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21 जून को लग रहा है सूर्य ग्रहण : आचार्य राधाकान्त शास्त्री

आचार्य राधाकान्त शास्त्री* *इस वर्ष पूरे वर्ष भर में मात्र एक ही ग्रहण लग रहा है जो सूर्य ग्रहण है, यह आषाढ़ कृष्ण आमावश्या रविवार दिनांक 21 जून 2020 को लगेगा , इसका समय निम्न प्रकार है – यह ग्रहण दिन के – 10:31 से प्रारम्भ होगी*
एवं
*ग्रहण मध्य – 12:18 पर*
तथा
*एवं ग्रहण समाप्ति काल – दोपहर 2 बजकर 04 मिनट पर होगा*
*ग्रहण अवधि 3 घण्टा 33 मिनट तक रहेगा*



*इस समय विश्वव व्यापी महामारी का समय चल रहा है। अतः इस ग्रहण के आरंभ से पूर्व अपने घर पर या शान्त सरोवर में स्नान कर एकांत में बैठ कर जप एवं हवन करना अति लाभकारी होगा । यह खडंग्रास सूर्य ग्रहण है । इसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। विशेष कर यह कंकणाकृति सूर्य ग्रहण सम्पूर्ण भारत मे दिखाई देगा।*
*ग्रहण के समय सूर्य, बुध, राहु चन्द्र मिथुन राशि में एक साथ रहेंगे। जबकि गुरु शनि मकर राशि मे एक साथ रहेंगे । स्वामित्व वाले नक्षत्र मृगशिरा एवं आर्द्रा में ग्रहण लगने से प्रकृति को नुकसान की संभावना अधिक है। इस अवधिकाल में 16 जून से 20 जुलाई तक विश्व के कुंडली मे कालसर्प योग के साथ साथ ग्रहण दोष होने से पूरे विश्व पर इसका विस्फोटक असर हो सकता है । जिससे इस समय चल रहे प्राकृतिक प्रकोप चरम सीमा पर हो सकती है किंतु 20 जुलाई से कालसर्प योग एवं ग्रहण दोष दोनों की समाप्ति हो जाने से इस महामारी से बचाव में सहायता मिलने का मार्ग प्रसस्त होना प्रारम्भ हो जाएगा । और फिर अगले 90 दिनों में सम्पूर्ण महामारी का शमन सम्भव हो जाएगा ।।*
*– ग्रहण के समय घर या मंदिर में पूजा पाठ करना मना है किन्तु इस अवधि के अपने सुविधा के सनुसार ग्रहण से पूर्व स्नान कर के मंत्र साधना, हवन, जप, विशेष मंत्रो का पाठ, एवं मन ही मन अपने ईष्ट देव की अराधना करना परम कल्याणकारी होगा।*

*– ध्यान रखें कि ग्रहण के समय भोजन और जल पान न करें। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति ग्रहण के समय जितने अन्न के दाने खाता है उतने ही वर्षों तक नरक में रहता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार भी ग्रहण से निकली किरणें भोजन को नुकसान पहुंचाती हैं।*
*– ग्रहण से तीन प्रहर पूर्व यानी 9 घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। लेकिन सामान्य जनों बूढ़े, बच्चे और रोगी डेढ़ प्रहर पूर्व यानी 3 घंटे पहले तक खा सकते हैं।अर्थात प्रातः 5 बजे तक आवश्यक भोजन लेकर दोपहर 2 बजे तक उपवास रखें एवं अपने साथ साथ विश्व कल्याण के लिए राहु केतु, सूर्य चन्द्र के मंत्रों का जप एवं पाठ करना सबके लिए परम कल्याणकारी होगा।*
*– ग्रहण से पहले पके हुए भोजन में कुश या तुलसी डाल देनी चाहिए इससे खाने के पदार्थ दूषित नहीं होते हैं। ग्रहण के बाद नया भोजन बनाना चाहिए।*
*– ग्रहण के पूर्व ही स्नान, ग्रहण काल मे जप, पाठ हवन एवं पितृ श्राद्ध करना उत्तम होता है । और ग्रहण के अंत में वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए।*
*– ग्रहण के समय जप, हवन और ग्रहण के बाद स्नान, समर्पण पूजन, दान, कर ब्राह्मण भोजन, गाय को घास भोजन, पक्षियों को अन्न भोजन,गरीबो और जरूरतमंदों को जरूरी चीजों का दान करना चाहिए।*
*– ग्रहण के समय सोना, मलमूत्र त्याग करना, शारीरिक संबंध बनाना और भोजन करना आदि कार्य वर्जित होते हैं।*
*– गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। इनको ग्रहण के पूर्व ही अपने पेट पर गाय के गोबर का लेप लगा लेना चाहिए अथवा एक कपड़े में थोड़ा सा कुश तुलसी पत्र और गोबर बांध कर पेट पर बांध लेना चाहिए, एवं अपने बराबर काला धागा धागा नाप कर उसके दोनों सिरे पर कांटी बांध कर सीधा लटका दें घर से बाहर न निकलें और नुकीली चीजों का भी इस्तेमाल न करें।*
*– ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ें, और किसी भी शुभ काम की शुरुआत नहीं की जाती है.*
*– भगवान वेदव्यासजी ने कहा है कि सामान्य दिन से चंद्रग्रहण में किया गया पुण्य कर्म (जप, ध्यान, दान आदि) 1 लाख गुना और सूर्यग्रहण में किया गया 10 लाख गुना फलदायी होता है।*
*– ग्रहण दोष या चांडाल योग के दोषों के निवारण के लिए 1 दिन,या 3 दिनों का अनुष्ठान अर्थात ग्रहण के समय या एक दिन पूर्व से ग्रहण के एक दिन बाद तक करें, इस अवधि में गुरु, राहु, केतु , सूर्य मंत्र का जप, किसी भी मंत्र की सिद्धी, रामायण, सुंदर कांड का पाठ, आदित्य हृदय स्तोत्र, गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र, रामरक्षास्तोत्र का पाठ एवं तंत्र सिद्धि ग्रहण काल में कर सकते हैं।*

*इस ग्रहण अवधि का 3 घंटे 33 मिनट तक का साधना समय सभी सिद्धि प्रशिद्धि दायक एवं जीवन के सभी रोग शोक दुख निवारक होगा । इसमे धन पुत्र दायक साधनाओं के साथ साथ निम्न उपचार करना सबके लिये विशेष लाभकारी होगा*
*जिनके भी कुंडली मे सूर्य ग्रहण दोष, या चांडाल योग बना हो खास कर उनके दोष निवारण के यह अति महत्वपूर्ण एवं लाभदायक संयोग है*
*जिनके कुंडली मे ग्रहण या चांडाल योग बना हो उनके स्वयं के लिए इस अवधि में समुद्र या ब्रह्मसरोवर या महानदी या गुप्त सरोवर में ब्रह्म गायत्री का जप,, सूर्य,गुरु, और राहु केतु मंत्रों का जप ब्रह्म गायत्री जप करें*
*सूर्य तांत्रिक मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:।*
*केतु का बीज मंत्र- ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः*
*राहु का तांत्रिक मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः*
*चंद्रमा का तांत्रिक मंत्र- ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः*

*सूर्य ग्रहण का सम्पूर्ण अवधि काल ग्रहण एवं चांडाल योग से पीड़ित जातकों के लिए दैनिक, व्यहवारिक, जीवन के सुधार के साथ साथ स्वास्थ्य बाधा, नौकरी आजीविका की बाधा, सन्तान बाधा, जीवन के स्थायित्व में बाधा या दाम्पत्य सुख बाधा, के साथ जीवन के सभी बाधाओं को दूर करने वाली होती है। खास कर जीवन मे बार बार सफलताओं में ग्रहण लग जाने जैसी समस्याओं से निवारण हेतु दोष निवारण का यह सबसे उपयुक्त एवं विशेष लाभकारी मुहूर्त होता है*
*इस सूर्य ग्रहण का परम शक्तिशाली एवं अद्भुत संयोग सबके लिए सभी दोष निवारक , परम कल्याणकारी शुभद एवं सभी सिद्धि प्रसिद्धि दायक हो,*
*महादेव के कृपा प्रभाव से समस्त परिवार की सुख-संपन्नता बनाये रखें,*

*आचार्य राधाकान्त शास्त्री,ब्रह्म वाणी यज्ञ ज्योतिष आश्रम कालीबाग बेतिया, संपर्क – 9934428775*

 



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