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शंघाई, एजेंसी।



क्रिसमस में अब 24 घंटों से भी कम समय रह गया है। लेकिन चीन के कई शहरों में क्रिसमस ट्री कहीं नजर ही नहीं आ रहा है। यहां सांता क्‍लॉस के आने पर भी इन शहरों में रोक लगा दी गई है। चीन के शहर नांगयांग की एक 27 मंजिला इमारत पर क्रिसमस की कोई रौनक नजर नहीं आ रही है। इधर, विश्‍व के कई देशों के साथ-साथ भारत में क्रिसमस काफी धूम है। कई शहर रौशनी में नहाए नजर आ रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि आखिर, क्‍यों चीन के कई शहरों में सांता और क्रिसमस ट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

दरअसल, चीन का मानना है कि क्रिसमस पश्चिमी सभ्यता को बढ़ावा देने वाला त्योहार है जिसका कि युवावर्ग पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि, चीन में मान्यता प्राप्त पांच धर्मों में से इसाई धर्म भी एक है। चीनी मीडिया ने जानकारी दी कि उत्तर चीन के हेबेई प्रांत में लैंगफैंग के शहरी प्रबंधन ब्यूरो ने रविवार को एक नोटिस जारी किया, जिसमें लिखा था कि सड़कों पर क्रिसमस के पेड़ पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। स्‍थानीय पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें चीनी संस्‍कृति को दर्शाया गया है।

ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, शहर में फेरीवालों को क्रिसमस से संबंधित सामान जैसे क्रियमय ट्री, सांता कॉस्ट्यूम और स्टॉकिंग्स बेचने से मना किया गया है। सभी ब्यूरो कर्मियों को 23 दिसंबर से क्रिसमस के दिन तक ड्यूटी पर रहकर क्रिसमस थीम को बढ़ावा देने की निगरानी करने को कहा गया है। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर ब्यूरो के एक कर्मचारी, ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि कार्रवाई क्रिसमस में लक्षित नहीं थी, बल्कि ‘राष्‍ट्रीय सभ्य शहरों’ की वार्षिक रेटिंग पारित करने का प्रयास था। कर्मचारी ने बताया कि सड़क के किनारे स्टालों और प्रवासी विक्रेताओं पर लगाम लगाम हमारा रोजमर्रा का काम है। क्रिसमस के समय गहमागहमी के कारण अवैध गतिविधियां बढ़ जाती हैं।

गौरतलब है कि पिछले साल एक चीनी विश्वविद्यालय शेनयांग ने भी परिसर में क्रिसमस समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल भी कम से कम चार शहरों में क्रिसमस मनाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी की अपील को तेजी से बदलती दुनिया में चीनी परंपरा के लिए एक धर्मयुद्ध के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश है। इसलिए, क्रिसमस जैसे विदेशी सांस्कृतिक तत्वों को चॉपिंग ब्लॉक पर रखा गया है। क्रिसमस पर निचोड़ इस बात का एक उदाहरण है कि कई चीनी लोगों के रोजमर्रा के जीवन में ‘सामान्यीकरण’ सोच को कैसे प्रभावित किया जाता है। बता दें कि चीन में इस साल चर्च गिराने, क्रॉस चिन्ह को ज़बरदस्ती हटाने या गिरफ़्तारियों की कई घटनाएं भी सामने आई हैं।



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