दरारों को मिटा देना, घुटन अब मैंं सहूँ कैसे : अनीताशाह
चित्रलेखन
दरारों को मिटा देना, घुटन अब मैंं सहूँ कैसे।
लकीरों में छुपी बातें , बता तुमसे कहूँ कैसे।
जमाने ने बनाये रस्म उसको तोड़ना मुश्किल-
बगावत कर रहा है दिल बिना तेरे रहूँ कैसे।
कहूँ क्या जिंदगी तेरे बिना मुश्किल नज़र आई।
लकीरों के हिसाबों में गज़ब ग़म की लहर आई।
रहा बचपन हमारा भी बहुत प्यारा, दुलारा-सा-
जुदा होने लगें जब हम, हमारी आँख भर आई।
अनीताशाह, नेपाल
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