नारी का सम्मान हैं नारी दिवस : नविन कुमार नवल
नविन कुमार नवल, जलेश्वर | नर और नारी दोनो मनुष्यका रुप है । दोनोको अपने अधिकार एवम् कर्तव्यके पथ चलना ही जिवनका उद्देश्य है । जिस घर समाजमे नारीकी पुजा होती है वह घर समाज काफी उर्जावान एवं धनवान होता है । पुरानो जमाने से ही नारीको शक्ति देवीके रुपमे माने जाते है लेकिन इधर कुछ वर्षो से नारीकी अवहेलना के साथ साथ अमानवीय वर्ताव भी किया जाता है । इसी कारण सभी देश कानुनके माध्यम से नारी को हर क्षेत्रमें अधिकारके साथ साथ समावेशी कर रहा है जो एक अच्छी पहल है । अभि तक सिर्फ विकसित एवं शिक्षित देश ही इसमे आगे है जवकी गरिब एवम् कम विकसित देश इसे कानुनके तौर पर लागु तो कर चुका है लेकिन वुनीयादी रुप से धरातल पर लाना मुश्किल पर रहा है । हमारा देश पहले से ही पूरुष प्रधान है जिसके कारण समस्या झेलना पर रहा है इन सारी प्रश्नके जवाफमे शिक्षाओं मे कार्यरत गृहणी शोभा कुमारी यादव का कहना है पूरुष की तरह आगे बढना काफि मुश्किल पड रहा है । हमारा समाज खास करके मधेशी समाजके साथ तेकी दुनियाके साथ आगे बढने बाला नहि है सिर्फ महिला के लिए महिला अधिकार, महिला हिंसा, महिला कानुन बनाने से ही नारीका सम्मान नही मिल सकता है इसके लिए पुरुषको मानसिक सोचके साथ सहयोग करना जरुरी है । नारी दिवस मनानेके बारेम जलेश्वर नगरपालिका वडानं. ४ सुगाके निकिता कर्णका कहना है कि नारी पुरुषका अर्धाङ्गिनी है यानी आधा अंग है इसलिए हर क्षेत्रमें आगे बढना होगा तभी सम्मान मिल सकता है सिर्फ नियम बनाने से क्या होगा ।
वैसे ही चण्डिका अधिकारीका कहना है कि नारीके पिछडापन एवं असमानताका मुख्य कारण है शिक्षाका अभाव जैसै जैसै शिक्षा बढेगा लोग स्वतः कानुनका सहारा लेकर आगे बढेगा । इसके लिए पुरुषका भावनात्मक सहयोग जरुरी है तभी नारीका सम्मान या नारी दिवस मनानेका फल बुझायेगा । इस सबके वावजुद देखा जाये तो नारीको जैसै जैसै अधिकार मिलता जा रहा है दुरुपयोग भी बढता जा रहा है । महिला हिंसा, महिला अधिकारके नाम पर वहुत पुरुष भी शिकार होते जा रहे है । बहुत संस्था इसी नामसे अपनी कमाई मे भी लगा हुआ है ऐसा कहना है पत्रकार राकेश चौधरीका । जो भी हो पहले से महिला शिक्षित समृद्ध एवं अधिकार सम्पन्न होती जा रही है । इसमे हर देश अपने अपने स्तरसे कार्य कर रही है फिर भी नारी की सम्मान पुरुषकी नियत से जुडी हुई है । इसलिए हर घर समाज देशका विकास नारी की पुजा से ही सम्भव है । नारीको भी अपने कर्तव्यको समझना होगा । इसी से धन लक्ष्मी ऐश्वर्य इज्जत मिल सकता है तव जाके नारी दिवस मनाने की सही मतलव समझा जाएगा नही तो कागज पर ही दिवस मनाना औपचारिकता ही वनकर रह जाएगा ।