राजनीति के शुद्धिकरण के लिए सामाजिक जागरण : ई सत्य नारायण शाह
ई सत्य नारायण शाह, जनकपुरधाम । राजनीति मूल नीति है, जिससे देश और समाज को इससे प्राप्त दिशा-निर्देशों से व्यापक मार्ग मिलता है | नेपाल की राजनीति के नतीजे किसी से छिपे नहीं हैं देश की वर्तमान स्थिति से लगता है कि कानून के शासन की अवधारणा विल्कुल समाप्त सी हो गई है। देश के किसी भी हिस्से की गति और दिशा सही प्रतीत नहीं दिखाई देती है | संक्षेप में कहा जाय तो यहा के लगभग सभी क्षेत्र गलत लोगों के हाथों में राजनीति जानेके कारण अस्त-व्यस्त हो गया हैं, जिसके परिणामस्वरूप नेपाल के लोगों का जीवन अस्तब्यस्त सा हो गया है। नकारात्मकता चारों ओर है, लोगों की शक्ति का नकारात्मक वातावरण द्वारा शोषण किया जा रहा है और इसके परिणामस्वरूप उचित और सकारात्मक विकास में कई बाधाएं हैं ।
देश, लगभग सभी तथाकथित मुख्य राजनीतिक दलों के नेताओं के कार्यों, दृष्टिकोण, ईमानदारीता, प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता सहि दिशा मे नही होने के कारण तबाह हो गया है | हालांकि उन दलों के अधिकांश ईमानदार और मेहनती कैडर कुछ भी करने में सक्षम नहीं हो पा रहेहैं। लोगों के पास करने के लिए कुछ नहीं है, सिबाय टुकुर टुकुर देखने के | वे तो बेचारे ठगे गए बेसहारा और बेहोश पडे है | कुल मिलाकर, नेपाल की स्थिति बहुत गंभीर और चिंताजनक है, अगर आप इसके बारे में सोचते हैं तो, यदि नहीं, तो बहुत से आनन्दित होने वाले लोग बहुत सारे हैं। सवाल उठता है कि हम किस श्रेणी से संबंधित हैं ? एक श्रेणी तो वैसे लोगो की है जो देश का सम्मान की रक्षा करते हुए स्वाभिमानी और स्वस्थ नागरिक के रूप में अपने रोजगार में व्यस्त रहते हुए समृद्धि के पथ पर चल रहें है। दुसरा वो जो सिर्फ अपने ब्यक्तिगत क्षणिक स्वार्थ पूर्ति के लिए कुछ भी करानेको तैयार रहते है | पहले समूह के लोग आत्म-संतुष्टि, सामाजिक मूल्य अर्जित करने और देश का सहि नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं जबकि दूसरे समूह के लोग केवल अपने व्यक्तिगत हितों का आनंद लेते हैं और अपने कर्मों से वे अपने परिवार और बच्चों पर पाप का बोझ डालते हैं | विडम्बना की बात यहाँ है कि समाज ऐसे अच्छे लोगों की उपस्थिति लगभग सभी क्षेत्रों में मौजूद है लेकिन ऐसे लोगों को अपमानित किया जाता है और एक तरफ कोने मे धकेल दिया जाता है।
शुद्धिकरण की आवश्यकता:
ऐसी स्थिति में समाज के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अग्रणी विचारकों की भूमिका महत्वपूर्ण और अपरिहार्य हो जाती है। यह लगभग तय है कि ऐसे समय में लोगों के इस वर्ग की चुप्पी का हमारे भावी पिढी पर बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हमारी संस्कृति के अनुसार, हमें एक बार गम्भीरतापूर्वक सोचना चाहिए कि हम अपने बच्चों के लिए किस तरह का वातावरण बनाने जा रहे हैं। यदि हम इस पर ध्यान नहीं देते हैं, तो हमारा विवेक निश्चित रूप से हमें अभिशाप देगा | एक विडंबनापूर्ण स्थिति यह है कि जो लोग मौजूदा राजनीति से असंतुष्ट हैं, उन्हें एक और राजनीतिक पार्टी बनाने की जल्दी है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि एक राजनीतिक पार्टी की स्थापना करना गलत है, लेकिन विचारणीय बात यह है कि यदि मतदाता अपना मन नहीं बदल सकते तो केवल एक पार्टी को खोलने का क्या लाभ ? कई लोगों ने विकल्पों के बारे में बात की, लेकिन क्या हुआ? अतीत में कुछ नए दल बने हैं लेकिन चुनाव परिणाम बहुत उत्साहजनक नहीं रहे हैं | मौजूदा दलों के विकल्प के बारे में बात करने वालों की कमी नहीं है, लेकिन चुनाव परिणाम अप्रत्याशित क्यों हैं ? इसका विश्लेषण होना चाहिए | मुद्दा यह है कि भ्रष्ट पार्टियों ने कुछ मतदाताओं, दलालों, का उत्पादन करके समाज को एक अलग तरीके से बदल दिया है, जिससे कि नए और अच्छे लोगों से भरी पार्टियां भी ज्यादा परिणाम नहीं ला पा रही हैं। पिछले चुनाव में, कुछ स्थापित नेताओं ने चुनाव में भाग लेने से इनकार कर दिया यह बात तो जग जाहिर ही है | जीतना या हारना अलग बात है, लेकिन चुनाव में भाग न लेना वाकई चिंता का विषय है। यदि हम इसके मुख्य कारणों पर करीब से नज़र डालें, तो हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि इसका मुख्य कारण चुनावी व्यवस्था और उसमें व्याप्त विकृतियाँ हैं। मतदाताओं को लुभाने के लिए अकल्पनीय राशि खर्च करनी होती है । कुछ लोगों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए व्यक्तिगत उपकरण जैसे मोटरसाइकिल, साइकिल आदि वितरित करने के भी उदाहरण हैं। कुछ का कहना है कि इस तरह की विकृतियाँ तराई क्षेत्र में पहाड़ी क्षेत्रों की तुलना में अधिक प्रचलित हैं | जबकि तराई क्षेत्र को पहाड़ियों की तुलना में कुछ हद तक राजनीतिक रूप से वंचित कहा जाता है, जिसके लिए देश के भीतर निरंतर संघर्ष है। ऐसे में तराई के बेहतर लोगों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए था | यह एक उदाहरण के रूप में उल्लेख करना उचित होगा कि मधेस आंदोलन नेपाल में महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन लाने में सफल रहा, लेकिन निष्क्रियता, अदूरदर्शिता, सामाजिकता और नेताओं के परिवर्तन-बिमुख व्यवहार के कारण आंदोलन के परिणामों का स्वामित्व मधेसी जनता के बीच नहीं हो सका । नेपाल में लगभग सभी आंदोलनों के समान परिणाम पाए जा सकते हैं | यहां एक अन्य परिदृश्य का उल्लेख करना बहुत महत्वपूर्ण है जिसे दैनिक अभ्यास के रूप में देखा जाता है यदि कोई किसी के घर में बीमार पड़ता है और किसी को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, तो उसे सिफारिस करबाने के लिए नेता के दरबार में जाना पड़ता है। अगर किसी के घर में सेंधमारी हो जाती है या लूट की जाती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नेता की ही जरूरत होती है। अगर बलात्कार या हत्या जैसा कोई मामला है, तो नेताओं का क्या कहना ? यदि किसी का बच्चा उच्च अध्ययन करना चाहते हैं, तो उन्हें एक नेता से संबंधित होना चाहिए या नेता को खुश करने के लिए पर्याप्त धन होना चाहिए । इसके बावजूद, लोग यह समझने की कोशिश क्यों नहीं करते कि चुनाव में प्रचलित विकृति से क्षणिक लाभ हो सकता है, लेकिन बाकी समय दुःख से भरा होता है। ध्यान रखें कि सभी लोगों को वो क्षणिक लाभ नहीं मिलते हैं, केवल कुछ दलालों के पास ही सारे लाभ एकत्रित होते है।
कैसे परिष्कृत करें:
नेपाल के मतदाताओं को चुनाव के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने, उनके प्रतिनिधि के रूप में एक अच्छे व्यक्ति के लाभ, और बुरे प्रतिनिधि से संभावित नुकसान जो कि क्षणिक लाभ के प्रलोभन मे पडकर अपने आपको और पुरे परिवार को ला सकता है, तथा निर्बाचन मे किएगए पैसो से माटो का खरिद बिक्रि के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता की आवश्यकता है । कई ऐसे लोग हैं जो मौजूदा चुनावी विकृतियों को कम करने के लिए जागरूकता अभियान की आवश्यकता महशुश करते है और चाहते है की इस बिकृति को जबतक नही हटायाजाता है तबतक अच्छे लोग सरकार नही बनासकते, परिणामस्वरुप जिन्दगी बद से बद्त्तर बनती ही जाएगी | लेकिन विडम्बनापूर्ण बात यहाँ है कि हमारे समाज में आधारशिला (Foundation Stone) के रुप मे व्यक्ति मिलना एक मुश्किल काम है । सब चाहते है कि श्रैंगारिक पदार्थ बनाकर सब के दृष्टि मे रहे ताकी कोइ न कोइ लाभ मिलता रहे | आखिर नीव का पत्थर तो जमिन के नीचे ही रहता है, भले ही सबका बोझ संभाले रहता है | ऐसे समय में, नींव बनने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बुद्धिजीवियों के कंधों पर होनी चाहिए | एक और संभावना यह है कि जो लोग वर्तमान के भ्रष्ट राजनीतिक पार्टी के विकल्प के रूप में नई पार्टी स्थापित करने की सोच रहे हैं वे और वैसे ईमानदार कार्यकर्ता, जो अपनी पार्टी में विकृतियों से दुखी और तिरस्कृत हैं, वे सारे के सारे एकत्रित होकर पहले इस तरह की विकृतियों को दूर करने के लिए एक सामाजिक अभियान शुरू करना चाहिए ताकि अच्छे लोग चुनाव में भाग ले सके । दुसरा विकल्प एक सामाजिक अभियान हो सकता है, जिसे समाज के जागरूक सदस्यों, जैसे शिक्षक, सामाजिक नेता और उच्च वर्ग के छात्रों द्वारा समाज में इस विषाक्त विकृति को कम करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ किया जाना चाहिए । अभियान को व्यक्तिगत बैठकों, प्रेरक भाषणों और लेखों के माध्यम से बैठकों और वार्ता के माध्यम से समाज में जागरूकता बढ़ानी चाहिए।
अभियान का विस्तार:
इस अभियान से लोगों को एक मजबूत सामाजिक छवि के साथ जुड़ने की उम्मीद है, जो सामाजिक परिवर्तन की भावना से प्रेरित है और समाज को कुछ वापस दे रहा है। ऐसे लोग एक उज्जवल भविष्य के साथ समाज और आने वाली पीढ़ियों का नेतृत्व करेंगे। शुरुआत में एक बात जो स्पष्ट होनी चाहिए, वह यह है कि इस रास्ते में कुछ बाधाएँ तो होंगी, खासकर उन लोगों से जो मौजूदा विकृति से लाभान्वित होते हैं । इस अभियान में आर्थिक गतिविधियों की भागीदारी को कम से कम किया जाना चाहीए क्योंकि नेपाल में आर्थिक गतिविधियों वाले कार्यक्रम अक्सर विवादित होते हैं। इसमें कहीं से भी दान या वित्तीय अनुदान के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहीए | सामग्रीयुक्त समर्थन किसी के लिए भी खुला हो सकता है | मुख्य रूप से इस आंदोलन में व्यक्तियों की भागीदारी का स्वत: संख्या वृद्धि (Multiplication) के सिद्धांत को अपनाया जा सकता है । जैसे यदि कोई भी व्यक्ति इस अवधारणा को पसंद करता है और इस आन्दोलन मे सहभागी बनाना चाह्ता है, तो स्वेक्षा से आन्दोलन मे प्रयोग हुए सामग्री को अपने स्वयं के खर्च पर 10 प्रतियां मुद्रित करने और वितरित करने का अनुरोध किया जासक्ता है | फिर उन 10 व्यक्तियों में से प्रत्येक को 10 प्रतियां वितरित करने का अनुरोध किया जाएगा। इस तरह, समान विचारधारा वाले लोगों का एक समूह बनाया जा सकेगा | इस जागरण अभियान मे इक्षुक लोगों का एक समूह बनाकर गांव या समुदाय में प्रेरक भाषण और लेखन का आयोजन किया जाना चाहिए। इस अभियान में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पत्रकारों द्वारा निभाई जानी चाहिए जिससे इस अभियान को हर कोने तक ले जाने में मदद पहुच सकता है ।