अदभुत शख्शियत ……….मिलिए 103 साल की दादी जानकी से
उनकी उम्र 103 वर्ष हो चुकी है लेकिन वे अभी भी दुनिया के विभिन्न देशो की यात्रा कर दुनिया मे रूहानियत का प्रकाश फैला रही है ,साथ ही विश्व मे शांति का सन्देश देकर संसार मे भाईचारा कायम करने की सीख भी दे रही है।वे चाहती है कि हम सबके मन मे शांति रहे और संसार भी शांति की राह पर चले।शांति का संदेश वही दे सकता है जो स्वयं में शांत हो और दादी जानकी पर यह बात सौ फिसदी खरी सिद्ध होती है। दुनिया के शीर्ष स्तर पर विशेषज्ञ चिकित्सको ने तीन वर्ष पहले जब दादी जानकी के मस्तिष्क की जांच की तो पाया कि वह दुनिया भर में ऐसी पहली महिला है जिसका मस्तिष्क सर्वाधिक स्थिर है। उनकी इस उपलब्धि के लिए उनका नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड में भी दर्ज किया गया है। दादी जानकी अपने जीवन के 103 बसंत पार कर चुकी है।आज भी कभी लदंन तो कभी सिंगापुर जाकर वे देश दुनिया को शांति का संदेश दे रही है। दादी जानकी कहती हैं कि हम बच्चे उस परमात्मा की रचना है जो पूरे ब्रहामण्ड का नियंता है। परमात्मा हमेशा हम बच्चों के भले के लिए है वह हमे हमेशा खुश देखना चाहता है। अपनी गोद में बैठाकर रखता है इसके विपरित हमारे अन्दर जो भी खामी है, दुख है, अशान्ति है, बीमारी है, वह सब हमारे कर्मो का प्रतिफल है। यही वह समय है जिसे कलयुग की समाप्ति और सतयुग के आगमन का संगम कहा जाता है। इस सुनहरे अवसर का सदउपयोग हम अच्छा इंसान बनकर कर सकते हैं। दादी जानकी कहती हैं कि उन्होंने पहली बार इर्रश्वरीय याद के माध्यम से जब परमात्मा का सानिध्य पाया तो उनके जीवन का रास्ता ही बदल गया। इस रास्ते पर मैं हूं और मेरा परमात्मा है जिससे मैं दुनिया के मुलकों में आध्यात्म को पुनः स्थापित करने का काम कर पा रही हूं। इसी रास्ते ने उन्हें 103 वर्ष का अभी तक का लम्बा जीवन दिया है। इस रास्ते पर यदि सभी चलें तो जल्दी ही सतयुग का वरण हम कर सकेंगे।
अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के जीवन सिद्धान्त से प्रभावित दादी जानकी प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्यप्रशासिका है।तीन वर्ष पूर्व ब्रहमाकुमारीज सस्था ने उनका जन्मशताब्दी समारोह बडे ही भव्यता व दिव्यता के साथ आबू रोड के शान्तिवन परिसर में मनाया था।इस वर्ष भी उनका जन्म दिन भव्यता के साथ मनाया जा रहा है और उन्हें एक संस्था द्वारा नोबल सम्मान से भी विभूषित किया जा रहा है। तीन वर्ष पूर्व जब 29 से 31 जनवरी तक तीन दिवसीय जन्मशताब्दी समारोह हुआ था तो उसकी मुख्यआकर्षण स्वयं दादी जानकी रही थी ।वही आज भी वे स्वयं ही सर्वाधिक आयु प्राप्त करने के कारण संस्था का मुख्य आकर्षण बनी हुई है।दादी जानकी के दीर्घायु होने पर राजस्थान के राज्यपाल गोवा की राज्यपाल ,झारखण्ड की राज्यपाल ,केन्द्रिय स्वास्थ्य मन्त्री ,नेपाल के पूर्व राष्टृपति डा0 राम बरन यादव,केन्द्रिय ग्रह राज्य मन्त्री समेत कई राज्यों के विधान मण्डल अध्यक्ष व मन्त्रीगण इस स्वर्णिम अवसर के लिए उन्हें बधाई दे चुके है। ब्रहमाकुमारीज एजुकेशन प्रभाग के वरिष्ठ बी0के0 मृत्युंजय दादी जानकी के 103 वर्ष पूरे करने पर खुश है और चाहते है कि दादी का कुशल संचालन ब्रह्माकुमारी संस्था को मिलता रहे। उनके जन्मशताब्दी समारोह में जहां जगदगुरू चन्ना सिद्धराम,सन्त चन्द्रशेखर शिवाचार्य,राधे राधे बाबा समेत अनेक साधू सन्त कई पत्र पत्रिकाओं और चैनलो के प्रमुखो ने भागीदारी निभायी थी वही इस बार भी दादी को जन्मदिन की बधाई देने के लिए माउंट आबू आने वालो की भारी भीड़ है। सस्था से समबद्ध निर्वेर भाई ब्रजमोहन भाई,करूणा भाई,आत्म प्रकाश भाई,गुलजार दादी,रत्नमोहिनी दादी के साथ साथ जयन्ती बहन,निर्मला बहन आदि हजारो लोगो ने दादी को उनके जन्मदिन की बधाई दी है।
दुनिया के अनेक देशो व भारत के कौन कौन से आ रहे करीब 35 हजार लोगो के बीच दादी जानकी ने अपने 103 वर्ष के जीवन के अनुभव भी साझा करेगी। हालांकि उन्होंने अपने लम्बे जीवन का रहस्य बताते हुए कहा भी है कि व्यर्थ के चितंन से मुक्ति और सदा परमात्म की याद ने ही उन्हे 103 वर्ष तक पहुंचाया है। उन्होने सदैव सत्य मार्ग पर चलने, आनन्दमय रहने और सदा खुश रहने को भी दिर्धायु होने का मूल मन्त्र बताया है। दादी जानकी ने जीवन में विकारो को सबसे बडा दुश्मन और पवित्रता को सबसे बडा गहना बताते हुए कहा है कि अब लोगो को विश्वास रखना चाहिए कि कलियुग का अन्त हो रहा है और सतयुग आपके स्वागत को आतुर है। जिसके स्वागत की तैयारी हमे करनी चाहिए।
दादी जानकी के जन्मोत्सव के साथ ही ब्रहमाकुमारीज द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान और योगिक खेती पर भी उनके जन्मदिवस पर प्रकाश डाला गया। कई डांस ग्रुपों अपने गीत संगीत नृत्य के माध्यम से उनके जन्मसमारोह को रंगीन बनाने के लिए तैयार है।।जाने माने पत्रकार एवं विदेशी नीति परिषद के अध्यक्ष वेद प्रताप वैदिक ने दादी जानकी को दुनिया के स्तर पर अदभुत बताया और कहा कि उनके जीवन में यह पहला अवसर है जब किसी 103 वर्ष की शख्शियत का जन्मदिन मनाया जा रहा हो। उन्होने लम्बी आयु के पीछे ब्रहमचर्य की शक्ति को मुख्य आधार बताया। सचमुच अनूठा ही कहा जा सकता है दादी जानकी का 103 वर्ष लम्बा जीवन । जो आज भी धर्म,आध्यात्म के साथ साथ राजयोग साधना से जीवन को संवारने और इंसान से देवता बनाने की सीख दुनिया को दे रही है। ईश्वर उन्हें स्वस्थ्य रखे और वे विश्व शांति की प्रेरक बनी रहे ।