आज का भारत सिर्फ़ “कड़ी निंदा” नही करता दुश्मनों के घर मे घुसकर मारता है : मुरली मनोहर तिवारी (सीपू)
मुरली मनोहर तिवारी (सीपू), बीरगंज ।भारत में 2014 से पहले लगभग 100 से ज्यादा आतंकवादी संगठन चल रहे थे और उन्होंने भारत मे दहशत कायम कर दिया था, कोई कही सुरक्षित नही था, लोगों को निरंतर भय व्याप्त था, हमेशा कही-न-कहीं आतंकी हमला होते रहता था। भारत में व्यापक पसरे आतंकवाद के कई कारण थे। इसमें मजहबी आतंकवाद, नार्को आतंकवाद, वामपंथी आतंकवाद और जातीय आतंकवाद शामिल था। तत्कालीन सरकार निरीह और लाचार सिद्ध हो रही थी।
1991 में पंजाब में हत्याएं, 1993 में बॉम्बे में बम ब्लास्ट, 1993 में चेन्नई में बमबारी, 2000 में चर्च में बमबारी, 2000 में लाल किला पर आतंकवादी हमला, 2001 में भारतीय संसद पर हमला, 2002 में मुंबई बस बम विस्फोट, 2002 में अक्षरधाम मंदिर पर हमला, 2003 में मुंबई में बमबारी, 2004 में धेमाजी स्कूल असम में बमबारी, 2005 में दिल्ली में बम विस्फोट, 2005 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में गोलीबारी, 2006 में वाराणसी में बम विस्फोट, 2006 में मुंबई ट्रेन में बम विस्फोट, 2006 में मालेगाँव में बम विस्फोट, 2007 में समझौता एक्सप्रेस में बम विस्फोट, 2007 में मक्का मस्जिद में बम विस्फोट, 2007 में हैदराबाद में बमबारी, 2007 में अजमेर दरगाह पर बमबारी, 2008 में जयपुर में बम विस्फोट, 2008 में बैंगलोर में सीरियल ब्लास्ट, 2008 में अहमदाबाद में बम विस्फोट, 2008 में दिल्ली में बम विस्फोट, 2008 में मुंबई अटैक, 2010 में पुणे में बॉम्बिंग, 2010 में वाराणसी में बमबारी, 2011 में मुंबई में बमबारी, 2011 में दिल्ली में बॉम्बिंग, 2012 में पुणे में बॉम्बिंग, 2013 में हैदराबाद में ब्लास्ट, 2013 में श्रीनगर में हमला, 2013 में बोधगया में बम विस्फोट, 2013 में पटना में बम विस्फोट, 2014 में छत्तीसगढ़ में हमला, 2014 में झारखंड में ब्लास्ट, 2014 में चेन्नई ट्रेन में बमबारी, 2014 में असम में हिंसा, 2014 बैंगलोर में चर्च स्ट्रीट पर बम ब्लास्ट। इन आतंकवादी हमलों ने जनता को झकझोर कर रख दिया और बड़े पैमाने पर विनाश किया।
आतंकवादी-विरोधी एजेंसिया, अनुसंधान और विश्लेषण विंग (रॉ), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), सेना, पुलिस और अन्य एजेंसीया सरकारी उदासीनता के कारण आतंकवाद रोकने में प्रभावी नही थी। आतंकवादी हमलों के प्रति तत्कालीन भारत सरकार सामरिक संयम की निति अपनाकर कभी ठोस और कठोर प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, इसके उलट पाकिस्तान के परमाणु शक्ति का बहाना बनाकर जनता को ठगती रही। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आतंकवाद और अलगाववाद को अपने हित में पनपने दिया था। इन्होंने देश की बहुत बड़ी जमीन दुश्मनों के हवाले कर दी, कांग्रेस ने देश की सेनाओं का आधुनिकरण होने से रोक दिया।

2014 के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल रणनीतिक दूरदर्शिता के साथ अपना रास्ता तय किया, बल्कि विश्व मंच पर एक विश्वसनीय भागीदार और स्थिर शक्ति के रूप में भी उभरा है। विकास के लिए भारत की विस्तृत रूपरेखा में दुनिया की राजनीतिक और आर्थिक आकांक्षाएं शामिल हैं और आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि वैश्विक भलायी की भावना का प्रतीक बनी। भारत ने उन क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया, जिनमें भारत अब नंबर एक पर है, जिसमें स्मार्टफोन डेटा खपत, आईटी आउटसोर्सिंग और दवाओं और टीकों का निर्माण शामिल है। भारत की प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, नवाचार और उद्योग ने दुनिया में अपनी पहचान बनाई। दुनिया की कई बड़ी कंपनियों में आज भारतीय मूल के सीईओ हैं। दुनिया के प्रमुख सामरिक पदों पर भारतीयों की उपस्थिति है।
2024 के अंत तक, भारत की विदेश नीति ने व्यावहारिकता, महत्वाकांक्षा और अनुकूलनशीलता का एक दुर्लभ मिश्रण प्रदर्शित किया । वैश्विक नेताओं के साथ व्यक्तिगत संबंध बनाने की मोदी की क्षमता, राजनीतिक बदलावों के बावजूद भारत को भविष्य के जुड़ावों के लिए अनुकूल स्थिति में रखती है। उनका रणनीतिक नेतृत्व न केवल एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में बल्कि एक बहुध्रुवीय और न्यायसंगत विश्व व्यवस्था को आकार देने वाले वैश्विक खिलाड़ी के रूप में भारत के उभरने को सुनिश्चित करता है।
उल्लेखनीय है कि इजरायल के पहले भारत ने विदेशी हथियारों पर अपनी निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भरता पर जोर देने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल की शुरुआत की थी। वहीं अब भारत से प्रेरणा लेकर इजरायल भी भारत की राह पर आत्मनिर्भरता की ओर चल पड़ा है।
साल 2014 से मौजूदा साल 2023 तक का देश का आर्थिक सफर ऐसा रहा है जिसे रोलर कोस्टर राइड कह सकते हैं। कोविड के संकटकाल से जूझती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच में भारत की अर्थव्यवस्था की हालत भी खासी डगमगाई। हालांकि आज कोविड के संकटकाल से बाहर आकर भारतीय इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर चुकी है और ये वास्तव में बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।
जब 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो वैश्विक जीडीपी में भारत का हिस्सा 2.6 फीसदी पर रहा था। आज ये बढ़कर 3.5 फीसदी पर आ चुका है। आजादी के 75वें साल में ये आंकड़ा देश का हौसला बढ़ाने का काम करता है। 2014 से लेकर अब तक देश के गुड्स एंड सर्विसेज (जीएसटी) कलेक्शन में 22 फीसदी का इजाफा देखा गया है। देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भारत सरकार का जो आर्थिक संकल्प है, ये आंकड़े उसकी बानगी हैं।
2022 में भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बन गया है। पाकिस्तान की आर्थिक हालात के चर्चे सुर्खियों में हैं और वहां खाने-पीने के सामान से लेकर पेट्रोल-डीजल, गैस जैसी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। भारत के एक और पड़ोसी देश श्रीलंका की आर्थिक हालात के बारे में पिछले साल बेहद चर्चा हुई और ये देश भी भारत से सहायता हासिल करने के लिए उत्सुक था। नेपाल भी कमोबेश उसी स्थिति पर खड़ा है। वहीं एशियाई देशों में आर्थिक महाशक्ति बनने का रुतबा हासिल करने वाला पहला देश चीन इस समय आर्थिक मोर्चे पर कठिनाइयों से जूझ रहा है।
चीन की जीडीपी में बड़ी गिरावट देखी गई है और ये पिछले 50 सालों के दूसरे सबसे निचले स्तर पर आ गई है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक चीन की जीडीपी दर 3 फीसदी पर आ गई है। इसका सकल घरेलू उत्पादन 1,21,020 अरब युआन या 17,940 अरब डॉलर पर रहा है। आंकड़ों के मुताबिक 2022 में चीन की जीडीपी वृद्धि दर 5.5 फीसदी के आधिकारिक लक्ष्य से काफी नीचे रही है
पहले हेडलाइन्स होती थी, “इस सेक्टर में इतने लाख करोड़ रुपए का घोटाला, भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनता सड़कों पर उतरी”। आज हेडलाइन्स होती है “भ्रष्टाचार के मामलों में एक्शन के कारण भयभीत भ्रष्टाचारी लामबंद हुए, सड़कों पर उतरे”।
प्रधानमंत्री जनधन योजना में 21 करोड़ परिवारों को जनधन योजना से जोड़कर असंभव को संभव किया। सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो दुनिया को भारत की ताकत का लोहा मानना पड़ा। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए का हटाना, मुस्लिम माताओं और बहनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाना, किसानों को पीएम सम्मान निधि के तहत 90 हजार करोड़ रुपये खाते में ट्रांसफर करना, वोकल फोर लोकल का संकल्प। जब दुनिया कोरोना के कालखंड में वैक्सीन लेना या नहीं लेना उस उलझन में जी रहा था, उस समय भारत में 200 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन लग चुका था।
नागरिकों में अब विश्वास है कि सरकार उनकी परवाह करती है, उसे शासन ने मानवीय स्पर्श दिया है। देश के संकल्पों पर जनता का आशीर्वाद मिल रहा है। देश जनता को आज सरकार पर उतना ही भरोसा है और सरकार को भी उनकी परवाह है। सुशासन में संवेदनशीलता जरूरी है। मोदी सरकार में संवेदनशीलता है और इसका प्रभाव दिख रहा है। यह सब विकास और विकसित भारत के लिए जरूरी है। आज का भारत सिर्फ़ “कड़ी निंदा” नही करता दुश्मनों के घर मे घुसकर मारता है।
