Wed. May 14th, 2025
himalini-sahitya

सपनों के सच हो जाने तक

राजकुमार जैन राजन

कई सपने
बांध कर रखे हैं
जीवन की कुटिया में
रौशनी की छाँह तले
जिसमें संजो रखा था हौसला
नव उत्कर्ष के लिए
पानी के बुलबुलों सी
उठती हैं छिटपुट स्मृतियां
क्या होगा कविताएं लिखकर
जिंदगी के अहम सवाल जब
शब्दों में ढलते ही नहीं
अक्षरों की कैद से
अर्थ कतराते हो जहाँ
उठो,
बंधे हुए सपनों को
आजÞाद हो जाने दो
मौसम को करवट लेने दो
मुरझाये चेहरों पर
सपनों के इंद्रधनुष तराशो
आशाओं का सूरज उग जाने तक
अतीत की वादियों में भटकता हुआ
मौसम बेअसर
और उग आए हों पंख पैरों में
उम्मीदों के शिशु थामे हुए
चलते जाना है… चलते जाना है
सपनों के सच होने तक !

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *