नेपाल खाओवादी पार्टी :
मुकुन्द आचार्य
आज खाने में मुझे विटामिन ‘डी’ की कमी महसूस हर्इ। उसे पू कने के लिए खाना खाने के बाद मैं धूप खा हा था। गल्ती से बचपन में कहीं पढÞलिया था- धूप से शी को विटामिन ‘डी’ मिलता है, औ उससे हड्डयि मजबूत होती हैं। दर्ुघटना औ मापीट के समय में मजबूत हड्डयिा बहुत सहायक होती हैं। वैसे भी नेपाल में आजकल घटना से ज्यादा दर्ुघटनाएँ होती हैं। ऐसे आडेÞ वक्त में शी का विटामिन ‘डी’ काम आ सकता है।
इतने में मुहल्ले के कुछ होनहा युवक वहाँ प्रकट हुए। हवा में लहाते हुए लम्बे बाल, कानों में सुन्द-सुन्द कुण्डल, चूतड में सटी औ घुटनों में फटी पैन्ट, नयन कजो- सब के सब न से नाी बनने के लिए बेताब नज आ हे थे। पौाणिक ग्रन्थों में ऐसों को किम्पुरुष कहा जाता है। किम्±पुरुष अर्थात् पुरुष है या नाी – खै, …..!
बिना माईक औ मंच के उन लोगों ने ऐलान किया- हम इस देश में ाष्ट्रिय स् त की एक नई, चमचमाती पार्टर्ीीोलना चाहते हैं – मैंने आर्श्चर्यमिश्रति उत्साह के साथ कहा- फैन्टैस् िटक आइडिया ! यह तो हद से ज्यादा अच्छी बात है। विदेशों में जाक भोजनालय, शौचालय, मंदिालय, वेश्यालय जैसे स् थलों में ‘बहादुी’ दिखाने से तो बेहत है, ाजनीति की बहती गंगा में गोता लगाया जाय ! पार्टर्ीीोलक ‘देशसेवा’ शब्द के साथ बलात्का कते हुए काला गोा ह प्रका का धन बटोना, इससे अच्छा काम औ क्या हो सकता है। इस काम में दाम औ नाम दोनों की गंगा-जमुना बहती हर्ुइ सत्ता की सस् वती में मिलक ाजनैतिक तर्ीथाज प्रयाग बन जाती है। मेी ढेÞ साी शुभकामनाएँ इस नई नवेली पार्टर्ीीे साथ है !
यह सुनते हीं सब के चेहे चमकने लगेे। जैसे नालायक नेता मंत्री पद पाते ही बेहूदा ढंग से चम चमाने लगते हैं। बिना कुछ समझे इतनी जल्दी में फटाफट र्समर्थन औ सावाशी मुझ से मिल जायगी, ऐसा तो युवामंडली ने शायद सोचा भी न था।
दुगने उत्साह के साथ एक युवक चहका- हम लोगों ने तो पार्टर्ीीा नाम भी ढूंढ लिया है। मुझसे हा नहीं गया- क्या नाम आप लोगों ने चुना है पार्टर्ीीे लिए – जा मैं भी तो अपने कान पवित्र करुँ !-
हवा में मुठ्ठी भाँजते हुए एक युवक ने ऐलान किया- हम अपनी पार्टर्ीीा नाम ‘नेपाल खाओवादी पार्टर्ीीखेंगे !
दूसे ने मुझसे पूछा, यह नाम कैसा लगा आप को – इस से बेहत नाम आपके जेहन में यदि कोई हो तो आप ‘सजेस् ट’ क सकते हें। हम गौ फमायेंगे।
अपनी बुजर्ुर्गियत का नाजायज फायदा न उठाते हुए मैंने अर्ज किया, नेपाल खाओवादी पार्टर्ीी वाह ! वाह ! इससे बेहत नाम तो हो ही नहीं सकता। नेपाल के ाजनैतिक इतिहास में इतना उपयुक्त औ सुहावना नाम न भूतो न भविष्यति !
एक अनाडÞी युवक, न जाने किस मूडÞ में था, बोल पडÞा- स, हमाी ये खाओवादी पार्टर्ीीाओवादी पार्टर्ीीे बहुत आगे निकल जायगी। आप देखते हना।
‘किस मामले में आगे निकल जायगी -‘ मैने पूछा। युवक ने छूटते ही कहा, नेपाल खाओवादी पार्टर्ीीाने-खिलाने-पिलाने औ उसके बाद हिलाने के मामले में नए नए कर्ीर्तिमान कायम केगी। आज सो विश्व में खाने खिलाने की संस् कृति लहलहा ही है। नेपाल जैसा छोटा सा देश इस अत्याधुनिक संस् कृति से कैसे अछूता हा सकता है ! धनी मानी देश में भी ‘एक हाथ से देना दूसे हाथ से लेना’ यह संस् कृति जोों से लोकप्रिय हो ही है। हमाा खाओवादी सिद्धान्त भी यही कहता है। हमाी प्राचीन संस् कृति भी यही कहती है- ऋणं कृत्वा घृतं पीवेत्। अर्थात् कर्ज लेक भी घी पीओ। हम लोगों ने इस में थोडÞा सा सुधा किया है। कर्ज लेने से बेहत है घूस लेना-देना। घूस लेक घी पीओ।
ाजनीति के बो में इतनी गही समझ खने वाले युवकों को देख सुनक मेा ोम ोम पुलकित हो उठा। एक ने तो मुझे ललचाया भी, हमाी पार्टर्ीीब सका बनावेगी तो प्रधानमन्त्री के प्रेस सल्लाहका आप ही हेंगे।
मैंने भी लगे हाथ एक नाा जडÞ दिया- नेपाल खाओवादी पार्टर्ीी युवकों ने नाा को लपक लिया- जिन्दावाद ! जिन्दावाद !!
मुझे विश्वास हे, जो कोई भी मन्त्री बनना चाहेगा, वह एक ोज जरू इस पार्टर्ीीें आएगा ! आप भी आ जाइए न, क्यू शमा हे हैं। इस खाओंवादी पार्टर्ीीा एक नाा यह भी हैः- जिसने की शम, उस के फूटे कम ! यकीन मानिए, इस पार्टर्ीीा मूल उदेश्य है, देश में जितने भी र्सवहाा हैं, सब को र्सवमाा बना दिया जायगा ! ±±±
आज खाने में मुझे विटामिन ‘डी’ की कमी महसूस हर्ुइ। उसे पूी कने के लिए खाना खाने के बाद मैं धूप खा हा था। गल्ती से बचपन में कहीं पढÞलिया था- धूप से शी को विटामिन ‘डी’ मिलता है, औ उससे हड्डयिाँ मजबूत होती हैं। दर्ुघटना औ मापीट के समय में मजबूत हड्डयिाँ बहुत सहायक होती हैं। वैसे भी नेपाल में आजकल घटना से ज्यादा दर्ुघटनाएँ होती हैं। ऐसे आडेÞ वक्त में शी का विटामिन ‘डी’ काम आ सकता है।
इतने में मुहल्ले के कुछ होनहा युवक वहाँ प्रकट हुए। हवा में लहाते हुए लम्बे बाल, कानों में सुन्द-सुन्द कुण्डल, चूतडÞ में सटी औ घुटनों में फटी पैन्ट, नयन कजो- सब के सब न से नाी बनने के लिए बेताब नज आ हे थे। पौाणिक ग्रन्थों में ऐसों को किम्पुरुष कहा जाता है। किम्±पुरुषÖ अर्थात् पुरुष है या नाी – खै, …..!
बिना माईक औ मंच के उन लोगों ने ऐलान किया- हम इस देश में ाष्ट्रिय स् त की एक नई, चमचमाती पार्टर्ीीोलना चाहते हैं – मैंने आर्श्चर्यमिश्रति उत्साह के साथ कहा- फैन्टैस् िटक आइडिया ! यह तो हद से ज्यादा अच्छी बात है। विदेशों में जाक भोजनालय, शौचालय, मंदिालय, वेश्यालय जैसे स् थलों में ‘बहादुी’ दिखाने से तो बेहत है, ाजनीति की बहती गंगा में गोता लगाया जाय ! पार्टर्ीीोलक ‘देशसेवा’ शब्द के साथ बलात्का कते हुए काला गोा ह प्रका का धन बटोना, इससे अच्छा काम औ क्या हो सकता है। इस काम में दाम औ नाम दोनों की गंगा-जमुना बहती हर्ुइ सत्ता की सस् वती में मिलक ाजनैतिक तर्ीथाज प्रयाग बन जाती है। मेी ढेÞ साी शुभकामनाएँ इस नई नवेली पार्टर्ीीे साथ है !
यह सुनते हीं सब के चेहे चमकने लगेे। जैसे नालायक नेता मंत्री पद पाते ही बेहूदा ढंग से चम चमाने लगते हैं। बिना कुछ समझे इतनी जल्दी में फटाफट र्समर्थन औ सावाशी मुझ से मिल जायगी, ऐसा तो युवामंडली ने शायद सोचा भी न था।
दुगने उत्साह के साथ एक युवक चहका- हम लोगों ने तो पार्टर्ीीा नाम भी ढूंढ लिया है। मुझसे हा नहीं गया- क्या नाम आप लोगों ने चुना है पार्टर्ीीे लिए – जा मैं भी तो अपने कान पवित्र करुँ !-
हवा में मुठ्ठी भाँजते हुए एक युवक ने ऐलान किया- हम अपनी पार्टर्ीीा नाम ‘नेपाल खाओवादी पार्टर्ीीखेंगे !
दूसे ने मुझसे पूछा, यह नाम कैसा लगा आप को – इस से बेहत नाम आपके जेहन में यदि कोई हो तो आप ‘सजेस् ट’ क सकते हें। हम गौ फमायेंगे।
अपनी बुजर्ुर्गियत का नाजायज फायदा न उठाते हुए मैंने अर्ज किया, नेपाल खाओवादी पार्टर्ीी वाह ! वाह ! इससे बेहत नाम तो हो ही नहीं सकता। नेपाल के ाजनैतिक इतिहास में इतना उपयुक्त औ सुहावना नाम न भूतो न भविष्यति !
एक अनाडÞी युवक, न जाने किस मूडÞ में था, बोल पडÞा- स, हमाी ये खाओवादी पार्टर्ीीाओवादी पार्टर्ीीे बहुत आगे निकल जायगी। आप देखते हना।
‘किस मामले में आगे निकल जायगी -‘ मैने पूछा। युवक ने छूटते ही कहा, नेपाल खाओवादी पार्टर्ीीाने-खिलाने-पिलाने औ उसके बाद हिलाने के मामले में नए नए कर्ीर्तिमान कायम केगी। आज सो विश्व में खाने खिलाने की संस् कृति लहलहा ही है। नेपाल जैसा छोटा सा देश इस अत्याधुनिक संस् कृति से कैसे अछूता हा सकता है ! धनी मानी देश में भी ‘एक हाथ से देना दूसे हाथ से लेना’ यह संस् कृति जोों से लोकप्रिय हो ही है। हमाा खाओवादी सिद्धान्त भी यही कहता है। हमाी प्राचीन संस् कृति भी यही कहती है- ऋणं कृत्वा घृतं पीवेत्। अर्थात् कर्ज लेक भी घी पीओ। हम लोगों ने इस में थोडÞा सा सुधा किया है। कर्ज लेने से बेहत है घूस लेना-देना। घूस लेक घी पीओ।
ाजनीति के बो में इतनी गही समझ खने वाले युवकों को देख सुनक मेा ोम ोम पुलकित हो उठा। एक ने तो मुझे ललचाया भी, हमाी पार्टर्ीीब सका बनावेगी तो प्रधानमन्त्री के प्रेस सल्लाहका आप ही हेंगे।
मैंने भी लगे हाथ एक नाा जडÞ दिया- नेपाल खाओवादी पार्टर्ीी युवकों ने नाा को लपक लिया- जिन्दावाद ! जिन्दावाद !!
मुझे विश्वास हे, जो कोई भी मन्त्री बनना चाहेगा, वह एक ोज जरू इस पार्टर्ीीें आएगा ! आप भी आ जाइए न, क्यू शमा हे हैं। इस खाओंवादी पार्टर्ीीा एक नाा यह भी हैः- जिसने की शम, उस के फूटे कम ! यकीन मानिए, इस पार्टर्ीीा मूल उदेश्य है, देश में जितने भी र्सवहाा हैं, सब को र्सवमाा बना दिया जायगा ! ±±±