्म पूर्ण विश्वास, श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए। पितृों तक केवल हमारा दान ही नहीं बल्कि हमारे भाव भी पहुंचते हैं।
अमावस्या को किया जाता है इनका श्राद्ध :-
जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही-सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए। सांप काटने से मृत्यु और बीमारी में या अकाल मृत्यु होने पर भी अमावस्या तिथि को श्राद्ध किया जाता है। जिनकी आग से मृत्यु हुई हो या जिनका अंतिम संस्कार न किया जा सका हो, उनका श्राद्ध भी अमावस्या को करते हैं।
चतुर्थी तिथि को होता है इनका श्राद्ध :-
जिसने आत्महत्या की हो, जिसकी हत्या हुई हो, ऐसे लोगों का श्राद्ध चतुर्थी तिथि को किया जाता है।
मृत्यु को प्राप्त सुहागिनों का श्राद्ध :-
पति जीवित हो और पत्नी की मृत्यु हो गई हो, ऐसी महिलाओं का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है।
एकादशी को श्राद्ध :-
एकादशी में उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिन्होंने संन्यास ले लिया हो। इसके अतिरिक्त जिनकी इस तिथि में मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध इस तिथि में होगा।
जानें, किस दिन होगा कौन-सा श्राद्ध :-
पितृपक्ष के एक दिन पहले अगस्त मुनी और देवताओं की पूजा की जाती है, उनका तर्पण किया जाता है। इसलिए अगस्त मुनी और देवताओं तर्पण या पूर्णिमा का श्राद्ध एक दिन पहले यानी 24 सितंबर को किया जाएगा। पितृ पक्ष 15 दिन तक मनाया जाता है। इन दिनों में तिथियों के हिसाब से श्राद्ध कर्म और तर्पण किया जाता है।
देखें, किस तारीख में है कौन-सी तिथि :-
24 सितंबर 2018 को पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितंबर 2018 प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितंबर 2018 द्वितीय श्राद्ध
27 सितंबर 2018 तृतिया श्राद्ध
28 सितंबर 2018 चतुर्थी श्राद्ध
29 सितंबर 2018 पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर 2018 षष्ठी श्राद्ध
1 अक्टूबर 2018 सप्तमी श्राद्ध
2 अक्टूबर 2018 अष्टमी श्राद्ध
3 अक्टूबर 2018 नवमी श्राद्ध
4 अक्टूबर 2018 दशमी श्राद्ध
5 अक्टूबर 2018 एकादशी श्राद्ध
6 अक्टूबर 2018 द्वादशी श्राद्ध
7 अक्टूबर 2018 त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
8 अक्टूबर 2018 सर्वपितृ अमावस्या
9 अक्टूबर मातामह
 ( नाना कुल ) श्राद्ध
एक साल में इतने अवसरों पर कर सकते हैं श्राद्ध :-
धर्म शास्त्रों के अनुसार, अपने पितृों का श्राद्ध कर्म करने के लिए एक साल में 96 अवसर मिलते हैं। इनमें साल के बारह महीनों की 12 अमावस्या तिथि को श्राद्ध किया जा सकता है। साल की 14 मन्वादि तिथियां, 12 व्यतिपात योग, 12 संक्रांति, 12 वैधृति योग और 15 महालय शामिल हैं। इसने अतिरिक्त कई और तिथियां हैं, जिन पर आप अपने पुरोहित की सलाह से श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। सबके जीवन में,
पितृ पक्ष तर्पण , पूजन एवं पितृ यज्ञ के पुण्य प्रभाव से जीवन के समस्त पितृ दोष , मातृ दोष, प्रेत दोष, एवं वस्तु दोष समाप्त होकर सभी मातृ पितृ कृपा से सभी दैहिक, दैविक व भौतिक सुख प्राप्त हो।
आचार्य राधाकान्त शास्त्री
आचार्य राधाकान्त शास्त्री
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