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आज नहाय–खाय के साथ छठ महापर्व शुरु

काठमांडू, कार्तिक २० – छठ महापर्व आज नहाय–खाय के साथ शुरु हो गया है । आज व्रती महिलाएं तालाब और नदी में स्नान करके कद्दू की सब्जी और भात खाकर व्रत का संकल्प लेंगी । ऐसा माना जाता है कि यह भोजन करने से साधक के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है
नहाय–खाय में क्या करते हैं ?
इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले आस–पास के किसी तालाब और नदी में स्नान करती हैं फिर भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करती हैं ।
नहाय–खाय में साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है । प्रसाद तैयार करते समय स्वच्छता का खास ख्याल रखना होता है । छठ महापर्व में केवल व्रती को नहीं, बल्कि पूरे परिवार को सात्विक भोजन करना होता है ।
इस दिन प्रसाद बनाने के लिए साफ चूल्हे का ही प्रयोग किया जाता है । इस दिन महिलाएं एकबार ही भोजन करती हैं । फिर अगले दिन शाम को खरना किया जाता है । बहुत जगहों पर लोग नहाय–खाय के भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं ।
नहाय–खाय – ५ नवंबर
खरना – ६ नवंबर,
शाम का अर्घ्य – ७ नवंबर को
सुबह का अर्घ्य – ८ नवंबर को
छठ महापर्व का महत्व –
छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया (माता षष्ठी) को समर्पित है, छठी मैया को सूर्य की बहन माना गया है । यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में तथा इन क्षेत्रों के प्रवासी लोगों द्वारा विश्व भर में मनाया जाता है । अब यह किसी एक गाँव,प्रांत, शहर या देश का नहीं रहा यह विश्व का महापर्व बन गया है । दुनिया के हर कोने में लोग इस् पर्व को बहुत ही आस्था और विश्वास से मनाते हैं । छठ पूजा चार दिन तक चलती है और यह सबसे महत्वपूर्ण तथा कठोर त्योहारों में से एक है ।
छठ पूजा के दौरान सूर्य को जीवन के स्रोत के रूप में पूजा जाता है । ऐसी मान्यता है कि सूर्य की ऊर्जा बीमारियों को ठीक करने, समृद्धि सुनिश्चित करने और कल्याण प्रदान करने में मदद करती है । भक्त स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए सूर्य और छठी मैया की पूजा करते हैं ।

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