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यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग ने आन्दोलन भडकाने के आरोप में प्रोफेसर को निकाला



यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग की गर्वनिंग बॉडी ने साल 2014 के छाता आंदोलन में विरोध प्रदर्शनों में एक एसोसिएट प्रोफेसर की भूमिका पाई, इस आंदोलन में उनकी भूमिका को देखते हुए दोषी ठहराया गया और उन्हें बाहर निकाल दिया गया। प्रोफेसर का नाम बेनी ताई है।

बेनी ताई को पिछले साल सार्वजनिक उपद्रव के आरोपों में दोषी ठहराया गया था, उसके बाद उन्हें 16 माह की जेल भी सुनाई गई थी। 16 माह जेल की सजा सुनाए जाने के बाद उनको रिहा कर दिया गया था। इस गर्वनिंग बॉडी में शामिल अधिकारियों का कहना है कि साल 2014 में जो आंदोलन हुआ था उसमें उनकी भूमिका पाई गई थी। ये भी पता चला था कि आंदोलन को हवा देने में बेनी ताई ने भूमिका निभाई थी।

इसी के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई और गर्वनिंग बॉडी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया। जब उनको बाहर निकालने की बात हुई तो छात्रों के संगठनों ने इसके खिलाफ भी विरोध दर्ज कराया था। उनके समर्थकों ने कहा कि यदि उनको बाहर निकाला गया तो छात्रों में इसके लिए गुस्सा आएगा और वो आंदोलन कर सकते हैं। फिर नए सुरक्षा कानून के लागू होने के बाद प्रोफेसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

ताई ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि इस तरह का निर्णय हांगकांग में अकादमिक स्वतंत्रता के अंत का प्रतीक है। हांगकांग में शिक्षा संस्थानों में शैक्षणिक कर्मचारी अब आम तौर पर राजनीतिक या सामाजिक विवादों के बारे में आम जनता के लिए विवादास्पद बयान देने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं।

पिछले साल विश्वविद्यालय ने ताई की जांच शुरू की जिसके कारण स्कूल के परिषद द्वारा मंगलवार के फैसले के बाद विश्वविद्यालय के बाहर के सदस्यों का प्रभुत्व रहा। आर्थर ली, हांगकांग के मुख्य कार्यकारी कैरी लैम के सलाहकार भी हैं।

विश्वविद्यालय के सीनेट जिसमें बड़े पैमाने पर अकादमिक कर्मचारी शामिल हैं ने इस महीने की शुरुआत में पाया कि ताई के आचरण ने उन्हें हटाने का वारंट नहीं दिया था। परिषद ने उस सिफारिश को खारिज कर दिया जो ताई के समर्थकों को राजनीति से प्रेरित कहती है। यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर जोसेफ चैन ने कहा कि आर्थर ली ने अपना राजनीतिक मिशन पूरा कर लिया है और बेनी ताई सविनय अवज्ञा के लिए शहीद हो गए हैं।

हांगकांग विश्वविद्यालय ने अपनी प्रतिष्ठा का बलिदान दिया है और यह अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक समुदाय में अपना सिर ऊंचा रखने में सक्षम नहीं होगा। यदि इस तरह का आरोप लगाकर किसी प्रोफेसर को निकाला जाता है तो यह हांगकांग विश्वविद्यालय के इतिहास में एक प्रमुख दाग बन जाएगा जिसे धोया नहीं जा सकता है।



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