वालिद के सपनों को पूरा करना चाहता : हूँ हुँमायु हक

हुँमायु हक, मेयर (खडग नगरपालिका, सप्तरी)हिमालिनी, अंक फरवरी 2021। श्री हुँमायु हक खडग नगरपालिका के मेयर हैं । आप व्यापारी घराने से आते हैं पर समाज सेवा आपका लक्ष्य है । आपकी पत्नी रेहाना खातुन हैं जिनसे आपकी तीन औलाद हैं, एक लड़की और दो लडके हैं । जिनका नाम सदरुदीन हक, हुमेरा खातुन, हाकीफ हक । आपका जन्म वि.सं.२०४७ साल में सप्तरी जिला के कल्याणपुर वार्ड नं.२ में हुआ । बचपन से ही आपको पढ़ने का बहुत शौक था परन्तु पिता के देहान्त पश्चात घर गृहस्थी का ध्यान रखते हुए आपकी पढ़ाई अधूरी रह गई । प्रस्तुत है हक साहब से हिमालिनी के बाजार–प्रबन्धक शोभानन्द झा से हुई बातचीत का संपादित अंश–
आप अपने विषय में कुछ बताएँ ?
मेरे दादा जी का नाम हाजी मोहमद बसीर मिया हक है । मेरे पिता पूर्व सांसद् हाजी सदरुल मियां हक हैं । मेरे दो भाई और ३ बहनें है । इसमें दीदी बड़ी है ओर भाइयों में मैं सबसे बड़ा हूँ । मेरे पिता हाजी सदरुल मियां हक पूर्व सांसद थे और पूर्वजों द्वारा अर्जित की हुई सम्पति भी पर्याप्त होने के कारण बाल्यकाल ऐशोआराम में गुजरा । परन्तु पिता की आकस्मिक मृत्यु होने के कारण मेरी पढ़ाई अधूरी रह गई जिसका मलाल मुझे आज भी है । मैं अपना सपना पूरा नहीं कर पाया । किन्तु अब वालिद का सपना ही मेरा सपना है और उसे मुझे हर संभव पूरा करना है
राजनीति में अचानक आए या सोच समझ कर आना हुआ ?
मुझे राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी । मैं उँची शिक्षा प्राप्त करना चाहता था । किन्तु पारिवारिक हालात ऐसे हुए कि मै. अपना सपना पूरा नहीं कर पाया और मेरे पिता जी का सपना था कि पीडि़त वर्गों का उत्थान होना चाहिए तथा संविधान में सभी का हक और अधिकार सुनिश्चित होना चाहिए । बस जनता के दबाब तथा वालिद के सपनों की खातिर मुझे राजनीति में आना पड़ा ।
जिस राह को आपने चुना उसका अनुभव कैसा रहा ?
यह सच है कि मैं राजनीति में नहीं आना चाहता था । पढ़ने और खेलने का मन था । किन्तु पिता जी के इंतकाल के बाद जब इस रास्ते पर आ गया हूँ तो ईमानदारी से काम करना चाहता हूँ । पिता जी के बाद यहाँ की जनता को मुझसे ही उम्मीद थी वो चाहते थे कि मैं पिता जी की विरासत सम्भालूँ और अब मैं उनके अधूरे सपने को पूरा करना चाहता हूँ । गरीब, निःसहाय, मधेशी, मुसलिम, आदिवासी थारु को अधिकार देने के लिए हम जैसे युवा राजनीति में नहीं आएँगे उनके अधिकार के लिए नहीं लड़ेंगे तो इन सब को अधिकार कौन दिालाएगा ? ये सब मैं अपनी जिन्दगी में करना चाहता हूँ । जब मैं जनता के लिए कुछ अच्छा करता हूं और वो मुझे दुआएँ देते हैं तब बहुत सुकून मिलता है । मुझे लगता है कि इनके लिए जीना ही सही जीना है । यह तो अभी शुरुआत है अभी तो बहुत कुछ करना बाकी है अपने क्षेत्र की जनता के लिए अपने देश के लिए ।
कोई ऐसी घटना बताना चाहेंगे जो आपको हमेशा याद आती है ?
मुझे मेरे वालिद बहुत याद आते हैं । उनके पदÞचिन्हों पर चलना चाहता हूँ । उनका अचानक चले जाना बहुत परेशान करता है । उनका गरीबों की सहायता करना, विवाह शादी में खुलकर उनकी सहायता करते थे । यहाँ के लिए वो मसीहा ही थे । मैं उनके जैसा अगर थोड़ा भी बन पाया तो समझूँगा कि इस राह पर चलना सफल हो गया । पिता जी को गए पाँच छः साल हो गए किन्तु मैं आज भी उस शोक से नहीं उबर पाया हूँ ।
भविष्य में आपकी क्या योजनाएं है ?
मैं एक समृद्ध तथा समावेशी नेपाल देखना चाहता हूं जिसमें किसी के साथ भेदभाव न हो और सभी को समान अधिकार मिले । मेरे कार्यकाल के दौरान अधिक से अधिक विकासात्मक कार्य हो । मैं एक मधेशी युवा नेता के हैसियत से ये कहना चाहूँगा कि नेपाल को बचाने के भी अब मधेश हिमाल, तराई सभी भूभागों की जनता को मिलाकर एक समृद्ध नेपाल समावेशी नेपाल का निर्माण होना चाहिए । जिसमें महिला, मधेशी, दलित, मुसलिम, थारु आदिवासी जनजाति सब का अधिकार सुनिश्चित हो ।
कुछ ऐसा जो आपको परेशान करता हो ?
हाँ जब भी मैं अपने आसपास और समाज में महिलाओं पर होते अत्याचार को देखता हूँ तो परेशान हो जाता हूँ । हर रोज दिलल दहलाने वाली घटना हम समाचार में देखते और पढ़ते हैं । बलात्कार, एसिड आक्रमण, घरेलू हिंसा यह सभी बहुत तकलीफ देता है मुझे । मेरी दिली इच्छा है कि एक ऐसे समाज का निर्माण हो जहाँ औरतों को पूरा सम्मान और हक अधिकार मिले । वह भी सम्मान के साथ जीने की हकदार हैं, जो उन्हें मिलना ही चाहिए । उन्हें शिक्षित होना चाहिए और समाज में सम्मानित स्थान मिलना चाहिए ।
