Mon. Jan 13th, 2025

सामूहिक प्रयासों से समाज और देश का विकास होता है : भय्याजी जोशी

राजेश झा, मुंबई ९ अक्टूबर। किसी भी समाज और देश की उन्नति के लिए सभी को अपने दायित्व और भूमिका का निर्वहन करना होता है ,किसी एक की भूमिका के कारण समाज और देश आगे नहीं बढ़ता। विकास को गति देने के लिए ज्ञान,साधन,श्रम तथा उद्यम करने वाले साहसी व्यक्तियों की आवश्यकता होती है और यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे देश में ये चारों तत्व सदैव विद्यमान रहे हैं। आज उद्योग जगत और आर्थिक क्षेत्र में अपनी प्रतिभाओं के बल पर हम अब पीछे नहीं रहे। इससे यह बात भी ध्यान में आती है कि ज्ञानी लोग – संसाधन संपन्न समूह -श्रमिक वर्ग और उद्यमी लोग सामूहिक रूप से अपने कौशल तथा आपस में समन्वयव को और प्रगाढ़तर करेंगे तो उन्नति ‘अधिक गाढ़ा’ होती जाएगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश ‘भय्याजी’ जोशी ने सुभाषचंद्र बोस मिलिट्री एकेडमी की स्थापना के सम्बन्ध में आहूत संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए ये बातें कहीं। उल्लेखनीय है कि संघ के पूर्व सरकार्यवाह का पद वहन के पश्चात्, वर्तमान में भय्याजी जोशी संघ के “अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य” हैं।

श्री जोशी ने कहा कि हमारे देश को प्रकृति ने भरपूर वरदान दिया है। इसकी सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक ओर हिमालय जैसे प्रहरी और दूसरी ओर दुर्भेद्य समद्रों का उपहार भारत को मिला है। इसके अतिरिक्त संतुलित जलवायु ,नित्य औसतन तीन -चार घंटे सूर्य का प्रखर प्रकाश ,लगभग एक सामान दिन और रात हमें मिले हैं। हमारी मिट्टी उपजाऊ है ,सभी प्रकार के खनिज पदार्थ हमें मिले हैं। हिमालय की नदियों को भारत भूमि पर लाकर इसको सुजलम -सुफलाम -शस्य श्यामलं धरती बनानेवाले भगीरथ जैसे अनगिनत पुरुषार्थी हमारे पूर्वज हैं। हमारे समाज के अधिकाँश लोगों के मन निर्मल हैं और हमारी संस्कृति शत्रु के भी जीवन की कामना रखते हुए प्रार्थना करती है ‘शत्रु बुद्धि विनाशाय’ न कि ‘शत्रु विनाशाय’ । हमारी अर्थव्यवस्था गृह एवं कुटीर उद्योग बाहुल्य की रही है। आज हमें वैश्विक प्रतियोगिताओं में विजय के लिए बड़े -बड़े उद्योगों की श्रृंखला की आवश्यकता है।यह सभी के सामूहिक प्रयासों से ही होगा।

यह भी पढें   नेपाल में पर्यटक बढ़ाने के उद्देश्य से जनकपुरधाम के मेयर सहित 26सदस्यीय टीम भारत भ्रमण पर

श्री भय्याजी जोशी ने बताया कि भारत की श्रमशक्ति अतुलनीय है , हमारे श्रमिकों ने अन्य देशों को भी संवारा है । १९४७ के बाद पांच युद्ध हमें लड़ने पड़े जिनमें १९६२ को छोड़ शेष सभी लड़ाइयां हमने साधनविहीनता के बाद भी जीतीं तो यह हमारे सैनिकों की कुशलता और निष्ठा का परिणाम है। आपने कहा -‘हमें आर्थिक – सामाजिक क्षेत्रों में भी विदेशी शक्तियों से प्रतिस्पर्धा करनी है ,सीमा पर जाकर शत्रु से संघर्ष करने के लिए कुशल सैनिकों की भी आवश्यकता है’।अपने ही समाज की कुछ कमियों के कारण हिन्दू से कुछ लोग अतीत में अलग हुए और आज उन्हीं कारणों को उभारकर हिन्दुविरोधी शक्तियां पुनः कन्वर्जन में लगी हैं। इससे समाज में असुरक्षा बढ़ रही है। समाज को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास होना चाहिए। देश के प्रत्येक जिले में सुभाषचंद्र बोस मिलिट्री एकेडमी बनानी चाहिए। इससे पूरे समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे और सबके विकास की रचना बनेगी। इसके लिए सभी लोग अपनी -अपनी भूमिका का निर्बाह करेंगे।

यह भी पढें   भूकंप के आतंक के पीछे चीनी उन्माद : प्रेमचंद्र सिंह

सुभाषचंद्र बोस मिलिट्री एकेडमी की स्थापना के सम्बन्ध में आहूत इस कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलन से श्री भय्याजी जोशी , श्री सुरेश बागरिया एवं श्री यशवंत चौधरी ने किया। विषय रखते हुए श्री बागरिया ने कन्वर्जन और हिन्दुओं को क्षति पहुंचाने के लिए कम्युनिस्टों के षड्यंत्रों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें भी सोशियो इकोनॉमिक फैक्टर्स पर ध्यान देना होगा। उनके सम्बोधन के बाद नेताजी सुभाषचंद्र अकेडमी और दादरानागर हवेली के शाश्वत विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी उसके बाद परिचर्चा हुई।श्री हिरेन व्यास ,श्री यशवंत चौधरी ,श्री मंजी भाई प्रेम भाई ,श्री निर्मल कुमार भुटानी , श्रीसुरेश चीलरका , श्रीविशाल ,श्रीअतुल शाह ,श्रीआर के नायर ,श्रीसंदीप सिंह , श्रीअजीत यादव आदि ने वनवासी क्षेत्रों में कुपोषण -कनवर्जन -अकर्मण्यता एवं जागरूकता जैसे विन्दुओं पर प्रकाश डाला। श्रीसुरेश बागरिया ने समस्याओं के समाधान में उद्योगपतियों की भूमिका का वर्णन करते हुए पालघर जिले के ७५ गाँवों का उदाहरण दिया जहां चल रहे समाजसेवा कार्यों के कारण ४० गाँवों को पेयजल उपलब्ध कराया जा चुका है, ५० गाँवों को कुपोषणमुक्त कराया जा चुका है। उन्होने कहा कि २०२५ तक पालघर जिले के सभी ७५ गांव आदर्श गांव के रूप में विकसित हो जाएंगे। इस अवसर पर श्री शेषनाथ ने एकल गान प्रस्तुत किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन श्री बागरिया ने किया। इसका समापन शांति गीत से हुआ।

यह भी पढें   नेपालगंज में विश्व हिन्दी दिवस०२५ पर बहुभाषिक कवि गोष्ठी

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
%d bloggers like this: