Fri. Mar 29th, 2024

जिस दिन काठमाण्डू के पुलिस क्लब में क्राईम रिपोर्टर के पी ढुंगाना के द्वारा लिखित ‘ओपन सेक्रेट’ नामक पुस्तक का विमोचन हो रहा था ठीक उसी समय नेपाल पुलिस का



क्राईम कनेक्सन करांची टू काठमाण्डू
क्राईम कनेक्सन करांची टू काठमाण्डू

इंटेलिजेन्स विभाग एक अत्यन्त ही गोपनीय रिपोर्ट पर माथापच्ची में जुटा हुआ था। ‘ओपन सेक्रेट’ पुस्तक में काठमाण्डू सहित देश के कुछ अन्य हिस्सों में पिछले १० सालों में हुए कुछ हाई प्रोफायल मर्डर मिष्ट्री को एक रिपोर्टर की हैसियत से उसकी गुत्थी सुलझाने का प्रयास किया गया है। और उसी समय पुलिस की इंटेलिजेन्स विभाग को करीब करीब वैसा ही कुछ हाथ लग गया था, जिससे पुलिस अधिकारियों की नींद हराब होने वाली थी। पत्रकार के पी ढुंगाना ने अपनी पुस्तक ‘ओपन सेक्रेट’ में सांसद मिर्जा दिलशाद बेग से लेकर भारतीय जाली नोट के नेपाल के सबसे बडे सरगना और जेल में बन्द यूनुस अंसारी पर हुए जानलेवा हमले तक की कडी को मिलाते हुए यह दिखाने का प्रयास किया कि नेपाल में मारे गए बेग के अलावा सौकत बेग, माजिद मनिहार कमल नेपाली और जमीम शाह तक की हत्या के पीछे अण्डरवर्ल्ड की दुनियां के दो बेताज बादशाह दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के बीच की गैंगवार का नतीजा है। साथ ही ‘ओपन सेक्रेट’ में इन सभी हाई प्रोफायल मर्डर में भारतीय अपराधियों की सांठगांठ के बारे में भी बताया गया है। इस में यह भी कहा गया है कि कैसे मिर्जा दिलशाद बेग से लेकर यूनुस अंसारी तक की पाकिस्तान में रहे दुनियां के मोष्ट वाण्टेड आतंकी दाऊद और उसकी डी कंपनी से ताल्लुकात के कारण इनकी हत्या हर्ुइ या हत्या का प्रयास किया गया। अब यह महज संयोग था या फिर कुछ और जिस समय पुलिस क्लब के सभागृह में नेपाल पुलिस के पर्ूव प्रमुख अच्युत कृष्ण खरेल पुलिस के कई आला अधिकारियों की उपस्थिति में इस ‘ओपन सेक्रेट’ के राज से पर्दा उठा रहे थे ठीक उसी समय पुलिस मुख्यालय में रहे इंटेलीजेन्स विभाग के कुछ बडे अधिकारी उस एक सेक्रेट रिपोर्ट के बारे में अपनी अपनी कमेण्ट दे रहे थे।
दरअसल पुलिस के खुफिया विभाग को कहीं से यह जानकारी आई थी कि नेपाल में एक बार फिर से खूनी खेल होने वाला है। यानी कि दाउद और छोटा राजन या दाउद और बबलू श्रीवास्तव के गैंग की आपसी दुश्मनी का खामियाजा एक बार फिर से नेपाल को भुगतना पडÞ सकता है। एक बार फिर से अण्डरवर्ल्ड के निशाने पर नेपाल है। एक बार फिर से अण्डरवर्ल्ड की आपसी गैंगवार का खूनी खेल काठमाण्डू या फिर देश के किसी अन्य हिस्से में खेला जा सकता है। एक बार फिर से किसी एक गैंग का आदमी इसकी चपेट में आने वाला है। यानी कि पुलिस के लिए एक और गैंगवार या हाई प्रोफायल मर्डर को रोकने की चुनौती आ गई थी। सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों नेपाल इस का निशाना बनता जा रहा है – इसके पीछे कौन सा राज छिपा हुआ है – इसकी गुत्थी सुलझाने में पुलिस लगी हर्ुइ है। हालांकि अबतक इससे जुडी हर्ुइ किसी भी हत्या के मामले को पुलिस अभी तक सुलझा नहीं पाई है। लेकिन इन सभी हत्याकाण्डों में एक बात जो कि सभी के साथ मिलती जुलती है वह यह है कि मारे गए मिर्जा से लेकर जमीम तक और जानलेवा हमले में बाल-बाल बचे यूनुस अंसारी इन सभी का संबंध किसी ना किसी रूप में पाकिस्तान में रहे दाउद इब्राहिम से है। भारतीय खुफिया अधिकारियों के दावे के मुताबिक पाकिस्तान की करांची में पाक सेना और आईएसआई की छत्रछाया में रहे दाउद इब्राहिम के कारिन्दों की नेपाल में एक के बाद एक हत्या के पीछे नेपाल की सुरक्षा विभाग का कोई लेना देना नहीं है। लेकिन कई ऐसे कारण है जिस वजह से नेपाल की पुलिस को बेवजह इस में परेशान होना पडÞता है। पुलिस की खुफिया विभाग को मिली इस ताजा जनकारी के बाद से पुलिस अब इस रणनीति में जुटी हर्ुइ है कि किसी तरह से ऐसे वारदातों को अपनी जमीन पर ना होने दे। लेकिन संगठित आपराधिक समूह और उन के जबर्दस्त नेर्टवर्क के सामने नेपाल की पुलिस कई बार लाचार नजर आती है।
पाकिस्तान की करांची में बैठा हुआ दाउद, यूरोपकी किसी अस्पताल में अपना इलाज करा रहा छोटा राजन, भारत के लखनऊ की जेल में बन्द बबलू श्रीवास्तव इन सभी का आखिर नेपाल से क्या रिश्ता है – क्यों बार बार इनकी आपसी दुश्मनी का खामियाजा नेपाल को भुगतना पड रहा है – इसका विश्लेषण करना जरूरी है। आखिर करांची से काठमाण्डू वाया लखनऊ का क्राईम कनेक्शन क्या है – और इस का अगला निशाना कौन बन सकता है- किसके सर मौत का बादल मडÞरा रहा है – इस खूनी खेल में अब किसकी बारी है – पुलिस को मिली ताजा खुफिया जानकारी के मुताबिक करांची के कहने पर लखनऊ की जेल में बन्द बबलू श्रीवास्तव के कुछ गर्ुगे काठमाण्डू पहुंच चुके हैं। उनका र्टार्गेट क्या उनकी हिटलिस्ट में कौन-कौन है पुलिस अब इस बात को खंगालने में जुटी हर्ुइ है। मिर्जा दिलशाद बेग से लेकर जमीम शाह तक और जेल में बन्द यूनुस अंसारी तक सब का अतीत देखा जाए तो ये सभी किसी ना किसी रूप में जाली नोट, हथियारों की तस्करी, आतंकवाद को संरक्षण देने के काम में संलग्न थे। यूनुस अंसारी तो जेल में रहने के बावजूद वहीं से अपने काले कारनामे को अंजाम देता रहता है। पुलिस ने जेल में छापामारी कर उसके पास से मोबायल और सिमकार्ड बरामद किया। इतना ही नहीं उसके लिए जाली नोट का कारोबार करने वाले और करांची से काठमाण्डू तक उसके कहने पर जाली नोट का खेप पाकिस्तान से लाकर भारत के विभिन्न स्थानों पर भेजने का काम करने वाले कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है। यानी कि जेल की चारदिवारी भी उसके गैर कानूनी काम को नहीं रोक पाई। यूनुस का परिवार और खुद यूनुस का आरोप है कि जेल में ही उसकी हत्या की योजना बनाई गई है लेकिन जब जेल के भीतर से काले कारनामे को अंजाम देगा तो खतरा जेल के भीतर भी तो बना रहना स्वाभाविक ही है।
नेपाल में अण्डरवर्ल्ड गैंगवार होने में यहां के राजनेताओं का भी हाथ है। पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी आईएसआई के लिए काम करने और नेपाल से जाली नोट का ही कारोबार नहीं बल्कि भारत में आतंकी गतिविधि के लिए हथियार और विष्फोट्क पदार्थाें की आपर्ूर्ति और आतंकवादियों को संरक्षण देने तक का काम नेपाल के राजनेताओं द्वारा किया जाता रहा है। और सबसे दुखद बात यह है कि यह सब वही नेता हैं जो कि भारत के करीब माने जाते हैं। राप्रपा पार्टर्ीीे नेता मिर्जा दिलशाद बेग को संरक्षण देने का काम करते थे तो जमीम शाह को नेपाल के सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवार कोइराला परिवार का ही वरदहस्त प्राप्त था। यूनुस अंसारी का एमाले के बडÞे से बडÞा नेता से करीब का रिश्ता था तो पर्ूव राजपरिवार में भी उसकी अच्छी पैठ थी। नेपालगंज में मारा गया माजिद मनिहार हो या बुटवल का सौकत बेग सभी का आलम कुछ ऐसा ही था। पर्ूव प्रधानमंत्री और भारत के सबसे करीबी और भरोसेमन्द नेता के रूप में परिचित र्सर्ूय बहादुर थापा दाऊद के खास रहे सौगत बेग को इतना मानते थे कि बुटवल जाते समय और कोई काम करे या नहीं लेकिन बेग के घर चाय पीने जरूर जाते थे। इसी तरह पर्ूव प्रधानमंत्री और भारत के अनन्य मित्र रहे गिरिजा कोइराला जमीम शाह के इतने करीबी थे कि प्रधानमंत्री पद पर रहने के बावजूद अक्सर वो आराम फरमाने जमीम शाह के आलीशान बंगले में जाते थे जहां जमीम ने उनके लिए दुनियां के हर ऐशो आराम की सुविधा उपलब्ध करा रखी थी। जमीम शाह के ही घर में किराया में रहे तत्कालीन मंत्री विजय कुमार गच्छेदार ने ऐसा नियम बनाया कि नेपाल के केबल बिजनेस पर जमीम शाह का कई वषर्ाें तक एक छत्र राज चलता रहा। भारत में दाऊद के साथ काम करने वाले और अपहरण से लेकर हत्या तक की सुपारी लेकर लोगों को मौत के घाट उतारने वाले हथियार और विष्फोटक पदार्थाें की तस्करी में रहे बबलू श्रीवास्तव का नेपाल के साथ संबंध को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं। लखनऊ की जेल में बन्द बबलू ने अपनी आत्मकथा अधूरा ख्वाब में नेपाल में अपने उन तमाम संबंधों का खुल कर जिक्र किया है, जिसके सहयोग से वह हत्या, अपहरण और तस्करी का काम आसानी से किया करता था। इस किताब में तत्कालीन प्रतिनिधि सभा के दो सांसद मिर्जा दिलशाद बेग और हृदयेश त्रिपाठी का नाम बार बार उल्लेख किया है। के पी ढुंगाना ने अपने ‘ओपन सेक्रेट’ में पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया है कि पुलिस ने किसी भी हत्याकाण्ड की जांच को उसके अंजाम तक नहीं पहुंचाया। लेकिन लेखक यह अच्छी तरह से जानते हैं कि जब अपराधी प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री या सरकार के प्रभावशाली मंत्री के संरक्षण में रहते हैं तो ऐसे में भला पुलिस क्या कर लेगी।
जब तक नेपाल के एक खास वर्ग में पाकिस्तान के प्रति आकर्षा, जल्द से जल्द पैसा कमाने की भूख, प्रभावशाली बनने की होड बनी रहेगी और जब तक ऐसे लोगों को नेपाल में नेताओं द्वारा अपने फायदे के लिए इन का उपयोग किया जाता रहेगा, तब तक नेपाल अंडरवर्ल्ड के खूनी खेल से लाल होता रहेगा। जब तक नेपाल में आईएसआई का जाल फैला रहेगा, जब तक दाऊद का साया नेपाल पर रहेगा और जब तक भारत से आए अपराधी प्रवृति के लोगों को पनाह मिलती रहेगी, तब तक नेपाल में गैंगवार होता रहेगा। इस में कोई शक नहीं कि करांची से कनेक्शन रखने वालों पर शिकंजा नहीं कसे जाने पर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति होती रहेगी। और पुलिस की ताजा खुफिया जानकारी ने इसकी आशंका और अधिक बढा दी है।

यूनुस का करांची कनेक्सन

भारतीय जाली नोट के कारोबार और नेपाल में दाऊद का सबसे करीबी बनकर डी कम्पनी के काले पैसे को सफेद बनाने के काम में जुटे यूनुस अंसारी को पुलिस ने काफी मेहनत

यूनुस का करांची कनेक्सन
यूनुस का करांची कनेक्सन

के बाद गिरफ्तार किया था। सालों से पुलिस की नजरों में रहे यूनुस आखिरकार फन्दे में तो फंस गया। लेकिन जेल में रहते हुए भी उसका करांची कनेक्सन नहीं छूट पाया था। जेल के भीतर ही यूनुस पर हुए जानलेवा हमले को नेपाली मीडिया ने काफी उछाला और खूब हंगामा भी हुआ। उस पर हमला करने वाला भारतीय अपराधी मनजीत सिंह भी गिरफ्तार हुआ। भारतीय अपराधी के गिरफ्तार होने से नेपाली मीडिया ने भारत को भी जम कर कोसा। लेकिन इस बात पर किसी का ध्यान नहीं गया कि यूनुस पर हमला करने का दावा करने वाले लोग भी कभी उसी गैंग में साथ काम किया करते थे। जिस तरीके से नेपाली मीडिया ने यूनुस पर हुए जानलेवा हमले को तरजीह दिया उतना शायद उस समाचार को नहीं दिया जब पुलिस ने जेल में छापामारी कर उसके जेल के भीतर से चलाए जा रहे काले धंधे का पर्दाफाश किया था। क्या यह सिर्फइसलिए हुआ था क्योंकि यूनुस भी एक टेलीविजन चलाता था। वह मीडिया की आड में अपने गैर कानूनी काम को अंजाम देता था।
यूनुस अंसारी के जेल जाने के बाद भी नेपाल के रास्ते भारतीय जाली नोट का कारोबार रुकता नहीं दिखा। नेपाल पुलिस हो या फिर भारतीय खुफिया विभाग सभी को यह लग रहा था कि यूनुस अंसारी ही इस समय नेपाल में जाली नोट के कारोबार का सबसे बडा सरगना है और उसकी गिरफ्तारी के बाद जाली नोट के कारोबार में शायद कुछ कमी आएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूनुस की गिरफ्तारी के बाद थोडे दिनों तक जाली नोट का कारोबार शान्त रहा लेकिन अधिक दिनों तक यह रुक नहीं पाया। नेपाल पुलिस ने भारतीय खुफिया विभाग द्वारा उपलब्ध कर्राई गई जानकारी के अनुसार एक के बाद एक कई खेप जाली नोटों का बडा जखीरा ही बरामद किया। पुलिस को फिर आशंका हर्ुइ। जाली नोट का कारोबार करने वालों ने रूट ही बदल दिया था। पहले जो माल करांची या लाहौर से सीधे काठमाण्डू आया करता था अब वह करांची से बैंकक, दर्ुबई, या अन्य किसी देश होते हुए नेपाल पहुंचने लगा। जब इस बारे में पुलिस ने अपनी जांच शुरू की और जाली नोट लेकर आने वालों से कर्डाई से पूछताछ की तब जो जानकारी पुलिस को मिली वह वाकई में हैरान कर देने वाली थी। पुलिस को मोबायल लोकेशन से पता चला कि यह सब कारोबार सुन्धारा के आसपास के इलाके से ही संचालित किया जा रहा था। जब पुलिस की जांच और गहर्राई में गई तब यह राज खुला कि यह तो सुन्धारा के पास रहे सेण्ट्रल जेल के भीतर से हो रहा है। पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि इसके पीछे किसका हाथ है। तुरन्त नेपाल पुलिस की सीआईबी टीम ने सेंट्रल जेल में छापा मारा तो वहां से यूनुस अंसारी के पास से दो सिमकार्ड और एक मोबायल फोन बरामद हुआ। इनमें से एक सिम कार्ड एनटीसी का पोष्ट पेड नम्बर ९८५१०८१५२९ और दूसरा एनसेल का प्रिपेड नम्बर ९८०८५८४५९७ बरामद हुआ। बाद में इन दोनों नम्बरों की जांच के बाद पुलिस को पता चला कि इन नम्बरों से यूनुस अंसारी और करांची में रहे अपने जाली नोट के एक कारोबारी के बीच दिन में कई बार बात होती थी। पाकिस्तान के करांची में जिस नम्बर पर यूनुस बात किया करता था, वह नम्बर है ३४५८२८३३१४ और ३२१९२४२२०८।
यूनुस के जेल में जाने के बाद से उसके कहने पर पाकिस्तान से जाली नोट लेकर आने वालों में टेक बहादुर कार्की, वीरगंज के वीरेन्द्र साह, भारत मोतिहारी के मोख्तार अंसारी, इसामुद्दीन मियां, बारा रामपुर टोकनी के आफताब आलम अंसारी, चोकट महतो, और पाल्पा देवीनगर के विनोद खत्री को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इससे पहले जिस समय यूनुस अंसारी की गिरफ्तारी हर्ुइ थी, उस समय भी पाकिस्तान के करांची से जाली नोट का खेप लेकर आने वाले पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद इकबाल, मोहम्मद सज्जाद, नेपाली नागरिक मोहम्मद अतीक अहमद और भारतीय नागरिक राजेश गुप्ता। यूनुस के साथ सर्ंपर्क में रहने वाले और उसके जाली नोट के कारोबार में रहने वाले सिर्फपाकिस्तानी या कुछ भारतीय नागरिक ही नहीं थे बल्कि काठमाण्डू स्थित पाकिस्तानी दूतावास के कुछ बडे अधिकारी भी उसके इस काम को अंजाम तक पहुंचाने में उसकी काफी मदत करते थे। यूनुस के जाली नोट कारोबार के बारे में जांच कर रही पुलिस टीम को इस बात के कई अहम सबूत हाथ लगे हैं, जिससे यह साफ पुष्टि हो जाती है कि नेपाल स्थित पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी नेपाल से जाली भारतीय नोट के कारोबार में कितने सक्रिय हैं। काठमाण्डू में ही पाकिस्तानी दूतावास के एक कर्मचारी पर हुए हमले को इसी कारोबार के साथ जोड कर देखा गया। और उस कर्मचारी की संलग्नता यूनुस के साथ भी होने का प्रमाण पुलिस को मिला लेकिन कूटनैतिक संबंधों की वजह से पुलिस पाकिस्तानी दूतावास के इस कारनामे को आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करती है।
जिस दिन काठमाण्डू के पुलिस क्लब में क्राईम रिपोर्टर के पी ढुंगाना के द्वारा लिखित ‘ओपन सेक्रेट’ नामक पुस्तक का विमोचन हो रहा था ठीक उसी समय नेपाल पुलिस का इंटेलिजेन्स विभाग एक अत्यन्त ही गोपनीय रिपोर्ट पर माथापच्ची में जुटा हुआ था। ‘ओपन सेक्रेट’ पुस्तक में काठमाण्डू सहित देश के कुछ अन्य हिस्सों में पिछले १० सालों में हुए कुछ हाई प्रोफायल मर्डर मिष्ट्री को एक रिपोर्टर की हैसियत से उसकी गुत्थी सुलझाने का प्रयास किया गया है। और उसी समय पुलिस की इंटेलिजेन्स विभाग को करीब करीब वैसा ही कुछ हाथ लग गया था, जिससे पुलिस अधिकारियों की नींद हराब होने वाली थी। पत्रकार के पी ढुंगाना ने अपनी पुस्तक ‘ओपन सेक्रेट’ में सांसद मिर्जा दिलशाद बेग से लेकर भारतीय जाली नोट के नेपाल के सबसे बडे सरगना और जेल में बन्द यूनुस अंसारी पर हुए जानलेवा हमले तक की कडी को मिलाते हुए यह दिखाने का प्रयास किया कि नेपाल में मारे गए बेग के अलावा सौकत बेग, माजिद मनिहार कमल नेपाली और जमीम शाह तक की हत्या के पीछे अण्डरवर्ल्ड की दुनियां के दो बेताज बादशाह दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के बीच की गैंगवार का नतीजा है। साथ ही ‘ओपन सेक्रेट’ में इन सभी हाई प्रोफायल मर्डर में भारतीय अपराधियों की सांठगांठ के बारे में भी बताया गया है। इस में यह भी कहा गया है कि कैसे मिर्जा दिलशाद बेग से लेकर यूनुस अंसारी तक की पाकिस्तान में रहे दुनियां के मोष्ट वाण्टेड आतंकी दाऊद और उसकी डी कंपनी से ताल्लुकात के कारण इनकी हत्या हर्ुइ या हत्या का प्रयास किया गया। अब यह महज संयोग था या फिर कुछ और जिस समय पुलिस क्लब के सभागृह में नेपाल पुलिस के पर्ूव प्रमुख अच्युत कृष्ण खरेल पुलिस के कई आला अधिकारियों की उपस्थिति में इस ‘ओपन सेक्रेट’ के राज से पर्दा उठा रहे थे ठीक उसी समय पुलिस मुख्यालय में रहे इंटेलीजेन्स विभाग के कुछ बडे अधिकारी उस एक सेक्रेट रिपोर्ट के बारे में अपनी अपनी कमेण्ट दे रहे थे।
दरअसल पुलिस के खुफिया विभाग को कहीं से यह जानकारी आई थी कि नेपाल में एक बार फिर से खूनी खेल होने वाला है। यानी कि दाउद और छोटा राजन या दाउद और बबलू श्रीवास्तव के गैंग की आपसी दुश्मनी का खामियाजा एक बार फिर से नेपाल को भुगतना पडÞ सकता है। एक बार फिर से अण्डरवर्ल्ड के निशाने पर नेपाल है। एक बार फिर से अण्डरवर्ल्ड की आपसी गैंगवार का खूनी खेल काठमाण्डू या फिर देश के किसी अन्य हिस्से में खेला जा सकता है। एक बार फिर से किसी एक गैंग का आदमी इसकी चपेट में आने वाला है। यानी कि पुलिस के लिए एक और गैंगवार या हाई प्रोफायल मर्डर को रोकने की चुनौती आ गई थी। सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों नेपाल इस का निशाना बनता जा रहा है – इसके पीछे कौन सा राज छिपा हुआ है – इसकी गुत्थी सुलझाने में पुलिस लगी हर्ुइ है। हालांकि अबतक इससे जुडी हर्ुइ किसी भी हत्या के मामले को पुलिस अभी तक सुलझा नहीं पाई है। लेकिन इन सभी हत्याकाण्डों में एक बात जो कि सभी के साथ मिलती जुलती है वह यह है कि मारे गए मिर्जा से लेकर जमीम तक और जानलेवा हमले में बाल-बाल बचे यूनुस अंसारी इन सभी का संबंध किसी ना किसी रूप में पाकिस्तान में रहे दाउद इब्राहिम से है। भारतीय खुफिया अधिकारियों के दावे के मुताबिक पाकिस्तान की करांची में पाक सेना और आईएसआई की छत्रछाया में रहे दाउद इब्राहिम के कारिन्दों की नेपाल में एक के बाद एक हत्या के पीछे नेपाल की सुरक्षा विभाग का कोई लेना देना नहीं है। लेकिन कई ऐसे कारण है जिस वजह से नेपाल की पुलिस को बेवजह इस में परेशान होना पडÞता है। पुलिस की खुफिया विभाग को मिली इस ताजा जनकारी के बाद से पुलिस अब इस रणनीति में जुटी हर्ुइ है कि किसी तरह से ऐसे वारदातों को अपनी जमीन पर ना होने दे। लेकिन संगठित आपराधिक समूह और उन के जबर्दस्त नेर्टवर्क के सामने नेपाल की पुलिस कई बार लाचार नजर आती है।
पाकिस्तान की करांची में बैठा हुआ दाउद, यूरोपकी किसी अस्पताल में अपना इलाज करा रहा छोटा राजन, भारत के लखनऊ की जेल में बन्द बबलू श्रीवास्तव इन सभी का आखिर नेपाल से क्या रिश्ता है – क्यों बार बार इनकी आपसी दुश्मनी का खामियाजा नेपाल को भुगतना पड रहा है – इसका विश्लेषण करना जरूरी है। आखिर करांची से काठमाण्डू वाया लखनऊ का क्राईम कनेक्शन क्या है – और इस का अगला निशाना कौन बन सकता है- किसके सर मौत का बादल मडÞरा रहा है – इस खूनी खेल में अब किसकी बारी है – पुलिस को मिली ताजा खुफिया जानकारी के मुताबिक करांची के कहने पर लखनऊ की जेल में बन्द बबलू श्रीवास्तव के कुछ गर्ुगे काठमाण्डू पहुंच चुके हैं। उनका र्टार्गेट क्या उनकी हिटलिस्ट में कौन-कौन है पुलिस अब इस बात को खंगालने में जुटी हर्ुइ है। मिर्जा दिलशाद बेग से लेकर जमीम शाह तक और जेल में बन्द यूनुस अंसारी तक सब का अतीत देखा जाए तो ये सभी किसी ना किसी रूप में जाली नोट, हथियारों की तस्करी, आतंकवाद को संरक्षण देने के काम में संलग्न थे। यूनुस अंसारी तो जेल में रहने के बावजूद वहीं से अपने काले कारनामे को अंजाम देता रहता है। पुलिस ने जेल में छापामारी कर उसके पास से मोबायल और सिमकार्ड बरामद किया। इतना ही नहीं उसके लिए जाली नोट का कारोबार करने वाले और करांची से काठमाण्डू तक उसके कहने पर जाली नोट का खेप पाकिस्तान से लाकर भारत के विभिन्न स्थानों पर भेजने का काम करने वाले कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है। यानी कि जेल की चारदिवारी भी उसके गैर कानूनी काम को नहीं रोक पाई। यूनुस का परिवार और खुद यूनुस का आरोप है कि जेल में ही उसकी हत्या की योजना बनाई गई है लेकिन जब जेल के भीतर से काले कारनामे को अंजाम देगा तो खतरा जेल के भीतर भी तो बना रहना स्वाभाविक ही है।
नेपाल में अण्डरवर्ल्ड गैंगवार होने में यहां के राजनेताओं का भी हाथ है। पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी आईएसआई के लिए काम करने और नेपाल से जाली नोट का ही कारोबार नहीं बल्कि भारत में आतंकी गतिविधि के लिए हथियार और विष्फोट्क पदार्थाें की आपर्ूर्ति और आतंकवादियों को संरक्षण देने तक का काम नेपाल के राजनेताओं द्वारा किया जाता रहा है। और सबसे दुखद बात यह है कि यह सब वही नेता हैं जो कि भारत के करीब माने जाते हैं। राप्रपा पार्टर्ीीे नेता मिर्जा दिलशाद बेग को संरक्षण देने का काम करते थे तो जमीम शाह को नेपाल के सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवार कोइराला परिवार का ही वरदहस्त प्राप्त था। यूनुस अंसारी का एमाले के बडÞे से बडÞा नेता से करीब का रिश्ता था तो पर्ूव राजपरिवार में भी उसकी अच्छी पैठ थी। नेपालगंज में मारा गया माजिद मनिहार हो या बुटवल का सौकत बेग सभी का आलम कुछ ऐसा ही था। पर्ूव प्रधानमंत्री और भारत के सबसे करीबी और भरोसेमन्द नेता के रूप में परिचित र्सर्ूय बहादुर थापा दाऊद के खास रहे सौगत बेग को इतना मानते थे कि बुटवल जाते समय और कोई काम करे या नहीं लेकिन बेग के घर चाय पीने जरूर जाते थे। इसी तरह पर्ूव प्रधानमंत्री और भारत के अनन्य मित्र रहे गिरिजा कोइराला जमीम शाह के इतने करीबी थे कि प्रधानमंत्री पद पर रहने के बावजूद अक्सर वो आराम फरमाने जमीम शाह के आलीशान बंगले में जाते थे जहां जमीम ने उनके लिए दुनियां के हर ऐशो आराम की सुविधा उपलब्ध करा रखी थी। जमीम शाह के ही घर में किराया में रहे तत्कालीन मंत्री विजय कुमार गच्छेदार ने ऐसा नियम बनाया कि नेपाल के केबल बिजनेस पर जमीम शाह का कई वषर्ाें तक एक छत्र राज चलता रहा। भारत में दाऊद के साथ काम करने वाले और अपहरण से लेकर हत्या तक की सुपारी लेकर लोगों को मौत के घाट उतारने वाले हथियार और विष्फोटक पदार्थाें की तस्करी में रहे बबलू श्रीवास्तव का नेपाल के साथ संबंध को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं। लखनऊ की जेल में बन्द बबलू ने अपनी आत्मकथा अधूरा ख्वाब में नेपाल में अपने उन तमाम संबंधों का खुल कर जिक्र किया है, जिसके सहयोग से वह हत्या, अपहरण और तस्करी का काम आसानी से किया करता था। इस किताब में तत्कालीन प्रतिनिधि सभा के दो सांसद मिर्जा दिलशाद बेग और हृदयेश त्रिपाठी का नाम बार बार उल्लेख किया है। के पी ढुंगाना ने

D company Owner Dawood
D company Owner Dawood

अपने ‘ओपन सेक्रेट’ में पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया है कि पुलिस ने किसी भी हत्याकाण्ड की जांच को उसके अंजाम तक नहीं पहुंचाया। लेकिन लेखक यह अच्छी तरह से जानते हैं कि जब अपराधी प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री या सरकार के प्रभावशाली मंत्री के संरक्षण में रहते हैं तो ऐसे में भला पुलिस क्या कर लेगी।
जब तक नेपाल के एक खास वर्ग में पाकिस्तान के प्रति आकर्षा, जल्द से जल्द पैसा कमाने की भूख, प्रभावशाली बनने की होड बनी रहेगी और जब तक ऐसे लोगों को नेपाल में नेताओं द्वारा अपने फायदे के लिए इन का उपयोग किया जाता रहेगा, तब तक नेपाल अंडरवर्ल्ड के खूनी खेल से लाल होता रहेगा। जब तक नेपाल में आईएसआई का जाल फैला रहेगा, जब तक दाऊद का साया नेपाल पर रहेगा और जब तक भारत से आए अपराधी प्रवृति के लोगों को पनाह मिलती रहेगी, तब तक नेपाल में गैंगवार होता रहेगा। इस में कोई शक नहीं कि करांची से कनेक्शन रखने वालों पर शिकंजा नहीं कसे जाने पर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति होती रहेगी। और पुलिस की ताजा खुफिया जानकारी ने इसकी आशंका और अधिक बढा दी है।

जमीम हत्याकाण्ड का करांची कनेक्सन

 

हाई-प्रोफाईल-अपहरण

 



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