Fri. Mar 29th, 2024

राजेन्द्र ज्ञवाली
संविधान सभा की समय सीमा बढाने के लिए अन्तिम बा ६ महीना अवधि बढाए जाने की र्सवाेच्च अदालत के फैसले के बाद नेपाली राजनीति में काफी हलचल पैदा हो गई है। अपने ही तय की गई समय सीमा में भी संविधान बनाने में असफल संविधान सभा ने बा बा अपने ही मन से इसकी अवधि भी बर्ढाई है। लेकिन जैसे ही इस बा र्सवाेच्च अदालत ने अब ये नहीं चलेगा के भाव प फैसला सुनाया तो नेताओं औ सभासदों के स औ पेट में दर्द होने लगा। यही काण है कि र्सवाेच्च के द्वाा अपनी मर्यादा का उल्लंघन किए जाने का आोप लगाया जा हा है। र्सवाेच्च अदालत के द्वाा संविधान सभा की समय सीमा तय किए जाने का विोध कने औ संसद प हस् तक्षेप क कानून का उल्लंघन कने की बात कहने वाले हमो सभासद औ नेताओं ने खुद भी तो संविधान का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया है उस प कभी क्यों नहीं सोचते- आखि अन्तमि संविधान के द्वाा सभासदों को दो साल के भीत ही संविधान जाी कने को कहा था तो क्यों उस तय किए गए समय में संविधान जाी नहीं हो पाया। क्या इसके लिए सभासदों औ अदालती फैसले का विोध कने वालों को दोषी नहीं माना जाए।
नेपाल में जिम्मेवाी औ जवाबदेहविहीन लोकतंत्र अपना जाल फैला हा है। जनता के समक्ष अनेक वादा कने औ अपना काम होने के बाद जनता को भूलने की बिमाी से नेपाली ाजनीति ग्रस् त है। जनआन्दोलन के बाद से नेताओं द्वाा किये गए ऐसी उपेक्षाओं के उदाहण की भमा है। ऐसे में जब र्सवाेच्च अदालत द्वाा तय किए गए समय में ही संविधान बनाने की बात कह दी तो इसमें कौन सी आफत आ पडी है। समय प ही संविधान बना देने प साा मामला ही खत्म हो जाएगा।लेकिन अपनी ोजी ोटी चलती हे औ तलब भत्ता मिलता हे इसलिए सभासद औ ाजनीतिक दल बा बा संविधान सभा की आयु को अपनी सुविधा के हिसाब से बढाते गए। पिछली बा संविधान सभा की तीन महीने की अवधि बढाते समय यह बात तय थी कि इस अवधि में संविधान का निर्माण नहीं हो सकता है तो फि क्यूं तीन महीने की समय सीमा बढाक नेपाली जनता को धोखा दिया गया – इसके लिए नेताओं से कौन जवाब लेगा – क्या यह जनता के साथ सास बर्ेइमानी नहीं है।
कोई भी आदमी यदि एक बा गलती कता है तो उसे ड लगता है। लेकिन उस गलती प यदि कोई टोके नहीं तो उसे गलती कने का हौसला बढता ही जाता है। नेपाल के संविधान सभा के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। र्सवाेच्च अदालत जैसे ही उनकी गलतियों के बो में उन्हें आईना दिखाया तो उनकी नजें टेढी हो गई। अपनी गलती को मानने, उसके लिए आत्मालोचना कने के बजाए उलटे ही अदालत को ही दोषी ठहाने के लिए हमो नेता शब्दों का ती चलाने लग गए हैं। संसद में नेताओं औ सभासदों की टिप्पणी देख क लगता है जैसे संविधान सभा को हमेशा के लिए बनाए खना चाह हे हों। ऐसा लगता है कि जैसे संविधान ना बनाने की नियत से ही यह बातें कही जा ही है। नेताओं द्वाा र्सवाेच्च अदालत के ऊप लोकतंत्र के मर्म के विपरी त आोप लगाए जा हे हैं। जितनी ऊर्जा औ जितनी मेहनत र्सवाेच्च अदालत को गाली देने औ उसकी आलोचना कने में ाजनीतिक दल, सभासद औ नेता क हे हैं उतनी मेहनत यदि संविधान बनाने में लगाते तो शायद इस देश का औ नेपाली जनता का कुछ भला हो जाता।
संविधान सभा के द्वाा संविधान निर्माण का काम छोडक सिर्फसत्ता की सीढी बनाना, सका बनाने औ सका गिाने का खेल कना हमो नेताओं को तो जैसे इस बात का संवैधानिक अधिका ही दे दिया गया हो। अब तक संविधान सभा का प्रयोग सिर्फसत्ता के ऊपयोग के लिए होने से जनता में निाशा बढ ही थी। लेकिन र्सवाेच्च अदालत के इस फैसले के बाद थोडी सी आशा जगी है। लोगों को लगने लगा था कि शायद इन नेताओं को कोई भी कुछ कहने वाला नहीं था।र्सवाेच्च के द्वाा समय सीमा तय किए जाने से लोगों में यह विश्वास जगने लगा है कि अब शायद संविधान बन जाए। वास् तविकता यही है कि संविधान बनाने के लिए हमने जिन नेताओं को जिम्मेवायिां दी थी लेकिन असली जिम्मेदायिों को भुलक सभासद सिर्फसका बनाने सका गिाने औ मंत्री बनाने में ही अपन समय व्यतीत क हे हैं।
ऐसा लगता है कि हमो सभासद हमेशा ही सभासद ही बने हना चाहते हैं। औ उनको जो भी कर्तव्य बोध काए उन्हें देश औ जनता का विोधी का देते हैं। यह सच है कि सांसद जनता द्वाा चुना गया जनप्रतिनिधि होता है लेकिन यह भी सच है कि उसे एक निश्चित अवधि के लिए ही चुना जाता है। लोकतंत्र  में नेता का ही संसद का नहीं बलि्क जनता की र्सार्वभौमिकता ही र्सवाेप हिोता है। औ अदालत के आदेश को संसद का हस् तक्षेप कहने वाले सांसद खुद ही तय समय प संविधान नहीं बनाक र्सार्वभौम जनता प हस् तक्षेप क हे हैं। तो क्या इस नालायक सभासदों को वापस बुलाक उसे बदलने का मौका मिलेगा कि नहीं। इतना ही नहीं र्सवाेच्च अदालत को भी लोकतंत्र की भावना से चलाने के लिए लोकतांत्रिक अभियान से अलग नहीं खा जा सकता है। औ र्सवाेच्च अदालत के आदेश का सा भी यही है। ±±±



Use ful links

google.com

yahoo.com

hotmail.com

youtube.com

news

hindi news nepal



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: