Fri. Mar 29th, 2024

यूं ही नहीं सूरज तड़के निकल आया : प्रियंका पेड़ीवाल अग्रवाल

आज मेरी सोच को कुछ नया आयाम मिला है।
जीवन मे आए है तो कुछ काम मिला है।
पर करुँ कैसे इस सोच में मैं पड़ी?
घर-गृहस्थी से फुर्सत निकालने का दाम बडा़ है।
तब जहन मे आया एक शब्द,
जिसे संज्ञा देते है हम अनुशासन का।
सुना है आसमान को छुआ जिसने इसे अपनाया,
यूं ही नहीं सूरज तड़के निकल आया।
हमको अनुशासन में जीना होगा,
जीवन में खुशहाली लाना होगा,
अनुशासन ही खुशहाली है,
अनुशासन ही जरुरी है
बच्चे, बूढ़े, नौजवानों को
सबको अनुशासन अपनाना होगा,
तभी हमारा देश सबसे आगे होगा।
बिन अनुशासन को मना, सफल ना होते काम।
जीवन स्तर गिरने लगे,
सके ना कोई काम।

इसे भी सुनिए

प्रियंका पेड़ीवाल अग्रवाल
बिराटनगर, नेपाल

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: