Sat. Apr 19th, 2025

काठमांडू का तीनकुने बना रणक्षेत्र: राजावादियों ने भड़काई हिंसा

काठमांडू, 28 मार्च 2025। शुक्रवार दोपहर 12:30 बजे तीनकुने पहुंचते ही नवराज सुवेदी के नेतृत्व में राजसंस्था पुनर्स्थापना के लिए संयुक्त जनआंदोलन समिति के बैनर तले प्रदर्शनकारी नारेबाजी शुरू कर चुके थे। शुरुआत से ही आक्रोशित नारे लगाने वाले युवाओं को पुलिस ने संयम बरतने की कोशिश की, लेकिन स्थिति बिगड़ती चली गई।
प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, कांग्रेस अध्यक्ष शेरबहादुर देउवा और विपक्षी नेता पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ को निशाना बनाते हुए उत्तेजक और अपमानजनक नारे लगाए।
प्रदर्शन की शुरुआत में “राजतंत्र जिंदाबाद”, “हमारा राजा, हमारा देश”, “नालायक सरकार मुर्दाबाद” जैसे नारे लगे, जो बाद में शीर्ष नेताओं के खिलाफ व्यक्तिगत हमलों में बदल गए। प्रदर्शनकारियों ने राजा महेंद्र और योगी नरहरिनाथ की तस्वीरें उठाईं, साथ ही पृथ्वीनारायण शाह का चित्र भी दिखाया।

पत्रकार सुरेश रजक
उन्होंने नेताओं के खिलाफ “टुकुचा में गाड़ देना चाहिए” जैसे भड़काऊ नारे लगाए, जो काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह के हालिया विवादास्पद फेसबुक पोस्ट से प्रेरित था।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तीनकुने से आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की, लेकिन तनाव तब बढ़ गया जब विवादास्पद धार्मिक गुरु आचार्य श्रीनिवास बानेश्वर की ओर से पहुंचे। श्रीनिवास, जो हिंदू राष्ट्र के मुद्दे को लेकर पहले भी चर्चा में रह चुके हैं, के आने से माहौल और गरमा गया। हालांकि, पुलिस ने उन्हें मुख्य मंच की ओर भेज दिया।
मंच पर वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु भट्टराई ने पृथ्वीनारायण शाह के योगदान का हवाला देते हुए गणतंत्र को दोषी ठहराया और दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी नेपाल को “धोखा” कहा था। इसके बाद सुदर्शनचक्र नाम से संबोधन करने वाले एक धार्मिक गुरु ने “हिंदू सम्राट को गद्दी से हटाने” का आरोप लगाते हुए “युद्ध शुरू करने” और “भ्रष्टाचारियों को मृत्युदंड देने” की बात कही, जिससे भीड़ उत्तेजित हो उठी।
इसी बीच, आंदोलन के “कमांडर” दुर्गा प्रसाई एक समूह के साथ मंच पर पहुंचे। 86 वर्षीय नवराज सुवेदी को राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राप्रपा) के नेता रवींद्र मिश्र सहित अन्य ने मंच पर चढ़ाया। उसी समय प्रदर्शनकारी भीड़ ने पुलिस की बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की। पुलिस ने माइक से संयम की अपील की, लेकिन भीड़ ने नारे चर्काते हुए बानेश्वर की ओर बढ़ने की जिद पकड़ ली।
नेपाल पुलिस के प्रवक्ता दिनेश आचार्य ने बताया, “प्रदर्शनकारियों ने जानबूझकर पुलिस को उकसाने की कोशिश की। उनकी मंशा ठीक नहीं दिखी, जिसके बाद आंसू गैस का प्रयोग करना पड़ा।” आंसू गैस से प्रदर्शनकारी तितर-बितर हो गए, और मंच पर मौजूद सुवेदी को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया, जबकि श्रीनिवास जैसे धार्मिक गुरु भाग निकले।

यह भी पढें   आन्दोलनरत शिक्षकों ने नया बानेश्वर में धर्ना दिया
रविन्द्र मिश्र
हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब कोटेश्वर और हवाई अड्डे की ओर से भीड़ जमा होने लगी। प्रदर्शनकारियों ने आसपास के घरों, कान्तिपुर टीवी और अन्नपूर्ण पोस्ट के कार्यालयों पर पथराव और तोड़फोड़ की। दुर्गा प्रसाई ने अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी से पुलिस को धक्का देने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने “किचने का प्रयास” बताया।
इसके बाद आगजनी शुरू हुई, जिसमें एक सहकारी संस्था के दस्तावेज नष्ट हुए और एभिन्यूज टीवी के पत्रकार सुरेश रजक की मौत हो गई।
प्रदर्शनकारियों ने दमकल पर भी पथराव किया, जिससे आग बुझाने में देरी हुई। कोटेश्वर में भाटभटेनी सुपरमार्केट, माओवादी कार्यालय और सरकारी गाड़ियों को निशाना बनाया गया। राप्रपा नेताओं रवींद्र मिश्र और धवलशमशेर राणा ने भीड़ को शांत करने के बजाय उकसाया। मिश्र ने कहा, “कोई आंदोलन नेताओं के नियंत्रण में नहीं होता,” जबकि राणा ने निषेधित क्षेत्र तोड़ने के लिए समर्थकों को प्रेरित किया।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए कोटेश्वर तक पीछा किया, लेकिन हिंसा और लूटपाट जारी रही। इस घटना ने तीनकुने को रणक्षेत्र में बदल दिया। बाद में सरकार ने पूरे क्षेत्र में कर्फ्यू लग्स दी और सेना को भी उतर दिया है ।

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *