प्रधानमंत्री ओली का भारत दौरा अनिश्चित ? विदेश मंत्री आरजू राणा का भारत दौरा
काठमांडू, हिमालिनी विशलेषण। 19 मार्च । नेपाल की विदेश मंत्री डॉ. आरजू राणा पिछले नौ दिनों से भारत दौरे पर हैं। यह दौरा मुख्य रूप से धार्मिक यात्रा के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन इसमें राजनीतिक और कूटनीतिक मुलाकातों की संभावनाएं भी जोड़ी गईं। हालांकि, उनकी यात्रा को लेकर कई तरह की चर्चाएँ हो रही हैं, खासकर उनकी लंबी भारत यात्रा और पूर्वनिर्धारित कार्यक्रमों की अस्पष्टता को लेकर।
धार्मिक यात्रा या राजनीतिक उद्देश्य?
आरजू राणा ने अपनी यात्रा की शुरुआत भारत के झारखंड राज्य में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना से की थी। उन्होंने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की। लेकिन इसके बाद वे सीधे दिल्ली पहुँचीं, जहाँ वे ‘राइसिना डायलॉग’ में शामिल हुईं। इस कार्यक्रम का आयोजन ‘द ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ (ORF) द्वारा भारतीय विदेश मंत्रालय के सहयोग से किया जाता है।
राइसिना डायलॉग में जलवायु परिवर्तन और वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा हुई, जिसमें आरजू राणा ने भी हिस्सा लिया। लेकिन उनकी भारत यात्रा का एक बड़ा पहलू यह भी था कि क्या वे भारतीय उच्च-स्तरीय नेताओं से मुलाकात कर सकेंगी?

उच्च-स्तरीय राजनीतिक वार्ताएँ असफल?
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आरजू राणा की भारत यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक हुई। उन्होंने इसे “फलदायी” बताया और कहा कि इसमें द्विपक्षीय सहयोग, जनस्तरीय आदान-प्रदान, और रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा हुई। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हुआ कि इसमें नेपाल-भारत के प्रमुख मुद्दों पर कोई ठोस सहमति बनी या नहीं।
हालांकि, यह भी चर्चा थी कि वे भारतीय नेताओं से उच्च-स्तरीय मुलाकात की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उन्हें अपेक्षित समय नहीं मिला। इससे पहले २०८१ पुस (जनवरी २०२५) में भी जब वे भारत आई थीं, तब उन्होंने भारतीय नेतृत्व से मुलाकात का प्रयास किया था, लेकिन मोदी सरकार ने समय नहीं दिया था।
राइसिना डायलॉग में भागीदारी और अन्य मुलाकातें
राइसिना डायलॉग के उद्घाटन सत्र में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन मौजूद थे। राणा ने भूटान और मालदीव के विदेश मंत्रियों के साथ भी जलवायु परिवर्तन और उसके वित्तीय समाधानों पर चर्चा की।
इसके अलावा, उन्होंने यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा से भी मुलाकात की और यूक्रेन में बंदी बनाए गए सात नेपाली नागरिकों की रिहाई की अपील की। इस दौरान नेपाल और यूक्रेन के बीच राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा छूट समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए।
उन्होंने अमेरिका के दक्षिण एशियाई मामलों के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशक रिकी गिल से भी मुलाकात की और इजरायल में हमास द्वारा बंधक बनाए गए नेपाली छात्र विपिन के मामले में अमेरिकी सरकार की मदद मांगी।
प्रधानमंत्री ओली का भारत दौरा अभी भी अनिश्चित
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का प्रस्तावित भारत दौरा अभी तक अनिश्चित है। पिछले साल जब ओली चीन गए थे, तब भी भारतीय पक्ष ने उनके भारत दौरे को लेकर ठोस संकेत नहीं दिए थे। नेपाल में राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत सरकार नेपाल के मौजूदा नेतृत्व को उतनी प्राथमिकता नहीं दे रही जितनी अपेक्षित थी ?
आरजू राणा की लंबी भारत यात्रा और उनके उच्च-स्तरीय राजनीतिक बैठकों की अस्पष्टता से यह चर्चा और तेज हो गई है कि नेपाल-भारत संबंधों में संवाद की कोई ठोस दिशा तय नहीं हो पा रही है।
आरजू राणा का यह दौरा धार्मिक, कूटनीतिक और राजनीतिक पहलुओं का मिश्रण रहा। हालांकि उन्होंने कई महत्वपूर्ण बैठकें कीं, लेकिन उनकी यात्रा की सबसे बड़ी चुनौती भारतीय शीर्ष नेतृत्व से अपेक्षित मुलाकात का न हो पाना रहा। नेपाल और भारत के बीच संबंधों में निकटता तो बनी हुई है, लेकिन उच्च-स्तरीय संवाद और ठोस निर्णयों की कमी से अनिश्चितता बनी हुई है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री ओली के भारत दौरे को लेकर भारतीय नेतृत्व क्या रुख अपनाता है और नेपाल-भारत संबंधों की दिशा आने वाले महीनों में किस ओर जाती है।