Thu. Mar 28th, 2024
कम लोग जानते हैं कि मीना कुमारी के अदाकारी के साथ एक शायराना मिज़ाज भी रखती थीं।  जब उनकी शायरी दुनिया के सामने आई तब लोगों को उनके इस हुनर का पता चला और उनके प्रशंसकों की दीवानगी बढ़ती चली गई। 
चांद तनहा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां-कहां तनहा
बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तन्हा  
जिंदगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जां तन्हा
हमसफर कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे यहां तन्हा
जलती-बुझती-सी रौशनी के परे
सिमटा-सिमटा सा इक मकां तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक 
छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा…

ये रात 
ये तन्हाई
ये दिल के धड़कने की आवाज़
ये सन्नाटा
ये डूबते तारों की 
ख़ामोश ग़ज़ल-कहानी 

ये वक़्त की पलकों पर 
सोती हुई वीरानी
जज़्बात-ऐ-मुहब्बत की
ये आख़िरी अंगड़ाई 
बजती हुई हर जानिब 
ये मौत की शहनाई 

सब तुम को बुलाते हैं
पल भर को तुम आ जाओ
बंद होती मेरी आँखों में 
मुहब्बत का
एक ख़्वाब सजा जाओ

आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता

जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता

हँस- हँस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकडे़
हर शख्स़ की किस्मत में ईनाम नहीं होता

बहते हुए आँसू ने आँखॊं से कहा थम कर
जो मय से पिघल जाए वॊ जाम नहीं होता

दिन डूबे हैं या डूबे बारात लिये कश्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता

जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं हॊता

अयादत को आए शिफ़ा हो गई

मिरी रूह तन से जुदा हो गई

आबला-पा कोई इस दश्त में आया होगा

वर्ना आँधी में दिया किस ने जलाया होगा

कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू

जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है

तेरे क़दमों की आहट को ये दिल है ढूँडता हर दम

हर इक आवाज़ पर इक थरथराहट होती जाती है

हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह

चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह



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