नेपाल और भारत सम्बन्धः ‘गिभ एण्ड टेक’ और ‘लभ एण्ड रेस्पेक्ट’ !
सरोजदिलु विश्वकर्मा
देशोंके बीच सम्वन्ध मुख्य रूपसे उन देशोंकी ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमिसे बनते हैं। लेकिन नेपाल और भारत का रिश्ता धार्मिक, भाषाई, नैतिक और पौराणिक रूपसे भी जुड़ा हुआ है। प्राचीनकालमें, जब वर्तमान भारत और नेपाल अस्तित्वमें नहीं थे, पुराणों, महाभारत, रामायण, वेदों और उपनिषदोंमें वर्णित विभिन्न मिथक और ग्रंथ दोनों देशोंके निवासियोंको जोड़ते थे। उन पुस्तकों में चर्चित महादीप कथानक और उसकी सीमाओंके अंतर्गत पात्रोंके अनगिनत प्रसंगों से पता चला है कि हम दोनों नागरिकोंकी उत्पत्ति एक ही स्थानसे हुई है। और नेपाल और भारतकी दोस्तीको लेकर जो रूपक इस्तेमाल किया जा रहा है, उसका जिक्र दूसरे देशोंके सम्वन्धमें नहीं किया गया है।

भारतके साथ मूलतः सात प्रकारके सम्वन्ध हैं। इनमें मुख्य रूपसे सांस्कृतिक सम्वन्ध हैं, जो सिन्धु घाटी सभ्यतासे है। दोनों देशोंमें जाति और जातीय संरचना एक जैसी है, आर्थिक दृष्टिसे हमारे वर्ग विभाजनमें भी एकरूपता है। हमारे सोचने, खाने, त्यौहार मनानेका तरीका भी एक ही है। नेपालकी आर्य, मंगोल, अष्ट्रिक और द्रविड़ जातीय संरचना ओ भारतसे भिन्न नहीं है। अतः उत्पत्तिकी दृष्टिसे यह कहा जा सकता है कि नेपाल और भारतकी उत्पत्ति और इतिहास एक ही है। कुछ सांस्कृतिक सभ्यताएँ नेपालसे वहाँ गई हैं और कुछ वहाँसे आई हैं। जिन देवी(देवताओं, शैलियों और मान्यताओंको हम मानते और पूजते हैं वे लगभग एक जैसी ही हैं। इसलिए, नेपाल और भारतके बीच सम्वन्ध दोनों देशोंके निर्माणसे बहुत पहलेका है।



भारत और नेपालके बीच राजनीतिक रिश्ते भी पुराने हैं, चूँकि लगभग ज्ञडडण् किमी की खुली सीमा है, इसलिए दोनों देशोंके बीच सीमा पार करना, वैवाहिक और पारिवारिक सम्वन्ध अभी तक नहीं हैं। नेपालके एकीकरणसे पहले ही तराईसे भौगोलिक सम्वन्ध हमारी संस्कृति, व्यापार और राजनीतिसे जुड़े हुए थे। धार्मिक ग्रंथोंके अनुसार सत्य युगमें ब्रह्मा, विष्णु, शिव पार्वती या स्वर्ग, त्रेता युगमें अध्योध्या और जनकपुर, ध्वापर युगमें हस्तिनापुर, मथुरा और बौद्धकालमें लुमविनी और गया के बीच सम्वन्धकी मान्यता प्रतीत होती है। उसी समयसे नेपाल और भारतके बीच धार्मिक सम्वन्ध मजबूत हुए हैं।

अधिकांश भारतीय धार्मिक आस्थामें विश्वास रखते हैं। इनमें हिंदू धर्मको मानने वाले लोग ज्यादा हैं और नेपालमें भी हिंदू धर्मको मानने वाले 82 प्रतिशत लोग हैं। वे हिंदू धर्मके अलावा जैन, बौद्ध, इस्लाम, ईसाई, वैष्णव और सिख, वोन, किरांत धर्मको मानते हैं, जो नेपालकी धार्मिक आस्थासे अलग नहीं है। हम शादी करनेके लिए सातफेरा पहनते हैं, यज्ञ करते हैं और सिन्दूर पोतते हैं, जबकि उनकी वैवाहिक संस्कृति भी अलग नहीं है। हमारी भी यही मान्यता है कि जो खुले दिलसे अतिथिका स्वागत करता है, लक्ष्मी उसे धन देती है। दोनों देशोंके नागरिक एक(दूसरे पर भरोसा करते हैं और स्वतंत्र रूपसे घूम रहे हैं और शादियों और सांस्कृतिक उत्सवोंमें भागले रहे हैं। इसके अलावा, राम, सीता, कृष्ण और शिवको मुख्य देवता मानने वाले भारतीयों ने नेपालके धार्मिक पर्यटन में जबरदस्त योगदान दिया है।
सीमा संबंधी मुद्दों के कारण दोनों देशोंमें सुरक्षा चुनौतियाँ समान हैं। चूंकि भारतीय क्षेत्र नेपालकी तीन तरफा सीमाओं से जुड़ा हुआ है और इसकी खुली पहुंच है, इसलिए दोनों देश बाहरी हस्तक्षेपको एक ही तरहसे हल कर रहे हैं, जबकि आंतरिक चुनौतियोंको एक(दूसरेके साथ मिलकर हल किया जा रहा है। सीमा पर आपराधिक गतिविधियोंको भी दोनों देशोंके समन्वयसे सुलझाया गया है।
भारत सरकार और नेपालके राणा शासकोंके बीच 1950 की संधि और पत्रोंमें कहा गया था कि कोई भी सरकार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा दूसरेकी सुरक्षाके लिए किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं करेगी, और यदि दोनों सरकारोंके बीच कोई गंभीर अशांति या दरार है, दोनों सरकारोंके बीच मैत्रीपूर्ण सम्वन्ध ख़राब होनेकी संभावना है। सरकार इस मामलेके बारेमें एक(दूसरेको सूचित करने की ज़िम्मेदारी स्वीकार करती है।ू इन समझौतों ने भारत और नेपालके बीच एक विशेष सम्वन्ध बनाया है। इस सन्धीने नेपालियोंको भारतमें भारतीय नागरिकोंके समान आर्थिक और शैक्षिक अवसर प्रदान किए, जबकि नेपालमें अन्य राष्ट्रीयताओं की तुलनामें भारतीय नागरिकों और व्यवसायोंको प्राथमिकता दी गई। भारत(नेपाल सीमाके कारण, नेपाली और भारतीय नागरिक बिनापासपोर्ट या बिनाभिसाके सीमा पार स्वतंत्र रूपसे घूम सकते हैं और किसी भी देशमें रह सकते हैं और काम कर सकते हैं ९हालांकि भारतीयोंको नेपालमें अचल संपत्ति खरिद्ने या सरकारी संस्थानोंमें काम करनेकी अनुमति नहीं है, जबकि नेपाली भारतके नागरिकोंको सभि राज्योंमें यात्रा करने की और कुछको सेवाके अलावा भारतीय सरकारी संस्थानोंमें काम करनेकी अनुमति है।
कुछको छोड़कर दोनों देशोंकी गरीबी, उत्पीड़न और बेरोजगारी तथा उत्पादन और बाजार एक समान हैं। नेपाली बाजार तो है ही, भारतीय नागरिक भी नेपालमें कारोबार कररहे हैं। दोनों देशोंमें व्यापारसे दोनों देशोंके नागरिकोंकी आजीविका चलती रही है। लगभग 50 लाख नेपाली लोग भारत में विभिन्न व्यवसायों और व्यवसायोंमें काम कर रहे हैं, जबकि लगभग 20 भारतीय नेपालके विभिन्न हिस्सोंमें आ गए हैं और छोटे व्यवसाय कर रहे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीयस्तर पर, नेपालका 67 प्रतिशत भोजन, 70 प्रतिशत कपड़े, 72 प्रतिशत मशीनरी, 100 प्रतिशत दवाएँ और लगभग 100 प्रतिशत ईंधन भारतसे आयात किया जा रहा है, जबकि नेपालका पानी, ऊर्जा और जड़ी(बूटियाँ, घी और वनस्पति उत्पाद यहांसे भारत निर्यात किया जा रहा है। इसकेसाथ भारत नेपालको सड़कविस्तार, स्कूल, शिक्षा, अस्पताल और अन्य विकास परियोजनाओं में अनुदान और रियायती ऋणके साथ समर्थन देता रहा है। प्राकृतिक आपदाओं में सबसे आगे रहनेवाले नेपालको बिनाशर्त सेवा और सहायता प्रदान करके भारतने खुदको नेपालका निकटतम पड़ोसी साबित किया है। नेपाल और नेपाली लोग एक अच्छे मित्रके रूपमें भारतकी विभिन्न तरीकोंसे मदद करते रहे हैं। इसके अलावा, चूंकि नेपाल एक भूपरिवेष्ठित देश है, इसलिए हम तीसरे देशोंमें जाने और व्यापार करनेके लिए भारतीय भूमि और आकाशका स्वतंत्र रूपसे उपयोग करनेमें सक्षम हैं। इस लिहाजसे भारत हमारा सबसे करीबी दोस्त है ।
नेपालमें राजनीतिक परिवर्तन करनेमें भारतने भी अहम भूमिका निभाई है, चाहे वह नेपालके क्रांतिकारियोंको भारतमें शरण देना हो या दोनों देशोंके बीच राजनीतिक संबंधोंके आधार पर, भारतने निरंकुशता और तानाशाही व्यवस्थासे लड़नेका जो गुण दिखाया है, उसे लोकतांत्रिक पार्टियां नहीं भूल सकतीं। इसने विभिन्न राजनीतिक नेताओंको उच्च शिक्षा प्राप्त करनेका अवसर भी दिया है। आज भी कई नेपाली उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त करनेके लिए भारत जाते हैं। इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि भारत सामंतवादी या विस्तारवादी है।
हालाँकि, राजनीतिक हलकोंमें भारतके प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण है। विशेषकर अलोकाकी साम्यवादी शिक्षाने भारत की छोटी(छोटी गलतियोंको उठाकर लोगोंको भारत की ओर बिल्कुल गलत नजरोंसे देखनेके लिए प्रोत्साहित किया है। इसके अलावा भारतद्वारा सीमा क्षेत्रमें नेपालियोंको दी जा रही पीड़ा और समय(समय पर सीमा पर पिलरोंको खिसकाना भी आम नेपाली लोगों की नजरोंमें भ्रम पैदा कर रहा है ।
हाँ, नेपाल और भारतके बीच कुछ विरोधाभासी समझौते हैं। 1960 और 1950 की सन्धीयों न नेपाल और भारतके बीच भाईचारेके संबंधोंको हमेशा ठंडा रखा। उन तात्कालिक मुद्दोंको ठीक करना जुनून, बदले और अवमाननाके बारेमें नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि दोनोंको पारस्परिकता के सिद्धांतके अनुसार कूटनीतिक पहल करनेकी आवश्यकता है और नेपालको सौहार्दपूर्ण तरीकेसे अपनी समस्याओंका समाधान करना चाहिए। इसका सम्वन्ध अनुबंध से है, जब भारत कुछ छोड़ता है तो नेपालको भी कुछ देना पड़ता है। एक ही घरके भाइयोंमें फूट होने पर भी जब भाई कुछ मांगता है तो भाई ही कुछ ले लेता है। इसलिए, कूटनीतिक व्याख्याके बावजूद नेपाल और भारतके बीच एक घरके भाइयोंकी तरह गिभ एन् टेक और लभ एन्ड रेस्पेक्टका सम्वन्ध है ।
जब उसके साथ सामान्य सामाजिक सिद्धांतोंके अनुसार व्यवहार किया जाएगा, तभी उसके प्रति समाजका दृष्टिकोण सम्मानित और व्यापक होगा। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी परिवारको कितना समर्थन मिलता है, अगर वे ऐसा करनेमें विफल रहते हैं या समर्थनका दुरुपयोग करना जारी रखते हैं और उनकी प्रगतिमें रुचि नहीं रखते हैं, अगर वे बदमाशी और हिंसामें संलग्न होते हैं, तो उनका अपना परिवार भी धीरे(धीरे छोड़ देगा। देशोंके बीच कुटनीतिक सम्वन्ध भी इसी प्रकारके होते हैं। भले ही वे दो बार, दो बार या तीन बार मदद करें, अगर उनकी सरकार अपने देश और उसके लोगोंको लाभ पहुंचानेमें सक्षम नहीं है, अगर सरकार तानाशाही और अवसरवादी है, अगर वह हिंसासे नहीं निपट सकती, अगर वह सुशासन बनाए नहीं रखसकती है या अगर वह उन्मुख है भ्रष्टाचारके प्रति समर्थक देश भी अपना नजरिया बदल देंगे। निःसंदेह, रिश्ता जैसा कल था, वैसा जारी नहीं रहसकता। और, जो लोग हाथमें होते हैं वे नजरअंदाज करने लगते हैं। इस मान्यताके अनुसार भारत या अन्य सहयोगी देशोंद्वारा नेपालके प्रति दृष्टिकोणमें परिवर्तन आया है। पड़ोसी देश कितने भी मित्रवत और मददगार क्यों न हों, देश आगे नहीं बढ़ पाया है। विदेशी सहायताका दुरुपयोग किया गया है, नेपाल विश्वमें भ्रष्टाचारमें अग्रणीके रूपमें जाना जाता है। दुनिया अपने नागरिकोंके प्रति क्रूरताको समझ चुकी है। नागरिकों पर कर बढ़ाकर शासक विशेषाधिकार प्राप्त हो रहे हैं। उन्हें मानवाधिकारों और शान्ति प्रक्रियामें कोई दिलचस्पी नहीं है और वे सहयोगके लिए विदेशी देशोंद्वारा किएगए कार्योंको नजरअंदाज करते हैं, जबकि पड़ोसी देश स्वाभाविक रूपसे हमें हेय दृष्टिसे देखते हैं। भारतने भी अपने कारणोंसे हमारे प्रति अपने दृष्टिकोणमें बदलाव लाया है। उसने हमारी कलाइयोंको छुआ है। इसलिए दोनों देशोंके बीच कुछ समस्याएं हमारे अपने कारणोंसे हल नहीं हो पा रही हैं।
इसलिए, जब कभी-कभी दोनों देशोंमें ठंड बढ़ जाती है, तो स्वाभाविक है कि आवश्यक सामान दक्षिणसे आयात नहीं किया जाता है, और उनकी आपूर्ति उत्तरसे की जाती है। लेकिन चीन या अन्य देश कभी भी भारतकी सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषाई और जातीय निकटता का विकल्प नहीं हो सकते। नेपाली लोग बेजिंग, सांघाई, ल्वासा घूमने या व्यापार करने जा सकते हैं। लेकिन वे गंगाकी बजाय ह्वांगो नदीमें नहाने नहीं जा सकते । जहां नेपाली भारतीय लड़कियोंसे आसानीसे शादी कर लेते हैं, वहीं वे चीनी लड़कियोंसे उसीतरह शादी नहीं कर सकते। यहां तक कि जब कोई नेपाली किसी तीसरे देशमें पहुंचता है तो भारतीय उतनी मदद करते हैं, जितनी दूसरे देशोंके नागरिक नहीं करते । इसलिए, नेपाल और भारतके बीच न केवल राजनीतिक, आर्थिक और कुटनीतिक सम्वन्ध हैं, बल्कि लोगोंके बीच वैवाहिक, धार्मिक, जातीय, भाषाई, शारीरिक और सांस्कृतिक सम्वन्ध भी बहुत अधिक हैं।
