समर कैम्प
प्राची साह:गरमी का मौसम यानी धूप और पसीने का मौसम । किन्तु साथ ही छुटि्टयों का मौसम भी । इतना ही नहीं इस मौसम में बीमारियाँ भी आपका पीछा नहीं छोडÞती हैं । बावजूद इसके ये मौसम, ये महीना बच्चों के लिए विशेष मायने रखता है, क्योंकि उन्हें छुटि्टयाँ मिलती हैं । किताबों के बोझ से झुके कंधे कुछ दिनों के लिए मुक्ति की साँस लेते हैं । न सुबह उठने की हाय तौबा और न ही स्कूल जाने की पाबन्दी । दूसरी ओर माता-पिता ये सोच कर परेशान होते हैं कि पूरी छुटि्टयाँ इन बच्चों को कैसे सम्भाला जाय । बच्चों की खुशियाँ और अभिभावक की परेशानी की वजह एक ही है-छुट्टी ।
आज के व्यस्त जीवन में अधिकांश अभिभावक के पास समय की कमी होती है । वो अपना अधिक समय बच्चों को नहीं दे पाते हैं । ऐसे में उनका परेशान होना स्वाभाविक है । बच्चे टी. वी. और कम्पयूटर पर अपना अधिकांश समय व्यतीत करते हैं जो उनके लिए सही नहीं है । अभिभावक चाहते हैं कि बच्चे टी. वी. और कम्प्यूटर से न चिपकें, पर कैसे – इसी प्रश्न का उत्तर है समर कैम्प ।
आजकल कई विद्यालय निजी रूप से समर कैम्प आयोजित कर रहे हैं । छात्रों से अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है और इस तरह बच्चे अपने समय का सदुपयोग करते हैं । समर कैम्प अभिभावक पर अतिरिक्त भार अवश्य है, लेकिन आज के दौर में यह भी आवश्यकताओं में शामिल होता जा रहा है । जिन जगहों पर हम बच्चों को अकेले नहीं ले जा सकते, समर कैम्प के आयोजक उन्हें वहाँ ले जाते हैं । बच्चे उस जीवन को जीते हैं, जो उन्हें शहरी आबोहवा में प्राप्त नहीं होते ।
समर कैम्प कम से कम दो सप्ताह और अधिकतम दो महीने का हो सकता है । इस कैम्प के तहत बच्चों को भाषा, संस्कृति, ग्रामीण वातावरण, ट्रैकिंग आदि से सम्बन्धित अनुभवों से परिचित कराया जाता है । स्कूल में जहाँ बच्चे सिर्फकिताबों से जानकारी प्राप्त करते हैं वहीं उन्हें समर कैम्प के तहत व्यावहारिक दुनिया से परिचय कराया जाता है । जिस गाँव को वो सिर्फतस्वीरों में देखते हैं, जिस पहाडÞ के चित्रों से वाकिफ होते हैं, जिन नदियों के नाम को सिर्फजानते हैं, समर कैम्प के आयोजक की कोशिश होती है कि वो उन सबसे वास्तविकता में परिचित हों । उन्हें नजदीक से देख सकें और उन पलों को जी सकें । बच्चे जीने का नया अंदाज सीखते हैं और अपने देश के कई हिस्सों, संस्कृति और जीवन शैली से परिचित होते हैं ।
बच्चों को उनकी पसन्द, उनकी हाँवी के अनुसार काम दिया जाता है और उन्हें करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है । कई तरह के कार्यक्रम के द्वारा उनके मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक चेतना का विकास किया जाता है । उनके पास कई पसन्द होते हैं-ट्रैकिंग, हाइकिंग, जंगल यात्रा, पर्वतारोहण आदि जिसमें अपनी रुचि के अनुसार बच्चे भाग ले सकते हैं ।
समर कैम्प में बच्चों में मिलजुल कर रहने की प्रवृत्ति, आपसी सद्भाव, सहयोग और भाईचारे की भावना का विकास होता है । समर कैम्प में भौतिक सुविधाओं की कमी हो सकती है, फिर भी वहाँ बच्चों को वह मिलता है जो उन्हें सजे-सजाए घर में नहीं मिलता । आजकल एकल परिवार का जमाना है, जिसकी वजह से बच्चों का अस्तित्व सिमटता जा रहा है । स्वार्थपरता की भावना बढÞती जा रही है । इंटरनेट का संजाल उन्हें जकडÞता जा रहा है । ऐसी परिस्थितियों में समर कैम्प निःसन्देह उपयोगी है ।
प्राइवेट संस्था भी समर कैम्प आयोजित करती है, जो विभिन्न प्रकार के थीम पर आधारित होते हैं । बच्चे अपनी इच्छानुसार इसका चुनाव करते हैं । ये संस्थाएँ मंहगे भी होते हैं और सस्ते भी जिसका चयन अभिभावक अपनी बजट के अनुसार कर सकते हैं ।
इस सर्न्दर्भ में कुछ बातें ऐसी हैं जिसमें अभिभावक को सावधानी बरतने की आवश्यकता है । आखिर उनके बच्चे का सवाल है । अगर विद्यालय समर कैम्प आयोजित करता है, तो वहाँ अभिभावक को थोडÞी तसल्ली हो सकती है किन्तु, अगर वो किसी प्राइवेट संस्था का चुनाव कर रहे हैं तो उन्हें पूरी जाँच पडÞताल कर लेनी चाहिए कि वो बच्चे को कहाँ ले जाएँगे, बच्चों के साथ जाने वाले शिक्षक और ट्रेनर कौन हैं इसकी पूरी जानकारी अभिभावक को होनी चाहिए । बच्चों के खाने-पीने, रहने आदि की क्या व्यवस्था है यह भी उन्हें जान लेना चाहिए, साथ ही अगर बच्चे को किसी प्रकार की एलर्जी या शारीरिक परेशानी है, तो यह जानकारी सम्बन्धित संस्था को बता देनी चाहिए । बच्चों के बैग पैक करने के समय उनके दैनिक आवश्यकताओं की चीजें याद से रखनी चाहिए, साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे अपने साथ कोई ऐसी चीज न ले जाए जिसकी मनाही हो । बच्चों को मानसिक रूप से स्वयं से अलग रहने के लिए तैयार कर लें ।
समर कैम्प बच्चों के लिए उपयोगी हो सकती है बशर्ते संस्था का चुनाव सही हो । इंटरनेट पर जानकारी उपलब्ध होती है, पर अभिभावक को चाहिए कि वो स्वयं जाकर भी सारी जानकारी प्राप्त करें और उसके बाद ही चुनाव करें और बच्चे को भेजें ।