वीरगंज ने पुराने कथन को ब्रेक किया है :सनत रेग्मी
सन्दर्भ : नेपाल भारत साहित्यिक सम्मेलन 2018
हिमालिनी अंक सितम्बर २०१८औद्योगिक नगरी वीरगंज को नेपाल–भारत साहित्य महोत्सव ने पूरे दो दिन साहित्यिक नगरी बना दिया है । मेरे खयाल से महोत्सव दो कारण से महत्वपूर्ण है । प्रथम– नेपाल और भारत के बीच आपसी मैत्री के लिए महोत्सव सफल रहा । भारत और नेपाल के साहित्यकार बीच जो आपसी विचार–विमर्श किया गया, उससे आपसी भावनाओं का आदान–प्रदान हो रहा है । भावनाओं के आदान–प्रदान से सम्बन्ध में मजबूती प्राप्त होगी । दूसरा कारण– जब नेपाल आकर भारतीय साहित्यकारों ने हमारी भाषा, संस्कृति और साहित्य के बारे में ज्ञान प्राप्त किया है तो उसके बारे में अब भारत में भी चर्चा–परिचर्चा होगी, जो हमारी भाषा और सांस्कृतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है ।


बहुत लोगों का कहना है कि साहित्यिक दृष्टिकोण से वीरगंज सुस्त शहर है । बीरगंज के ही एक प्रसिद्ध कवि थे, विनय रावल । उन्होंने कहा था– यह सत्तल सिंह के जैसा देश है, यहां किसी भी प्रकार की साहित्यिक तथा सांस्कृतिक बात नहीं हो सकती । लेकिन उक्त कथन और मान्यता इस कार्यक्रम के जरिए ‘ब्रेक’ हो गया है । साहित्य महोत्सव में नेपाल की मेची से लेकर महाकाली, हिमाल से लेकर तराई में रहनेवाले साहित्यकार इकठ्ठा हो गए हैं । भारत से भी विभिन्न शहरों से साहित्यकार आए हैं, जो सामान्य घटना नहीं है । इसीलिए कार्यक्रम को नेपाल–भारत मैत्री संबंध के प्रतीक के रूप में देखना चाहिए । ग्रीन केयर सोसाइटी के अध्यक्ष डा. विजय पण्डित ने कहा है कि अब इस तरह का कार्यक्रम हर साल किया जाएगा, यह सराहनीय है । भारत और नेपाल में संयुक्त रूप में इस तरह का साहित्यिक गोष्ठी होना अच्छी बात है, इसके लिए डा. पण्डित जी को शुभकामना ।