क्या है ‘राइट टू रिकॉल’ ?
‘राइट टू रिकॉल’ यानी जनप्रतिनिधियों को कार्यकाल के बीच में ही वापस बुलाने का अधिकार। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें आम आदमी को नियत प्रक्रिया के तहत अपने ऐसे प्रतिनिधियों को बुलाने का अधिकार है जिनके काम से वे असंतुष्ट हैं। हिंदुस्तान में प्रमुख रूप से सबसे पहले लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने 1970 के दशक में संपूर्ण क्रांति के आह्वान के समय ‘राइट टू रिकॉल’ लागू करने की बात कही थी। उन्होंने विधायकों और सांसदों को इसके कानूनी दायरे में लाने की पुरजोर मांग की थी। उनका मानना था कि स्वार्थवश अपने लिए काम करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधियों को कार्यकाल पूरा होने से पहले से ही बुलाने का कानूनी हक जनता को मिलना चाहिए। स्विटजरलैंड, अमेरिका, वेनेजुएला और कनाडा जैसे देशों में पहले से ही ‘राइट टू रिकॉल’ कानून लागू है। अमेरिका में तो इस एक्ट के जरिए अब तक 9 गर्वनरों और मेयरों को बुलाया जा चुका है।
क्या आपको लगता है कि हमारे राजनेता ‘राइट टू रिकॉल’ लागू करने में आम लोगों का साथ देंगे? क्या ‘राइट टू रिकॉल’ लागू करने से भ्रष्टाचार को खत्म करने में मदद मिलेगी?