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सहरसा से दरभंगा के बीच दम तोड़ता प्रस्तावित एम्स  



विशेष संवाददाता, दिल्ली, 10 सितंबर। यह एक सटीक सार है कि जनता दल यू (जदयू) से जुड़े बिहार के पूर्व मंत्री व मौजूदा राज्य सभा सांसद संजय झा की अपनी पार्टी में बढ़ती साख व जदयू व भाजपा में तालमेल बैठाने में बढ़ती उनकी क्षमता केंद्र सरकार की ओर से बिहार में प्रस्तावित दूसरे एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) के निर्माण की जटिलता को बढ़ाती जा रही है। पिछले शनिवार को देश के स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा एम्स के दरभंगा स्थित प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण करने के उपरांत संजय झा ने तो यहां तक कह दिया कि स्वास्थ्य मंत्री के स्थल निरीक्षण से एम्स को लेकर रही सही आशंका दूर हो गई है। झा ने इस मौके पर इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार भी जताया।

लेकिन सवाल है कि झा की यह बलवती इच्छा पूरी हो पाएगी। कहने में गुरेज नहीं कि इस काम के लिए झा और देश के स्वास्थ्य मंत्रालय को देश के सर्वोच्च न्यायालय की दहलीज से गुजरना होगा और यह साबित करना होगा कि एम्स की स्थापना दरभंगा में होना बिहार वासियों के लिए सबसे ज्यादा समीचीन है।

कहना गैरजरूरी है कि बिहार में प्रस्तावित एम्स का मामला अब उच्चतम न्यायालय के पास है। सहरसा की एक संस्था कोशी विकास संघर्ष मोर्चा ने इस मामले को लेकर देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका (810/2024) दायर कर दिया है।

बिहार के इस दूसरे एम्स की कहानी की शुरुआत उस वक्त होती है जब बिहार स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक पत्र के माध्यम से ( पत्रांक-247/1, दिनांक-29.02.2016) जिलाधिकारी सहरसा से एम्स के लिए भूमि की उपलब्धता के बारे में पूछा जाता है। फिर इस बाबत जिलाधिकारी की ओर से बिहार सरकार को जबाव भी जाता है। जिलाधिकारी के पत्रांक-1525 (सपत्र) दिनांक-26.08.2017 के मुताबिक पंचायत गोबरगढ़ा प्रखंड सत्तरकटैया के अंतर्गत कुल 217.74 एकड़ भूमि एम्स की स्थापना के लिए मुहैया करवाने की बात की गई है। कहना गैरजरूरी है कि दरभंगा से पूर्व एम्स स्थापना की बात सहरसा में करने की बात की गई थी। लेकिन संजय झा के व्यक्तिगत राजनीतिक स्वार्थ ने सहरसा में एम्स स्थापना की राह में रोड़ा खड़ा कर दिया है, जैसा कि उक्त याचिका के याचिकाकर्ता प्रवीण आनंद व बिनोद झा का कहना है।

अब यहां एम्स के लिए दरभंगा में चयनित निर्माण स्थल का जिक्र करना जरूरी है। उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार के स्वाथ्य विभाग के अवर सचिव अजय कुमार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि दरभंगा में एम्स की स्थापना को लेकर नवंबर 2019 के दौरान एक स्थल का चयन किया गया जो दरभंगा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का परिसर था। फिर केंद्र सरकार की ओर से स्थल के निरीक्षण के लिए एक टीम का गठन किया गया। टीम की ओर से 15 दिसंबर से लेकर 17 दिसंबर 2019 तक निरीक्षण कार्य की पूर्णाहुति की गई। टीम की रिपोर्ट आने के बाद फैसला लिया गया कि बिहार सरकार की ओर से चिन्हित स्थल यानी दरभंगा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के परिसर को ही प्रस्तावित बिहार के दूसरे एम्स का परिसर मान लिया जाए और यहां निर्माण के कार्य को शुरू किया जाए लेकिन इसमें बिहार सरकार को कई मुद्दों पर केंद्र सरकार को मदद करनी थी। साथ ही इस प्रोजेक्ट को रिव्यू करने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वास्थ्य) 24 दिसंबर 2020 को दरभंगा आए और इस दौरान राज्य सरकार (बिहार सरकार) ने सड़क के किनारे की 75 एकड़ भूमि देने का वादा किया जिसे तीन महीने में मिट्टी भराई कार्य को अंजाम देकर समतल किया जाना था।

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हालांकि यह सिलसिला आगे भी जारी रहा। 28 अगस्त 2021 को भारत सरकार के तत्कालीन स्वास्थ्य व परिवार कल्याण सचिव के साथ हुई बैठक में राज्य के मुख्य सचिव ने कहा कि 15 दिसंबर 2021 तक 75 एकड़ भूमि एम्स के प्राधिकार को अधिग्रहित करवा दिया जाएगा और बाकी 125 एकड़ भूमि भारत सरकार को दिसंबर 2021 के अंत तक हस्तगत करवा दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि एम्स के लिए केंद्र सरकार की ओर से 200 एकड़ भूमि की मांग की गई थी। फिर बिहार सरकार ने 28 जनवरी 2022 को एक पत्र लिखकर केंद्र सरकार को सूचित किया कि 75 एकड़ जमीन में मिट्टी भराई का काम आरंभ हो गया है और अगले दो माह में इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। आगे 30 अगस्त 2022 को दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने एम्स के कार्यकारी निदेशक से 81.75 एकड़ भूमि अधिग्रहण का आग्रह किया। हालांकि कार्यकारी निदेशक ने सूचित किया कि इस भूमि 25 एकड़ सड़क व रेलवे लाईन के बीच स्थित है जिसमें महज 9-10 एकड़ में मिट्टी भराई का काम हुआ है। बिहार मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इस बीच सूचित किया कि इस भूमि को दो तीन सप्ताह में ग्रीनफिल्ड में परिवर्तित कर दिया जाएगा। जानना जरूरी है कि 24 नवंबर 2022 को हुए रिव्यू मीटिंग के दौरान बिहार सरकार की ओर से कहा गया था कि वह 150 एकड़ जमीन एम्स को मुफ्त देगी। इसके लिए केंद्र सरकार को कोई भुगतान नहीं करना होगा। फिर कार्यकारी निदेशक ने 06 सितंबर 2022 को 81.0965 एकड़ जमीन हस्तगत किया लेकिन वहां मिट्टी भराई का काम जारी था। फिर 23 जनवरी 2023 एक तकनिकी दल के दौरे क्रम में पाया गया कि राज्य सरकार ने उक्त 81 एकड़ भूमि में मिट्टी भराई के कार्य को पूरा नहीं किया।

इस बीच 03 अप्रील 2023 को बिहार सरकार ने सूचित किया कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज परिसर की भूमि के साथ कई खामियां हैं, इसलिए सरकार ने फैसला किया है कि एकमी शोभन बाईपास के पास स्थित 150 एकड़ भूमि (अंचल बहादूरपुर, मौजा-बलिया, थाना नंबर-12012) को एम्स के लिए प्रदान किया जाए। यह भूमि दरभंगा से पांच किलोमीटर व ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लेकिन 26 मई 2023 को तत्कालीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव ने बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य विभाग) को यह कहते हुए एक अर्ध सरकारी पत्र जारी किया टेक्निकल टीम के निरीक्षण के बाद यह पाया गया कि इस वैकल्पिक भूमि में तो दरभंगा मेडिकल कॉलेज के परिसर से ज्यादा खामियां मौजूद हैं। इस बीच तीन दिन पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने उसी स्थल का निरीक्षण किया। पता नहीं कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में बिहार में प्रस्तावित दूसरे एम्स को लेकर दायर याचिका की जानकारी है या नहीं।

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