पिडा सीमावर्ती क्षेत्र की
डा. उद्देश्वर लाल दास:सदियों के नियम, मान, मर्यादा, भाइचारा, विश्व-बन्धुत्व और मित्रवत् व्यवहार के तहत नेपाल-भारत सीमावर्ती क्षेत्र के बन्धुवान्धव पर्ूव काल से सीमा के दोनों पार शान्तिपर्ूवक बसोबास कर रहे हैं। यह अवस्था दोनों देश भारत-नेपाल के लिए अति आवश्यक और महत्त्वपर्ूण्ा बात है। दोनों देश के बीच बिना कोई सरकारी आदेश के, बिना कोई भेदभाव के सांस्कृतिक रिश्ता, शादी, विवाह, शिक्षा, स्वास्थ्य उपचार, धार्मिक तथा तर्ीथाटन पर्यटकीय सम्बन्ध और रोजगार के लिए बिना किसी रुकावट के आदान-प्रदान किया जाता है। वर्तमान समय में विश्व के बदलते राजनीतिक परिवेश और राजनीति से जुडेÞ शासक वर्ग में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और धनआर्जन के निम्नस्तरीय लोभी प्रवृत्ति के कारण दोनों देश के सीमावर्ती क्षेत्र में बसनेवाले शान्तिप्रिय नागरिक समूह पीडित हैं।
यह राजनीतिक पीडÞा कृत्रिम रूप में अनावश्यक ढंग से कुछ संगठित राजनीतिक अपराधी गिरोह के संरक्षण में किया जाता है। उदाहरण के लिए सीमा पार से हथियारों की तस्करी का आतंक और आतंकवादी का सुरक्षित आवागमन, मानव खरीद-विक्री, विभिन्न किस्म के लागू और प्रतिबंधित मादक पदार्थ का कारोबार आदि को लिया जा सकता है। इसी तरह जाली भारतीय नोट का कारोबार किया जाता है, जो एक घृणित कार्य है और आपराध भी। इस तरह का गैरमानवीय एवं घोर आपराधिक कार्य को रोका जाए एवं इस में संलग्न व्यक्ति और समूह को कठोर से कठोर दण्ड देना चाहिए।
इस तरह से सीमा क्षेत्र में गैर मानवीय क्रियाकलाप के कारण सीमावर्ती क्षेत्र की जनता को कोई करीब १०-१५ वषार्ंर्ेेे अधिक राजनीतिक पीडÞा और शासकीय दृष्टिकोण में बदलाव का अनुभव होने लगा है, जो सीमावर्ती क्षेत्र के जनता के लिए दुखद बात है। इस सम्बन्ध में व्यापक अनुसन्धान और अध्ययन की आवश्यकता है और सही कारण को पता लगाकर रोग का निदान और उपचार करने की आवश्यकता है। क्या इस सीमावर्ती क्षेत्र में आपराधिक घटना करने के लिए स्थानीय जनता की आवश्यकता है – या सीमावर्ती क्षेत्र की जनता दोषी है – या इस जघन्य आपराधिक क्रियाकलाप में संगठित राजनीतिक पक्ष अपराधी है –
दोनों देशों के बीच खुली सीमा है, जो एक आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच खुली सीमा का उपयोग मानव उपयोगी कार्य के लिए होना चाहिए, दोनों देशों के बीच पारस्परिक मधुर राजनीतिक सम्बन्ध होना चाहिए। दोनों देशों के बीच शासक में नेपाल-भारत के रिस्तों का व्यावहारिक ज्ञान होना चाहिए। व्यक्तिगत शासकीय सोच के कारण सीमावर्ती क्षेत्र में पीडÞा को घटाने के बदले बढÞाने का कार्य हो रहा है, जो दुखद पक्ष है।
फिलहाल भारत ने अपने फायदे के लिए सीमावर्ती भारतीय क्षेत्र में एसएसबी -सशस्त्र सीमाबल) और नेपाल ने अपने फायदे के लिए एपीएफ -सशस्त्र पुलिस बल) सीमा क्षेत्र में निगरानी के वास्ते तैनात किया है। जो दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्र की जनभावना एवं जनआकांक्षा के अनुकूल नहीं है। ये दोनों तरफ के बर्दीधारी बेतन भोगी सीमा सुरक्षा बल सीमावर्ती क्षेत्र की जनता की पीडÞा घटाने के बदले पीडÞा बढÞाते रहते हैं।
नेपाल-भारत के शासक वर्ग को सोचना चाहिए कि नेपाल-भारत का सीमांकान कोई अन्तर्रर्ाा्रीय निगरानी समिति वा निकाय के संरक्षण में नहीं हुआ है। दोनों देशों के शासकीय स्वरूप और शासकीय गतिविधि संचालन के लिए मात्र किया गया है। नेपाल-भारत की सीमा दूसरे देश जैसे नेपाल-चीन, भारत-पाकिस्तान, भारत-लंका, भारत-बंगलादेश जैसी न होकर एक विशेष व्यवस्था से निर्मित है। किसी भी अन्तर्रर्ाा्रीयस्तर में पहले दो देशों के बीच राजनीतिक रिस्ता या सम्बन्ध कायम होता है, फिर दूसरा रिस्ता, परन्तु नेपाल-भारत में राजनीतिक रिस्ता से पहले से ही मानवीय रिस्ता बरकरार है, जो विश्व में अपने आप में अति गौरवपर्ूण्ा बात है। इस तरह दोनों देशों के बीच का अटूट पारस्परिक रिस्ते को कोई राजनीतिक पागलपनपर्ूण्ा निर्ण्र्ााको आधार बनाकर अलग नहीं किया जा सकता है। नेपाल-भारत के सीमाक्षेत्र को ‘दसगजा’ के नाम से सम्बोधित किया जाता है। जो दोनों देशों के बीच सीमा रेखा है। इस ‘दसगजा’ क्षेत्र के दोनों तरफ आपसी भाइचारा को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से ही राजनीतिक रिस्ता कायम किया गया है। इसका आधार पारस्परिक विचार पर निर्भर होना चाहिए।
दोनों देशों के बीच कभी-कभी कृत्रिम राजनीतिक सोच और राजनीतिक समस्या उत्पन्न करने के तहत सीमा विवाद को उजागर किया जाता है। जो राजनीतिक अपरिपक्वता और व्यक्तिगत नासमझी के कारण क्रियाशील होता है। और जिसके फलस्वरूप दोनों देशों के बीच सीमावर्ती क्षेत्र में कुछ समय के लिए तनावपर्ूण्ा वातावरण बन जाता है।
सीमावर्ती क्षेत्र का विशेष रूप से अध्ययन करने पर पता चलता है कि सीमावर्ती क्षेत्र का मूल स्वभाव शान्तिप्रिय वातावरण, रचनात्मक क्रियाकलाप के उच्च आदर्श को पालन करते हुए किसी भी गैरमानवीय कार्य को पर्ूण्ा रूप से हतोत्साहित करके रोकना है।
आज सीमावर्ती क्षेत्र की आवश्यकता को पहचानना है। यहा कि जनता की समस्या को, आवश्यकता को, दिल्ली और काठमांडू में बैठकर या सोचकर नहीं देखा जा सकता है। काठमांडू और दिल्ली में बैठकर सीमावर्ती क्षेत्र के मूलभूत समस्या को आकलन नहीं किया जा सकता है। इसलिए दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्र के सही समस्या और साधान के वास्ते सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिक को भी विश्वास में लिया जाना चाहिए, सिर्फदिल्ली और काठमांडू में बैठकर सीमावर्ती क्षेत्र की समस्या को पहचाना नहीं जा सकता।
नेपाल-भारत सीमावर्ती क्षेत्र में दोनों देशों के नागरिक को स्वतन्त्र रूप से जीने का अधिकार है, जिसे दोनों सरकार की तरफ से आघात पहुँचाया जाता है। दैनिक आवश्यकता की चीजें जैसे- नून, चिनी, तेल, दवाई, कपडÞा, खाद्यान्न, कृषिमल आदि व्यक्तिगत प्रयोग के लिए भारत से नेपाल लाने पर उसे अनावश्यक रूप में रोका जाता है।
विक्षिप्त राजनीतिक मानसिकता के कारण सीमावर्ती क्षेत्र में भारतीय-नेपाली रूपये का परिवर्तन को लेकर अनावश्यक रूप में जनता को कष्ट दिया जा रहा है। और भारतीय रूपये के दलाल और तस्कर को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जो एक सरकारी अपराध है।
यथार्थ वस्तुस्थिति की पहचान कर सीमावर्ती क्षेत्र में आपराधिक क्रियाकलाप एवं सम्वेदनशील गतिविधि को अविलम्ब रोकने में सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिक का पर्ूण्ा सहयोग लिया जा सकता है। सीमावर्ती क्षेत्र के सम्बन्ध में किसी प्रकार का निर्ण्र्ाामें स्थानीय सीमावर्ती नागरिक का सहयोग एवं विचार सामिल किया जाना चाहिए। जिससे अच्छा परिणाम आ सकता है।
राजनीति को देश हित में प्रयोग करना राजनीतिकर्मी का धर्म है। राजनीतिक व्यक्ति को व्यावहारिक ज्ञान के साथ शैक्षिक ज्ञान होना भी अतिआवश्यक है, जिससे ‘राजनीतिक प्रदूषण’ को घटाया जसकता है।
नेपाल-भारत सीमावर्ती क्षेत्र में सरकारी निर्ण्र्ााके तहत किसी भी प्रकार से दोनों देशों के बीच का पारस्परिक सम्बन्ध मंे दरार लानेवाला आपराधिक क्रियाकलाप पर्ूण्ारूप से प्रतिबन्धित रहे। क्योंकि नेपाल-भारत का सीमावर्ती क्षेत्र पर्ूण्ा रूप से शान्तिप्रिय स्थिति में रहना ही दोनों देशों के हित में है, जितना सीमा क्षेत्र सुरक्षित रहेगा, उतना ही सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिक भी सुरक्षित रहेंगे और उनका भविष्य भी। यही दोनों देशों के लिए आवश्यक है। िि
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