डीयू के कॉलेजों में विक्लांगों की सुविधाओं के लिए लिखा पत्र
(हिमालिनी दिल्ली ब्यूरो)30 मार्च,2021:
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में विक्लांगों को दी जाने वाली सुविधाओं का नितांत अभाव है। यूजीसी द्वारा अनेक बार दिए निर्देशों के बावजूद लगभग 80 फीसदी कॉलेजों व विभागों में विक्लांगों / दिव्यांगों को दी जाने वाली सुविधाओं का अब तक अभाव बना हुआ है। इन कॉलेजों में ना तो उनके लिए चलने फिरने के लिए टैक्टाइल फ्लोरिंग, रैम्प, लिफ्ट, ब्रेल चिन्ह, ब्रेल प्रिंटर ,कम्प्यूटर ,लेपटॉप , ध्वनि संकेत , रैलिंग , रिसोर्स रूम, रेस्ट रूम व विशेष विल चेयर और ना ही उनके लिए विशेष रूप से निर्मित शौचालय का प्रबंध किया गया है जिससे उन्हें हर रोज इन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ।
दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग दो हजार छात्र ,300 शिक्षक व 200 कर्मचारी विक्लांग वर्गो के कार्यरत्त है। विश्वविद्यालय/कॉलेज का नैतिक दायित्व बनता है कि उनकी पीड़ा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए मगर कॉलेजों के प्रिंसिपल को यूजीसी से ग्रांट मिलने के बाद भी इनके लिए सुविधाओं का घोर अभाव है । डीयू के एक दर्जन कॉलेजों जिसमें हंसराज कॉलेज ,खालसा कॉलेज , माता सुंदरी कॉलेज , मिरांडा हाउस ,सोशल वर्क डिपार्टमेंट, सोशल साइंस फैकल्टी,लक्ष्मी बाई कॉलेज, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आई.पी कॉलेज, लेडी श्रीराम कॉलेज, राजधानी कॉलेज, सत्यवती कॉलेज आदि में विक्लांगों को सुविधाएं उपलब्ध है। माता सुंदरी कॉलेज में विक्लांग/दिव्यांग शिक्षकों , कर्मचारियों व छात्राओं के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है। कुछ कॉलेजों में पढ़ा रहे विक्लांग/दिव्यांग शिक्षकों व छात्रों ने दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी को आकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया।
आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि विक्लांगों को विशेष सुविधाओं हेतु 1995 में विक्लांग कानून पारित हुआ था,जिसमें उन्हें सरकार की ओर से दी जाने वाली आर्थिक सहायता के साथ साथ उन्हें सक्षम बनाया जा सके,वे सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का नैतिक दायित्व बनता है कि वे हर स्तर पर उनकी मदद करे। उनकी सहायता के लिए उसके बाद यूजीसी ने अपने पत्र संख्या -6-1/2006 (सीसीपी-11) द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों /कॉलेजों को विक्लांगों के लिए सभी स्थानों पर अवरोध मुक्त तथा ब्रेल किताबें और सांकेतिक भाषा के व्याख्याकर्ता का प्रबंध करने को कहा गया था लेकिन कुछ कॉलेजों को छोड़कर सुविधाएं आज तक उपलब्ध नहीं हुई है जबकि कॉलेज बिल्डिंग मेंटेनेंस के नाम पर यूजीसी से ग्रांट लेते हैं।
डॉ. सुमन का कहना है कि विक्लांग शिक्षकों एवं कर्मचारियों व छात्रों द्वारा बार–बार विक्लांगों की सुविधाओं की ओर ध्यान दिलाने के लिए उनके बैठने, पढ़ने, खेलने कूदने ,खाने – पीने आदि के लिए कोई विशेष स्थान या कक्ष आदि का आबंटन किया गया है और ना ही भारत सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं को उन्हें उपलब्ध कराया गया है ,उनके संवैधानिक अधिकारों का खुलम-खुला उल्लंघन किया जा रहा है और उनके नाम पर यूजीसी/केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड को अन्य मदों में व्यय कर झूठे उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा किए जा रहे हैं ।
डॉ. सुमन ने बताया है कि विक्लांग कानून पारित होने के 26 साल बाद भी इन प्रावधानों का पालन नहीं हुआ है ।विक्लांग कानून के सेक्शन -46 में सरकारों को सरकारी भवनों/ कॉलेजों में विक्लांगों के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान करने को जरूरी बताया है।साथ ही इन वर्गों के लिए रैम्प, लिफ्ट, टेक्सटाइल, ब्रेल बुक , रैलिंग, ब्रेल प्रिंटर ,कम्प्यूटर ,लेपटॉप ,रेस्ट रूम, रिसोर्स रूम आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उक्त संस्था की है जिसमें छात्र अध्ययन कर रहे हैं। साथ ही शिक्षक व कर्मचारी कार्यरत्त है ।
उन्होंने यह भी बताया है कि नेत्रहीन शिक्षकों के लिए लाइब्रेरी में ब्रेल बुक ,ब्रेल प्रिंटर ,कम्प्यूटर ,लेपटॉप, और ऑडियो-वीडियो के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया गया जिसमें उनके लिए खर्च किया जाएगा । साथ ही छात्रों के लिए ब्रेल लिपि में पुस्तकें,ऑडियो वीडियो, टेपरिकॉर्डर ,लेपटॉप, कम्प्यूटर की सुविधाएं उपलब्ध कराना संस्थान/कॉलेज का नैतिक दायित्व बनता है।
डॉ. सुमन ने कॉलेजों व विभागों में विक्लांगों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रत्येक कॉलेज में रैम्प, लिफ्ट ,ब्रेल चिन्ह, ध्वनि संकेत, विल चेयर , कम्प्यूटर, लेपटॉप , रैलिंग , शिक्षकों के लिए रिसोर्स रूम ,छात्रों के लिए रेस्ट रूम और विशेष रूप से निर्मित शौचालयों का निर्माण कराया जाए ताकि इन वर्गों को असुविधा न हो । साथ ही कॉलेजों को यह भी निर्देश दिए जाए कि जो कॉलेज 6 महीने के अंदर विक्लांगों की दी जाने वाली सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराएंगे उन कॉलेजों की ग्रांट बन्द करने के निर्देश दे ताकि कॉलेज जल्द से जल्द यह कार्य शुरू कर सके । उनका कहना है कि शैक्षिक सत्र प्रारम्भ होने से पूर्व यह कार्य कर लिया जाना चाहिए।
डॉ. सुमन का यह भी कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों और विभागों में यह पता लगाया जाए कि किन-किन कॉलेजों में विक्लांगों के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं है उनके आंकड़े एकत्रित किए जाए और पता लगाया जाए कि उन्होंने अभी तक विक्लांगों को ये सुविधाएं उपलब्ध क्यों नहीं प्रदान की । सरकार व यूजीसी द्वारा दिया गया पैसा उन्होंने किस मद में व्यय किया है ।
डॉ. सुमन ने अपने पत्र में यह भी मांग की है कि कोविड-19 की समाप्ति होने पर ,ऐसा माना जा रहा है कि फिजिकल रूप में वि श्वविद्यालय में शैक्षिक सत्र–2021–2022 के एडमिशन हो सकते हैं इसकी तैयारी चल रही है, कॉलेजों द्वारा पहले, दूसरे तल पर एडमिशन किए जाते हैं। उन्होंने विक्लांग / दिव्यांग छात्रों के लिए ग्राउंग फ्लोर पर एक विशेष कक्ष इनके लिए बनाया जाएं ताकि आसानी से प्रवेश ले सके। उन्होंने विक्लांग/ दिव्यांग छात्रों के एडमिशन के समय कॉलेजों द्वारा विशेष वालिंटियर की व्यवस्था हो जो छात्रों को सही जगह पहुंचा सके।
(सौजन्य:डॉ .हंसराज ‘सुमन’)
प्रभारी–दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए )