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मगर मुश्किलों में हौसला ही काम आता हैं सदा : मनीषा मारू

?ध्वजा तो मंदिरों में लहराती है सदा?

हवाओं ने रुख बदली, सितारों ने चाल बदली।



मगर ध्रुव तो अटल रहता हैं अंबर पे सदा।

समुंद्र ने किनारे बदले, तूफानों ने लहरें बदली।

मगर जल तो जीवन- प्राण रहता हैं सदा।

पतझड़ ने मौसम बदले ,नकाब ने चेहरे बदले।

मगर बहारों में फूल खिलते हैं सदा।

धुन ने संगीत बदले, ताल ने नृत्य बदले।

मगर राग तो साज करती हैं अधरों पे सदा।

गलतफहमियों से विश्वास बदले, माया से इंसान बदले।

मगर हृदय नैन तो कराते है आत्म- दर्पण सदा।

हादसों ने जीवन बदला, अखबारों ने ख़बरें बदली।

मगर मुश्किलों में हौसला ही काम आता हैं सदा।

समय ने सूत्रों को बदला, दर्पण ने सौंदर्य को बदला

मगर धरा के श्रृंगार से ही मानव सजता है सदा।

शंखनाद ने गूंज बदली, घंटियों ने ध्वनि बदली।

मगर ध्वजा तो मंदिरों पे लहराती है सदा।

मनीषा मारू
विराटनगर (नेपाल)



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