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काठमान्डाै ९ जुलाई



एक महीने के बाद सात विश्वविद्यालय में पदाधिकारी सीट रिक्त हाे रहा है । पदाधिकारी बनने के लिए जेताओं और पार्टी कार्यालय में दाैडधूप भी शुरु हाे चुकी है ।

 

विगत में दलीय बँटवारा के आधार में पदाधिकारी बनाया जाता रहा है जिसका परिणाम विश्वविद्यालय झेल रहा है । विश्वविद्यालय  की शाख दिन प्रति दिन गिरती जा रही है जाे चिन्ता का विषय बना हुआ है ।  शैक्षिक पिरसर में यह चर्चा शुरु है कि पदािधकारियाें की नियुक्ति में अगर अब भी निष्पक्षता नही अपनाई गई ताे भयंकर भूल हाेगी ।

  राष्ट्रिय योजना आयोग के शिक्षा विभाग की  सदस्य डा. उषा झा ने कहा है कि राजनीतिक दल और नेताप्रति प्रतिबद्ध हाेने वाले विश्वविद्यालय के पदाधिकारियाें की अब आवश्यकता नही है, “विगत दाे दसक से गलत संस्कार का हम निर्वाह करते आ रहे हैं । इसके कारण  विश्वविद्यालय में विकृति बढती जा रही है, अच्छे छात्र हम खाे रहे हैं अब इसे राेकना हाेगा ।”

शिक्षा, विज्ञान तथा प्रविधि मन्त्रालय के अनुसार त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय, मध्यपश्चिम विश्वविद्यालय, सुदूरपश्चिमाञ्चल विश्वविद्यालय, कृषि तथा वन विश्वविद्यालय, पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय और पोखरा विश्वविद्यालय में आगामी भाद्र महीने से पदाधिकारी रिक्त हाेंगे ।

गाेरखापत्र दैनिक



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